जनजातीय परिवार का अर्थ और विशेषताएं - Meaning and Characteristics of Tribal Family

जनजातीय परिवार का अर्थ और विशेषताएं ( Meaning and Characteristics of Tribal Family )

परिवार संस्था विश्व के सभी समाजों में पायी जाती है । सभ्य समाजों की अपेक्षा जनजातियों में परिवार का विशेष महत्त्व है । जनजातीय समाज में परिवार की विशेषताओं के सम्बन्ध में प्रो० जी० एस० भट्ट का कहना है- " आदिवासी परिवार को आसानी से संस्थानिक प्रकार का परिवार कहा जा सकता है । इस प्रकार के परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उत्पादन और उपयोग की इकाई है । 

जनजातीय परिवार का अर्थ और विशेषताएं - Meaning and Characteristics of Tribal Family

जनजातीय परिवार की विशेषताएँ ( Characteristics of Tribal Family )

जनजातीय समाजों में प्रचलित परिवारों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

( 1 ) परिवार के विविध रूप - जनजातीय समाजों में प्रचलित परिवार के स्वरूपों में समानता नहीं है । सदस्य संख्या , विवाह एवं सत्ता के आधार पर परिवार के कई स्वरूप दिखाई देते हैं । किसी जनजाति में मातृसत्तात्मक परिवार पाये जाते हैं तो दूसरी में पितृसत्तात्मक परिवार पाया जाता है ।


 ( 2 ) श्रम विभाजन का आधार लिंग - जनजातीय परिवारों में श्रम विभाजन लिंग पर आधारित होता है । मानवशास्त्री डॉ ० मजूमदार का कहना है " परिवार की व्यवस्था चलाने में पति - पत्नी दोनों का योगदान रहता है । इन दोनों में कार्य का विभाजन लिंग के आधार पर किया जाता है । " 


( 3 ) यौन स्वच्छन्दता - इन परिवारों में यौनिक पवित्रता का विशेष महत्त्व नहीं है । इस कारण विवाह से पूर्व और विवाह के पश्चात् यौन स्वतन्त्रता पायी जाती है । 


( 4 ) सामूहिकता की भावना - जनजातीय परिवारों में सामूहिकता की भावना पायी जाती है । इन समाजों में व्यक्ति की अपेक्षा परिवार एवं समूह को महत्व दिया जाता है । धार्मिक सामाजिक उत्सवों के अवसर पर सभी सदस्य मिलकर भाग लेते हैं । सामूहिकता इनकी संस्कृति की प्रमुख विशेषता है । यह सभी प्रकार की गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु हैं । 


( 5 ) आत्म - निर्भरता - जनजातीय परिवारों की एक विशेषता यह भी है कि उत्पादन और उपभोग की दृष्टि में यह आत्म - निर्भर होते हैं । प्रो ० जी ० एस ० भट्ट का इस सम्बन्ध में कहना है- " इस प्रकार के परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उत्पादन और उपभोग की इकाई है । " 


( 6 ) स्त्रियों की सम्मानित स्थिति - जनजातीय समाजों के परिवारों में नारी की स्थिति अत्यन्त ही सम्मानित होती है । इन परिवारों में स्त्री और पुरुष के अधिकार समान होते हैं । दहेज प्रथा का अभाव है और बाल विवाह का प्रचलन भी नहीं हैं । 


( 7 ) अनिश्चित आकार - जनजातियों में प्रचलित परिवार संस्था का आकार अनिश्चित होता है। यहाँ एकाकी ( लघु ) परिवार भी पाये जाते हैं और संयुक्त या विस्तृत परिवार भी देखने को मिलता है।


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