UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter- 11 जीवनं निहितं वने (गद्य–भारती)

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter-11 जीवनं निहितं वने

जीवनं निहितं वने  (वन में जीवन निहित है)


वनसंघटकास्तावद् द्विविधा वनस्पतयः सविहगा जन्तवश्य उभयस्मादपि मानवस्य लाभस्तद् द्वयमपि च यथायोग्य रक्षणीयम् । वृक्षेभ्यो न केवलं फलानि , पुष्पाणि , इन्श्वनाहर्हाणि भवनयोग्यानि च काष्ठानि अपितु भैषज्यसमुचितानि नानाप्रकाराणि वल्कलपूल- पत्रादीनि वस्तून्यपि लभ्यते नानाविधौद्योगिकोत्पादन- समुचितानि जतूनि तैलानि तदितरद्रवपदार्थाश्चापि प्राप्यन्ते ।

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter - 11 जीवनं निहितं वने (गद्य – भारती)

वनसंघटकास्तावद्........................ प्राप्यते । 


सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश संस्कृत गद्य भारती के ' जीवन निहित बने ' नामक पाठ से अवतरित है । इसमें वृक्षों और अन्य वनस्पतियों के महत्व एवं लाभों पर प्रकाश डाला गया है । 


अनुवाद - वनों के संघटक ( रचना करने वाले तत्व ) दो प्रकार के होते है. वनस्पतियों और पक्षियों सहित जीव - जन्तु इन दोनों से ही मनुष्य को लाभ होता है । इसलिए उन दोनों की यथायोग्य रक्षा करनी चाहिए। वृक्षी से न केवल फल, फूल, ईधन के योग्य लकड़ियाँ आदि वस्तुएँ मिलती है नाना प्रकार के औद्योगिक उत्पादन के योग्य जैतून के तेल और द्रव पदार्थ भी प्राप्त होते है।

जीवनं निहितं वने पाठ का सारांश हिन्दी में

' वन ' शब्द सुनते ही मनुष्य के मन में भय पैदा हो उठता है । वहाँ शेर, चीते, सर्प, अजगर आदि का ध्यान आता है । वहाँ वन की निर्जनता में दुःखी व्यक्ति की आवाज कोई नहीं सुनता है । वनों का हमारे भौतिक एवं सांस्कृतिक जीवन में बहुत ही महत्व है । भारतीय महान् आध्यात्मिक ग्रन्थों का निर्माण वनों में हुआ है । वनों का महत्व समझकर ही हमारे पूर्वजों ने वन रक्षा पर बल दिया था ।


वनों से जलवायु और कृषि प्रभावित होती है। सभी राष्ट्र अब वन रक्षा के प्रयत्न कर रहे हैं। भारत में वन महोत्सव के समय अनेक वृक्षों को लगाया जाता है । वृक्षों से पशु-पक्षियों के लाभ के साथ मनुष्य को भी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं हैं । वनों से फल - फूल, ईंधन, भवन निर्माण सामग्री, औषधियाँ तथा अनेक उद्योगों को कच्चा माल मिलता है । जैतून का तेल, कागज, नाइलॉन के धागे आदि मिलते हैं ।


वायु का शुद्ध होना, भूमि का कटाव रुकना और वर्षा होना आदि वनों से परोक्ष रूप से प्राप्त होने वाले लाभ हैं । वनों के काटने से वन्य जीवों का अभाव होता जा रहा है । पक्षी खेती में हानि पहुँचाने वाले कीटों को खाते हैं । अब मनुष्य अनुभव करने लगे हैं कि उन्हें वन्य जीवों और पशु-पक्षियों के प्रति मित्रता रखनी चाहिए। सलीम अली ने पक्षियों के सम्बन्ध में अनेक पुस्तकें लिखी हैं ।


विश्नोई समुदाय लोग वन तथा उनके जीवों की रक्षा में अपने प्राणों को भी न्यौछावर कर देते। वे ही वृक्षों को काटना सहन नहीं कर सकते हैं। पुराने वृक्षों के नष्ट होने पर हमें नये वृक्ष लगाने चाहिए। यदि हम उत्साहपूर्वक योजनाबद्ध ढंग से वृक्षों को लगा देंगे तो दस वर्षों में वनों की कमी दूर हो जायेगी। वन से जीवन की रक्षा होती है और जीवन से वनों की। वनों में जीवन छिपा है। अतः वनों को कदापि नहीं काटना चाहिए । 


यह पोस्ट भी पढ़े :-

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top