मानवशास्त्र तथा इतिहास में अन्तर Difference between Anthropology and History
इन दोनों विज्ञानों के बीच अनेक समानताएँ होने के बाद भी इनमें कुछ स्पष्ट अन्तर भी देखने को मिलते हैं । व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है । दूसरे, मानवशास्त्र के अन्तर्गत मानव के सामाजिक, का अध्ययन करता है जबकि मानवशास्त्र में अतीत और वर्तमान दोनों तरह के मानवीय सांस्कृतिक, राजनैतिक, धार्मिक तथा आर्थिक जैसे सभी व्यवहारों का अध्ययन होता है लेकिन इतिहास मानव समाज की केवल उन्हीं घटनाओं से सम्बन्धित है जिनका एक ऐतिहासिक महत्व होता है ।
तीसरे, एक इतिहासकार तथ्यों की विवेचना के लिए पूरी तरह स्वतन्त्र रहता है । जबकि मानवशास्त्री को तुलनात्मक अथवा किसी दूसरी पद्धति के द्वारा तथ्यों का पक्षपातरहित ढंग से अध्ययन करना आवश्यक होता है । अन्त में इतिहास के अन्तर्गत जिन अध्ययन पद्धतियों का उपयोग होता है वे प्राकृतिक विज्ञानों की पद्धतियों से बिलकुल अलग हैं ।
इसके विपरीत , मानवशास्त्र की अध्ययन पद्धतियों काफी सीमा तक प्राकृतिक विज्ञानों की पद्धतियों से मिलती - जुलती हैं । वास्तविकता यह है कि मानवशास्त्र का एक पक्ष जहाँ इतिहास से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है वहीं दूसरा पक्ष इससे पर्याप्त भिन्न है । इसका तात्पर्य है कि एक मानवशास्त्री जब मानव के विकास क्रम तथा मानव की संस्कृति का अध्ययन करता है तो उसे आवश्यक रूप से ऐतिहासिक तथ्यों तथा ऐतिहासिक पद्धति की सहायता लेनी पड़ती है
मानवशास्त्र तथा अर्थशास्त्र ( Anthropology and Economics )
अर्थशास्त्र मानव की आर्थिक आवश्यकताओं तथा आर्थिक क्रियाओं से सम्बन्धित तथ्यों का ही अध्ययन करता है । कुछ वैज्ञानिकों ने इन आर्थिक क्रियाओं को इतना महत्वूपर्ण माना है कि उनके अनुसार समाज का अस्तित्व तथा विकास इन्हीं क्रियाओं पर निर्भर रहता है । इन आर्थिक क्रियाओं में हम उत्पादन उपभोग, विनिमय और वितरण जैसे प्रमुख विभागों को सम्मिलित करते हैं ।
इस रूप में अर्थशास्त्र तथा मानवशास्त्र इस कारण एक - दूसरे से सम्बन्धित हैं कि प्रत्येक क्रियाओं के सन्दर्भ में ही की जा सकती है । यही कारण है कि अब मानवशास्त्र की एक नयी शाखा विकसित हो चुकी है जिसे हम ' आर्थिक मानवशास्त्र ' ( Economic Anthropology ) के नाम से जानते हैं । अनेक मानवशास्त्रियों ने प्रकार्य की अवधारणा को भी आर्थिक आधार पर स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है ।
अनेक विद्वान इस पक्ष में हैं कि मानवशास्त्र तथा अर्थशास्त्र के बीच पाया जाने वाला सम्बन्ध बहुत सीमान्त प्रकृति का है । इसका तात्पर्य है कि मानवशास्त्र की अध ययन - वस्तु का अर्थशास्त्र से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित नहीं किया जा सकता । भी अर्थशास्त्र एक विशिष्ट विज्ञान है जबकि मानवशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है ।
मानवशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र ( Anthropology and Political Science )
राजनीतिशास्त्र वह विज्ञान है जो राज्य की प्रकृति , कार्यों , नीतियों तथा उसके सामाजिक प्रभावों का अध्ययन करता है । दूसरी ओर मानवशास्त्र मानव के उन सभी का अध्ययन करने वाला विज्ञान है है । यह यवारों जिनकी प्रकृति सामाजिक होती एक निर्विवाद तथ्य है कि किसी भी समाज की राजनीति पर उसकी संस्कृति और सामाजिक संस्थओं का व्यापक प्रभाव होता है ।
स्पष्ट है कि राजीनतिशास्त्र तथा मानवशास्त्र दो परस्पर सम्बन्धित तथ्यों का अध्ययन करने के कारण एक - दूसरे से सम्बन्धित हैं । दूसरी बात यह है कि मानवशास्त्र तथा राजनीति में अनेक ऐसे विषयों का अध्ययन किया जाता है , जो दोनों विज्ञानों में सामान्य हैं । सरकार, प्रभुत्व, शक्ति, अधिकार, बल प्रयोग, सांस्कृतिक प्रेरणा, प्रशासन तथा गुट आदि इसी प्रकार के विषय हैं ।
आज जैसे - जैसे अन्तर- अनुशासनिक उपागम ( Interdisciplinary approach ) के द्वारा किये जाने वाले अध्ययनों का महत्व बढ़ता जा रहा है , मानवशास्त्र में एक नयी शाखा का विकास हुआ जिसे हम ' राजनैतिक मानवशास्त्र ' ( Political Anthropology ) कहते है । इसके अन्तर्गत आदिम समाजों में सरकार , कानून , प्रशासन तथा प्रभुत्व का अध्ययन राजनीतिशास्त्र की अध्ययन - पद्धतियों के द्वारा ही किया जाता है ।
उपर्युक्त सम्बन्ध के बाद भी मानवशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र में अनेक भिन्नताएँ हैं । इनमें सबसे प्रमुख भिन्नता अध्ययन के दृष्टिकोण की भिन्नता है । उदाहरण के लिए राजनीतिशास्त्र में राज्य को प्रमुख मानते हुए समाज पर इसके द्वारा पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है ।
उसके विपरीत, एक मानवशास्त्री जब किसी आदिम सरकार अथवा राज्य का अध्ययन करता है तब वह सामाजिक - सांस्कृतिक संस्थाओं को प्रमुख मानते हुए इनका राज्य और उसकी नीतियों से सम्बन्ध देखने का प्रयत्न करता है । इसके अतिरिक्त , राजनीतिशास्त्र जहाँ एक विशिष्ट विज्ञान है वही मानवशास्त्र एक सामान्य विज्ञान होने के कारण इससे भिन्न हो जाता है ।
निष्कर्ष :
मानवशास्त्र की प्रकृति , अध्ययन क्षेत्र तथा अन्य विज्ञानों से इसके सम्बन्ध का विवेचना से यह स्पष्ट हो जाता है कि मानवशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के बीच एक कड़ी का काम करता है । वास्तविकता यह है कि किसी भी दूसरे सामाजिक विज्ञान की तुलना में मानवशास्त्र का अध्ययन - क्षेत्र कहीं अधिक व्यापक है । यही कारण है कि मानव को उसके सम्पूर्ण रूप में समझने के लिए इस विज्ञा । के अध्ययन का महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है ।
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