UP Board Class 10 Sanskrit Chapter - 7 Solutions भरते जनसंख्या – समस्या (गद्य – भारती)
भारते जनसंख्या - समस्या ( भारत में जनसंख्या-समस्या )
( 1 ) एषा समस्या तु न केवलं राष्ट्रस्यैव अपितु सर्वस्यापि पारिवारस्यैव मुख्यतया विद्यते। नियोजितः एव परिवार: प्रत्येक परिवारजनस्य सुखशान्तिकारको भविष्यति । सर्वकारस्तु यथाशक्ति साधनानि दातुं शक्नोति तच्चासौ करोत्येवा संततिनिरोधस्तु प्रत्येक मनुष्येण स्वस्थ, स्वकुलस्य, समाजस्य, राष्ट्रस्य, विश्वस्य च उन्नतये शान्तये च धर्मानुष्ठानमिव स्वत एव सर्वात्मना विधेयस्तदैव समस्यायाः समाधानं भवेतू, मातृकल्याणं बालकल्याणं च स्यात् ।
एषा समस्या तु……………… च स्यातः ।
सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यावतरण ' संस्कृत गद्य भारती-द्वितीय भाग ' के ' भारत जनसंख्या समस्या ' पाठ से अवतरित है । इसमें परिवार नियोजन से होने वाले लाभो का वर्णन किया गया है ।
अनुवाद- यह समस्या तो न केवल राष्ट्र की है बल्कि सारे परिवार की मुख्य रूप से है। नियोजित परिवार ही प्रत्येक पारिवारिक मनुष्य के सुख-शान्ति का कारण हो सकेगा। सरकार तो शक्ति के अनुसार जितने साधन दे सकती है . उतने तो वह प्रदान कर ही रही है । सन्तान की रोक तो प्रत्येक मनुष्य को अपनी अपने परिवार की , समाज की , राष्ट्र की और विश्व की उन्नति के लिए और शान्ति के लिए धर्मानुष्ठान की तरह स्वतः सर्वथा करनी ही चाहिए । तभी समस्या का हल हो सकता है , इसी से माता का कल्याण तथा बालक का कल्याण हो सकता है।
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( 2 ) निरन्तरं वर्धमानया जनसंख्या बहूनि वनान्यपि निगिलितानि पर्वता नग्ना कृताः । वृक्षेषु प्रतिक्षणं कुठाराघात क्रियते । वृक्षाणां वनानां च अन्धाधकर्तनेन वर्षासु भूक्षरणं जायते । उर्वरकां मृत्स्नां वर्षा- जलम् अपवाहयति नदीनां तलानि उत्थालानि भवन्ति । जलप्लावनानि भवन्ति असंख्याता च सम्पत् प्रतिवर्ष नश्यति । नदीतटे स्थितानां नगराणाम् उत्तरोत्तरं विवर्धमानं मालिन्य महाप्रणालैर्नदीषु पात्यते येन गंगासदृश्योऽपि सुधास्वादुजला नद्यो स्थाने स्थाने अपेया अस्तानीया च जायन्ते ।
निरन्तरं वर्धमानया …………………………च जायन्ते ।
सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यावतरण ' भारत जनसंख्या समस्या ' नामक पाठ से अवतरित है । इसमें लेखक के द्वारा जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभावों का वर्णन किया गया है ।
अनुवाद- लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या ने बहुत से वनों को भी निगल लिया है। पर्वत नंगे कर दिये गये हैं। वृक्षों पर प्रतिक्षण कुल्हाड़ी चलायी जाती है । वृक्षों और वनों की अन्धधुन्ध कटाई से वर्षा में भूमि का कटाव हो जाता है । उपजाऊ मिट्टी को वर्षा का जल बहा ले जाता है , नदियों के तल उथले हो जाते हैं, जिससे बाढ़ आती है और अरबों की सम्पत्ति प्रतिवर्ष नष्ट हो जाती है । नदियों के तट पर स्थित नगरों की निरन्तर बढ़ती हुई गन्दगी बड़े - बड़े नालों के द्वारा नदियों में गिरायी जाती है , जिससे गंगा जैसी अमृत से स्वाद वाली नदियाँ स्थान-स्थान पर ऐसी हो गई हैं कि उनके जल को न पिया जा सकता है और न उसमें स्नान किया जा सकता है।
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( 3 ) जनसंख्याया अनिरुद्धवृद्धेः परिणामोऽयं जातो यत् नगरेषु , ग्रामेषु, आपणेषु, चिकित्सालयेषु, विद्यालयेषु, न्यायालयेषु किं बहुना यत्र तत्र सर्वत्रापि जनानां महान्तः सम्पर्दाः दृश्यन्ते, यात्रिणो यानेषु, छात्रा: विद्यालयेषु, रोगिणः चिकित्सालयेषु च स्थानं न लभन्ते।
जनसंख्याया अनिरुद्धवृद्धे……………………… न लभन्ते ।
सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश ' भारते जनसंख्या समस्या ' नामक पाठ से उद्धृत है। इस गद्यांश में लेखक देश की बढ़ती हुई विकराल जनसंख्या किस प्रकार भारतीयों की सुविधाओं में व्यवधान उत्पन्न कर रही है पर प्रकाश डाल रहा है ।
अनुवाद - जनसंख्या की बेरोकटोक वृद्धि का परिणाम यह हुआ है कि नगरों, ग्रामो, बाजारों, अस्पतालों, स्कूलों, कचहरियों में और अधिक क्या, जहाँ-जहाँ सभी जगहों पर मनुष्यों की बहुत बड़ी भीड़ दिखाई देती है। यात्रियों को सवारियों में छात्रों को विद्यालयों में और रोगियों को चिकित्साओं में स्थान नहीं मिलता ।
प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि से होने वाली किन्हीं दो समस्याओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- जनसंख्या वृद्धि से खाद्यान्न व स्थान की कमी तथा बेरोजेगारी जैसी समस्याएँ देश के समक्ष उपस्थित हो गयी हैं। अतः तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या को हर स्थिति में रोका जाना अत्यावश्यक है।
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