समुदाय के शैक्षिक कार्य क्या हैं? (Educational Functions of Community)
समुदाय के शैक्षिक कार्य (Educational Functions of Community) :- समुदाय क्योंकि घर की तुलना में एक सापेक्षिक इकाई है, समुदाय के कार्य पारिवारिक कार्यों को आगे बढ़ना अर्थात् उनकी निरन्तरता कायम करना है। आधुनिक समय में समुदाय तथा है। स्कूल में अन्तः सम्बन्ध अति आवश्यक हैं समुदाय के शैक्षिक कार्य निम्नलिखित है -
1. औपचारिक शिक्षा के लिए प्रबन्ध करना -
समुदाय बालक की औपचारिक शिक्षा का प्रबन्ध करता है। घर की यह एक सामाजिक इकाई है जिसका कर्तव्य है कि औपचारिक तथा क्रमबद्ध रूप से शिक्षा प्रदान करने के लिए शैक्षिक संस्थाएँ स्थापित करें।
2. विभिन्न क्षेत्रों में बालक को आकार देना -
समुदाय को शक्तियों द्वारा बालकों के कौशलों, तथ्यों, आदतों, प्रेरणाओं, तथा मूल्यों को आकार प्रदान किया जाता है, जिसका उसके विकास पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरणतया कुछ समुदायों में कृषि पर इतना बल दिया जाता है कि यह पढ़ने-लिखने से अधिक महत्वपूर्ण बन जाती है।
3. शारीरिक विकास :-
समाज स्थानीय निकायों का संगठन करता है जो सफाई की व्यवस्था करते हैं, पार्क, उद्यान का निम्नांकित करते हैं, व्यायामशालाएं प्रदान करते हैं तथा बालकों को स्वास्थ्य तथा सफाई सम्बन्धी नियमों को सिखाया जाता है। इससे बच्चों के शारीरिक विकास में बड़ी सहायता मिलती है। बच्चे समुदाय के सदस्यों, का अनुकरण कर रहन-सहन के तरीके सीखते है।
4. मानसिक विकास :
समुदाय में बालक को अपनी मानसिक शक्तियों के विकास के अवसर प्राप्त होते हैं। वे विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों से मिलते है, विभिन्न परिस्थितियों से होकर गुजरते हैं, विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों से मिलते है। विभिनन परिस्थितियों से होकर गुजरते है, विभिनन विषयों पर तर्क करते हैं और परिणामस्वरूप उनका मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है।
समुदाय पब्लिक पुस्तकालयों तथा वाचनालयों की व्यवस्था करते है, जिनका लाभ उठाकर बालक अपना मानसिक विकास करते है। समुदाय तथा आयोजित समारोहों, नाटक, सिनेमा आदि की सहायता से भी बालकों का मानसिक विकास होता है। समुदाय की विभिन्न विद्यालयों का निर्माण करता है, जहाँ बालकों की विभिन्न विषयों का ज्ञान भिन्न प्रकार की विधियों से कराया जाता है, जो मानसिक विकास में सहायक होते हैं।
5. सामाजिक विकास-
समुदाय एक ऐसा सामाजिक समूह है जिसके सदस्यों में 'हम' की भावना होती है और उसके सदस्य आपस में मिल जुलकर रहते हैं और अपनी सामाग्री आवश्यकताओं की पूर्ति एक दूसरे के सहयोग से करते हैं। बालक जब परिवार से निकलकर समुदाय में प्रवेश करता है तो उसे समुदाय के सदस्यों का प्रेम, स्नेह, सहयोग सहानुभूति प्राप्त होती है।
समुदाय समय-समय पर साहित्यिक सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनैतिक आयोजन करते हैं। इन आयोजनों में बालक भाग लेते हैं। इन कार्यों के सम्पादन में वे प्रेम, सहानुभूति और सहयोग त्याग और सामंजस्य का सच्चा पाठ पड़ते हैं। समुदाय द्वारा आयोजित जन शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों में भी बालक भाग लेते हैं। इस प्रकार अपने सही अर्थों में बच्चों का सामाजिक विकास समुदाय द्वारा ही सम्भव होता है।
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6. सांस्कृतिक विकास:
बालक अपने परिवार में जो भाषा, रहन-सहन की विधियों रीति-रिवाज, विश्वास, आदर्श और मूल्य सीखते हैं, उनका क्षेत्र समुदाय की तुलना में सीमित होता है। जब बालक समुदाय के सम्पर्क में आते हैं, उनको अधिगम क्षेत्र विस्तृत बन जाता है।
प्रत्येक समुदाय विभिन्न प्रकार की औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षण संस्याओं का निर्माण करने, उनके द्वारा संस्कृति का संरक्षण तथा उसका विकास करने का प्रयत्न करता है। बालक जब समुदाय को सांस्कृतिक क्रियाओं में भाग लेता है तो उसका सांस्कृतिक विकास होता है।
7. नैतिक तथा चारित्रिक विकास-
नैतिक तथा चरित्र के विकास की नीति परिवार में पड़ती है। यदि बालकों की समुदाय में उपयुक्त वातावरण प्राप्त होता है तो यह उनके चरित्र तथा नैतिकता को अधिक सशकत बनाता है बरन वे समुदाय से अन्य बातें सीखते हैं।
उन्हें तो समुदाय में समायोजन करना होता है, यदि समायोजिन में नैतिकता तथा अच्छा चरित्र महत्वपूर्ण है तो वे उसे अपनाते हैं वरन् इसके विपरीत इस प्रकार यह समुदाय का कर्तव्य है कि वह इस बात का ध्यान रखे कि केवल अच्छे गुणों को ही बच्चों में हस्तान्तरित किया जाए और उन्हें निम्न मूल्यों से प्रभावित होने से बचाया जाए।
8. व्यवसायिक तथा औद्योगिक शिक्षा:-
हम जानते हैं कि बालक विभिन्न व्यवसायों तथा उद्योगों की शिक्षा समुदाय से ग्रहण करते हैं भारत में अधिकतर बालक अपने परिवार के व्यवसाय को ही अपनाते है। जैसे एक किसान का बेटा अपने परिवार से कृषि को शिक्षा लेता है और गाँव के अन्य सदस्यों से ही यहीं सीखता है।
लुहार, बढ़ईगिरी आदि को शिक्षा भी बच्चे परिवार अथवा समुदाय के सहयो से प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त समुदाय से वे विभिन्न व्यवसायों से कहना है, "मनुष्य क्योंकि स्वभाव में सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसने सम्बन्धित तकनीकों तथा समस्याओं का भी ज्ञान प्राप्त करते हैं और अपने विचारों के अनुसार उनमें से किसी एक को अपने भविष्य में चुन लेते हैं।
9. आध्यात्मिक विकास
समुदाय बालक के आध्यात्मिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यदि समुदाय धर्म केन्द्रित है तो यह लोगों में आध्यात्मिक शक्तियों के विकास में सहायक होगा वे भगवान तथा आत्मा के बारे में सोचते हैं परन्तु यदि समाज में धर्म के लिए कोई स्थान नहीं है तो लोगों के धार्मिक विचार धीरे-धीरे प्रतिदिन समाप्त होना प्रारम्भ हो जाता है।
प्रत्येक के कर्तव्या को पूरा करने के लिए धार्मिक अभिप्रेरणा सहायक होती है और वास्तविक रूप से अपने धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति सहनशील निःस्वार्थी तथा देश भक्त होगा। उसमें बन्धुत्व की भावना विकसित होगी और वह सदा हो दूसरों की मुसीबतों को बांटने के लिए आगे आता रहेगा।
10. प्रौढ़ शिक्षा :-
बालकों के अतिरिक्त हमारे देश की अधिकतम व्यस्क जनसंख्या अशिक्षित है। यह समुदाय का काम है कि उन्हें शिक्षा द्वारा अच्छे नागरिकों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान प्रदान करें। साक्षरता का अभिप्राय शिक्षा नहीं है। प्रौढ़ शिक्षा से अभिप्राय है एक व्यक्ति को प्रतिदिन के जीवन के उत्तरदायित्वों के लिए शिक्षित करना जैसे स्वास्थ्य कृषि व्यवसाय आदि।
11. आत्म-अभिव्यक्ति की शक्तियों के निर्माण के लिए वातावरण तैयार करना :
समुदाय का कर्तव्य है कि विचारों के विकास के लिए बच्चों को वातावरण प्रदान करने वह जिससे वह विपरीत परिस्थितियों में भी सन्तुलन न खोये और उस समय वह अन्धाधुन्ध दूसरों का अनुगमन न करे। आत्माभिव्यक्ति की शक्ति के निर्माण के लिए दृश्य-श्रव्य सामग्री, सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन, नाटकइत्यादि अधिक प्रभावो सिद्ध होते हैं। इसके लिए पत्र-पत्रिकाएँ, समाचार-पत्रों इत्यादि का अध्ययन भी सहायक होगा। इसलिए समुदाय बच्चों के लिए ऐसी सामग्री का प्रबन्ध करता है।
12. उच्च आदशों की स्थापना
समुदाय का अन्य कार्य है उच्च आदर्शों की स्थापना करना। उच्च आदर्श युक्त समुदाय ऊँचाइयों पर होगा। समुदाय द्वारा स्थापित उच्च आदर्श वातावरण को अधिक से अधिक नैतिक बनायेंगे तथा शान्ति खुशहाली और प्रगति लायेंगे।
13. शिक्षा के उद्देश्यों का निर्माण एवं शिक्षा पर नियन्त्रणः
प्रत्येक समुदाय अपनी भावी प्रगति के आधार पर शिक्षा के उद्देश्यों का निर्धारण करता है तथा इन्हें प्राप्त करने के लिए विभिन्न विद्यालयोंमें प्रदान की जाने वाली शिक्षा पर नियन्त्रण भी रखता है।
14. शिक्षा के लिए धन की व्यवस्था:
लोकतन्त्र में सरकार का कर्तव्य है सभी के लिए शैक्षिक सुविधाएँ प्रदान करना और समुदाय के सदस्य इसके लिए कर देते हैं। दूसरों ओर समुदाय स्वयं भी बालकों की शिक्षा के लिए स्कूल खोलता है।
इस प्रकार हम देखते है कि शिक्षा के क्षेत्र में समुदायों का सहयोग बहुत प्राचीन काल में चला आ रहा है और आज भी वे बच्चों की शिक्षा में सबसे अधिक सहयोग देते हैं। इस सम्बन्ध में विलियम योगर का वर्षों के अनुभव से यह सीख लिया है कि व्यक्तित्व और सामूहिक क्रियाओं का विकास समुदाय द्वारा ही सर्वोत्तम रूप से किया जा सकता है।
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