उच्च शिक्षा की समस्याएं | Problems of Higher Education

उच्च शिक्षा की समस्याएँ| उच्च शिक्षा में छात्र में अनुशासनहीनता एक समस्या| Problems of Higher Education in Hindi

इन कार्यों की संख्या में इतनी अधिक वृद्धि हो गयी है कि किसी भी सूची को पूर्ण नहीं कहा जा सकता है । अकारण हड़तालें, अनावश्यक प्रदर्शन, पुलिस से झगड़ा, बल का अनुचित प्रयोग, छोटी - छोटी बातों के लिए अनशन, कक्षाओं से बहिर्गमन, परीक्षाओं का बहिष्कार, शिक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार, सार्वजनिक स्थानों में मारपीट, कॉलेजों के भवनों एवं रजिस्ट्रारों के कार्यकलापों का अग्निहोम, परीक्षा में अनुचित साधनों का खुलेआम प्रयोग, छात्रसंघों के पदाधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग, युवतियों का अपहरण और उनके साथ बलात्कार ये सब प्रतिदिन देखे और सुने जानेवाले छात्र - अनुशासनहीनता के कुछ नमूने हैं।


उच्च शिक्षा में उद्देश्यहीनता ( Aimlessness in higher education )

हमारी उच्च शिक्षा की उद्देश्यहीनता एक तथ्य है । जमाना बदल गया है , देश की परिस्थितियाँ बदल गयी हैं , पर खेद का विषय है कि उच्च शिक्षा का उद्देश्य जो भारत के अंग्रेज शासकों ने अपने स्वार्थ - सिद्धि के लिए निर्धारित किया था, वह स्वतन्त्रता प्राप्ति के वर्षों बाद भी अपने पुरातन रूप में उच्च शिक्षा पर अपना अखण्ड साम्राज्य स्थापित किये हुए हैं ।


परतन्त्र भारत में इस उद्देश्य के वास्तविक स्वरूप का वर्णन गुन्नार मिर्डल ने किया है- " विश्वविद्यालय की उपाधियाँ , सरकारी नौकरियों के लिए पासपोर्ट थीं । शिक्षा - विद्यार्थियों को नौकरी के लिए , न कि जीवन के लिए तैयार करने के सीमित उद्देश्य से प्रदान की जाती थी ।


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