कार्यं वा साधयेयम्, देहं वा पातयेयम् का मूल उद्देश्य क्या है?
प्रस्तुत पाठ में देशभक्त शिवांजी तथा उनके सेवक की राष्ट्र और स्वामिभक्ति का तथा कठोर कष्टों को सहकर लक्ष्यों की प्राप्ति में सावधान रहने का चित्रण किया गया है। रघुवीरसिंह वीर शिवाजी का स्वामिभक्त सेवक है जो अपने स्वामी की दृढ़ संकल्पिता, परिश्रम और अद्भुत साहस से अत्यन्त प्रभावित है। इस कथा के माध्यम से लेखक रघुवीर सिंह जैसे देशभक्त एवं स्वामिभक्त सेवक के पावन-चरित्र को उजागर करना चाहता है जो बड़ा ही प्रेरणास्पद है ।
प्रश्न
' कार्य वा साधयेयम् , देहं वा पातयेयम् ' यह प्रतिज्ञा किसने?
उत्तर
' कार्य वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्' - यह प्रतिज्ञा महाराज शिवाजी के एक विश्वासपात्र सेवक रघुवीर सिंह ने की थी ।
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