विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर टिप्पणी कीजिए।
विश्वविद्यालय स्वायत्तता की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए शिक्षा आयोग ने लिखा है— " यह स्वीकार किया जाना आवश्यक है कि स्वाधीनता के अभाव में विश्वविद्यालय अपने शिक्षण, अनुसंधान एवं समाज - सेवा के मुख्य कार्यों को कुशलतापूर्वक नहीं कर सकते हैं ।
" आयोग ने निम्नांकित क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का समर्थन किया है — छात्रों का चुनाव , शिक्षकों की नियुक्ति एवं पदोन्नति और पाठ्य - विषयों , शिक्षण विधियों एवं अनुसन्धान कार्य के क्षेत्रों एवं समस्याओं का निर्धारण । इन क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों की स्वाधीनता को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने निम्नलिखित विचार प्रकट किये हैं-
1. विश्वविद्यालयों को अपने विभागों को कार्य करने की पर्याप्त स्वतन्त्रता देनी चाहिए ।
2. प्रत्येक विभाग के अध्यक्ष की अधीनता में एक प्रबन्ध समिति का निर्माण किया जाना चाहिए । इस समिति को व्यापक आर्थिक एवं प्रशासकीय शक्तियों से सम्पन्न किया जाना चाहिए ।
3. विश्वविद्यालयों को अपने प्रशासन में इस सिद्धान्त को ध्यान में रखना चाहिए कि श्रेष्ठ विचारों का जन्म साधारणतः निम्न स्तरों से होता है ।
4. विश्वविद्यालयों को कॉलेजों की स्वतन्त्रता का उतना ही आदर करना चाहिए जितना वे अपनी स्वतन्त्रता का करते हैं ।
5. विश्वविद्यालयों की साहित्यिक परिषदों एवं सभाओं में छात्र प्रतिनिधियों की उपयुक्त संख्या को स्थान दिया जाना चाहिए ।
6. विश्वविद्यालय को अपनी स्वाधीनता को बनाये रखने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए । इस कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए, उनको अपने बौद्धिक एवं सार्वजनिक कार्यों को सदैव तत्परता से करना चाहिए ।
7. प्रत्येक कॉलेज के प्रत्येक विभाग में छात्रों एवं अध्यापकों की संयुक्त समितियों का निर्माण किया जाना चाहिए ।
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