एडम प्रतिवेदन की प्रमुख सिफारिशें। एडम रिपोर्ट की मुख्य सिफारिश क्या थी?
एडम का प्रतिवेदन एवं उसकी संस्तुतियाँ
एडम की रिपोर्ट
19 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में प्रचलित शिक्षा व्यवस्था की जाँच की गयी । केवल मद्रास , बम्बई तथा बंगाल प्रान्तों में जाँच का कार्य हुआ । मद्रास से सर टॉमस मुनरो ने सन् 1855 में यह कार्य करवाया । बम्बई के गवर्नर एल्फिन्सटन ने शिक्षा की जाँच जिलाधीशों के माध्यम से करवायी । परन्तु लॉर्ड विलियम बेण्टिक ने विलियम एडम नामक मिशनरी द्वारा करवायी । एडम् ने अपने तीन प्रतिवेदन 1835 से 1838 ई 0 तक सरकार के समक्ष प्रस्तुत किये।
एडम बेप्टिस्ट मिशन का मान्य सदस्य तथा सच्चा जन - सेवक था । भारतीयों के नैतिक एवं सामाजिक पतन को देखकर उसका हृदय द्रवित हो गया था । वह अन्तःकरण से शिक्षा प्रसार द्वारा उनका मानसिक विकास तथा चारित्रिक उत्थान चाहता था । उसने शिक्षा प्रसार तथा शिक्षा सुधार के लिए निम्नांकित सुझाव दिये -
( i ) शिक्षालयों के अध्यापकों के कार्य के निरीक्षण एवं निर्देशन के लिए प्रत्येक जिले में निरीक्षक नियुक्त किये जायें ।
( ii ) देशी भाषाओं में भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों के सहयोग से पाठ्य पुस्तकों की क्रमबद्ध माला का मुद्रण , प्रकाशन एवं वितरण किया जाय ।
( iii ) शिक्षकों की दीक्षा के लिए नार्मल स्कूलों का निर्माण किया जाय ।
( iv ) परीक्षाएँ नियमित रूप से एक निर्दिष्ट अवधि के अन्तर्गत ली जायँ ।
( v ) प्रत्येक ग्रामीण विद्यालय को अपना व्यय चलाने के लिए भूमि दान दिया जाय ।
( vi ) इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए कुछ जिलों को चुन लिया जाय ।
( vii ) कृषि - शिक्षा के लिए विभिन्न स्थानों पर प्रयोगात्मक फार्म बनाये जायें ।
एडम को ऐसा विश्वास था कि उसकी इस योजना को राष्ट्रीय व्यवस्था की आधारभूत योजना बनाया जा सकता है । उसकी इच्छा थी कि सरकार इस योजना पर क्रियात्मक पग उठाये । परन्तु मैकाले ने उसकी सब आशाओं पर पानी फेर दिया । उसने इस योजना के विरुद्ध रिपोर्ट भेजी । परिणामतः जब वह ऑकलैण्ड के समक्ष रखी गयी , तो उसने इसे स्वीकृत नहीं किया।
एडम ने शिक्षा प्रसार एवं शिक्षा सुधार के साधनों तथा उपायों के सम्बन्ध में निम्नलिखित सुझाव दिये-
1. देशी भाषाओं में भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों के सहयोग से पाठ्य पुस्तकों की क्रमबद्ध माला का मुद्रण , प्रकाशन एवं वितरण किया जाय।
2. शिक्षालयों के अध्यापकों के कार्य के निरीक्षण एवं निर्देशन के लिए प्रत्येक जिले में निरीक्षक नियुक्त किये जायें ।
3. शिक्षकों की दीक्षा के लिए नार्मल स्कूलों का निर्माण किया जाय।
4. परीक्षाएँ नियमित रूप से एक निर्दिष्ट अवधि के अन्तर्गत ली जायें ।
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