जनजातीय समाज की प्रमुख विशेषताएं - Salient Features of Tribal Society

जनजातीय समाज की प्रमुख विशेषताएं

जनजातीय समाजों की अनेक विशेषताएँ हैं, जो इसे अन्य समाजों से इसे अलग करती हैं । इन समाजों में समूहबाद की भावना पायी जाती है, इनमें प्रथागत कानून पाये जाते हैं और आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर पाया जाता है । जनजातीय समाजों में आर्थिक विशेषीकरण का भी अभाव पाया जाता है । इन्हें आदिम समाज कहकर भी पुकारा जाता है । सीमित भू - भाग में निवास इनकी सबसे प्रमुख विशेषता है । 


जनजातीय समाज की परिभाषा -

इन्वान्स प्रिटचार्ड के अनुसार, " वे समाज जो कि जनसंख्या, क्षेत्र और सामाजिक सम्पर्क की परिधि की दृष्टि से छोटे पैमाने के हैं और जो अधिक प्रगतिशील समाजों की तुलना में सरल प्रौद्योगिकी तथा आर्थिक स्तर पर हैं तथा जहाँ सामाजिक कार्यों का कम विशेषीकरण पाया जाता है , आदिम समाज कहलाते हैं । " 


जनजातीय समाजों की विशिष्ट विशेषताएँ

जनजातीय समाजों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-


( 1 ) भौगोलिक पृथकता - भौगोलिक पृथकता जनजातीय समाज की प्रमुख विशेषता है । जनजाति के सदस्य एक निश्चित भू - भाग पर निवास करते हैं । 

( 2 ) निरक्षरता - जनजातीय समाजों में शिक्षा का नितान्त अभाव पाया जाता है । निरक्षरता के कारण लिपि एवं लेखन कला का अभाव पाया जाता है । 

( 3 ) श्रम के विशेषीकरण का अभाव - जनजातीय अर्थ - व्यवस्था का स्तर निम्न होता है । परिणामतः श्रम के विशेषीकरण का रूप देखने को नहीं मिलता । 

( 4 ) प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर - जनजातीय समाजों की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि इन समाजों में प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर पाया जाता है । 

( 5 ) आर्थिक एवं राजनैतिक स्वायत्तता - जनजातीय समाज के सदस्य राजनैतिक एवं आर्थिक मामलों के लिए अन्य समूहों पर निर्भर नहीं रहते । इनमें आर्थिक एवं राजनैतिक स्वायत्तता होती है । 

( 6 ) बन्द समाज - जनजातीय समाजों की प्रकृति बन्द समाज जैसी होती है । इसमें बाहरी आदमी का सदस्य के रूप में प्रवेश नहीं होता है ।

( 7 ) समूहवाद की भावन - जनजातीय समाज के सदस्यों में समूहवाद की भावना पायी जाती है । 

( 8 ) प्रथागत कानून - इन समाजों में कानून का रूप आजकल के कानून के समान नहीं होता वरन् कानून का रूप प्रथागत रूप होता है । 

( 9 ) गोत्र - जनजातीय समाजों में गोत्र का विशेष महत्त्व है । एक ही गोत्र के व्यक्ति परस्पर मिलकर रहते हैं । 

( 10 ) धर्म एवं जादू - जनजातीय समाजों में धर्म एवं जादू का विशेष प्रभाव दिखाई देता है जिससे समाज संगठित रहता है । 

( 11 ) सामाजिक परिवर्तन का अभाव - जनजातीय समाज प्रायः स्थिर होते हैं । यहाँ सामाजिक परिवर्तन का प्रायः अभाव होता है । 


निष्कर्ष- वर्तमान समय में जनजातीय समाजों में भी परिवर्तन की प्रक्रिया गतिशील है । इ कारण जनजातीय समाजों की अनेक विशेषताओं में परिवर्तन हो रहा है।


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