वनस्थली विद्यापीठ (Banasthali Vidyapeeth)
वनस्थली विद्यापीठ की शिक्षा का पंचमुखी कार्यक्रम (Five Type Program in Education)
वनस्थली विद्यापीठ में बालिकाओं के पंचमुखी विकास का कार्यक्रम अपनाया गया है, जो निम्न प्रकार है-
1. शारीरिक शिक्षा (Physical Education)
बालिकायें शारीरिक रूप से स्वस्थ व शक्तिशाली हों, ऐसा प्रयास किया जाता है। यहाँ बालिकायें केवल शारीरिक व्यायाम और खेलों में ही भाग नहीं लेर्ती, वरन् घुड़सवारी भी करती हैं। लाठी, भाला और तलवार चलाती हैं तथा यौगिक आसनों का अभ्यास करती हैं। अब यहाँ बालिकाओं की एन. सी. सी. भी प्रारम्भ हो गयी है। इसके पीछे धारणा यही है कि महिलायें शारीरिक बल में पुरुषों से हीन न रहें।
2. बौद्धिक विकास (Mental Development)
वनस्थली विद्यापीठ में बालिकाओं के बौद्धिक विकासको आवश्यकमानागयाहै, किन्तुइस कार्यकेलिए प्रचलितशिक्षाप्रणाली की पुस्तकीयशिक्षा और परीक्षा प्रणाली जैसी दोषपूर्ण विधियाँ नहीं अपनायी गयी हैं। बालिकायें यहाँ उन्मुक्त विचरण और सामाजिक सम्बन्धों द्वारा विभिन्न अनुभव प्राप्त करती हैं। बड़ी कक्षाओं में भी पुस्तकीय ज्ञान पर अधिक बल नहीं दिया जाता है। विचार-विमर्श, वाद-विवाद, भ्रमण आदि विधियों द्वारा वास्तविक रूप में बौद्धिक विकास किया जाता है।
3. व्यावहारिक शिक्षा (Behaviour Education)
वनस्थली में व्यावहारिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। इस उद्देश्य से उन्हें भोजन बनाना, बिस्कुट, पापड़, बड़ी, मुगौड़ी बनाना, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई जैसे घरेलू उद्योगों के साथ-साथ कताई, बुनाई, रंगाई, छपाई, तेल, बेसलीन, कागज बनाना जैसे व्यावसायिक उद्योग भी सिखाये जाते हैं।
4. नैतिक शिक्षा (Moral Education)
वनस्थली के पूरे वातावरण को पवित्र बनाने हेतु व छात्राओं को नैतिकतापूर्ण आचरण की शिक्षा देने हेतु' साप्ताहिक गोष्ठियों' का आयोजन किया जाता है. जिनमें आचरण और चरित्र निर्माण सम्बन्धी विषयों पर विचार-विमर्श किया जाता है। सर्व धर्म समभाव को दृष्टि में रखकर सभी धर्मों को पुस्तकों का पाठ व प्रार्थनाएँ भी होती है।
5. कलात्मक शिक्षा (Art Education)
बालिकाओं के स्वस्थ, भावनात्मक विकास हेतु उन्हें संगीत, नृत्य, चित्रकला और ललित कलाओं की शिक्षा भी दी जाती है।
वनस्थली विद्यापीठ के विभिन्न स्तरों की शिक्षा के पाठ्यक्रम
1. प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5 तक)
यहाँ शारीरिक शिक्षा हेतु ड्रिल तथा खेलकूद की व्यवस्था है, व्यावसायिक शिक्षा हेतु बच्चियों से सफाई आदि कार्य कराये जाते हैं। कला शिक्षा में चित्रकला, संगीत, गायन का समावेश किया जाता है। नैतिक शिक्षा हेतु प्रतिदिन सामूहिक प्रार्थना का आयोजन किया जाता है और बौद्धिक शिक्षा हेतु मातृभाषा हिन्दी, गणित, इतिहास, भूगोल और गृह विज्ञान का सामान्य ज्ञान कराया जाता है।
2. उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6 से 8 तक)
इस स्तर पर पाठ्यक्रम पंचमुखी शिक्षा पर आधारित है। शारीरिक शिक्षा, बौद्धिक विकास, व्यावहारिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा व कलात्मक शिक्षा से सम्बन्धित विषयों का समावेश किया गया है।
3. माध्यमिक स्तर (सैकेण्डरी स्कूल, सर्टिफिकेट परीक्षा, कक्षा 9 तथा 10)
प्रारम्भ में तो इस स्तर का पाठ्यक्रम राजस्थान माध्यमिक बोर्ड के अनुसार था, परन्तु 1974 में इनके ऑटोनोमस हो जाने पर इसका अपना पाठ्यक्रम तैयार किया गया। इस समय यह 10+ 2+ 3 की शैक्षिक संरचनानुकूल है। मातृभाषा हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, सामाजिक जीवन, भौतिक विज्ञान, कला, संगीत और गृह विज्ञान आदि इस स्तर के पाठ्यक्रम के मुख्य विषय हैं। इसी प्रकार साइंस वर्ग में हिन्दी, अंग्रेजी के अतिरिक्त भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, वनस्पति विज्ञान और जन्तु विज्ञान के शिक्षण की व्यवस्था है।
वनस्थली शिक्षा की शैक्षिक संरचना
वनस्थली महिला शिक्षा की एक अखिल भारतीय संस्था है। यहाँ नर्सरी शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालयी शिक्षा तक की व्यवस्था है। विद्यापीठ में शैक्षिक संरचना का स्वरूप निम्न प्रकार से संचालित है-
1. प्राथमिक विभाग
2. माध्यमिक विभाग- सामान्य हाईस्कूल, बहुउद्देशीय विद्यालय
3. संस्कृत विभाग
4. महाविद्यालय विभाग।
उपरोक्त विभागों के अतिरिक्त विद्यापीठ में निम्नांकित विभाग भी हैं-
(क) संगीत (गायन तथा वादन) विभाग।
(ख) चित्रकला विभाग।
(ग) शारीरिक शिक्षा विभाग।
मूल्यांकन (Evaluation)
मूल्यांकन प्रक्रिया का आधार केवल वार्षिक परीक्षायें ही नहीं हैं, वरन् बालिकाओं का मूल्यांकन उनके प्रतिदिन के कार्य के आधार पर किया जाता है। सहगामी क्रियायें शिक्षा का एक अनिवार्य अंग हैं।
शिक्षा का माध्यम
शिक्षा का माध्यम हिन्दी है, परन्तु उच्च स्तर पर विज्ञान एवं तकनीकी विषयों का शिक्षण अंग्रेजी भाषा के माध्यम से दिया जाता है।
शिक्षण संस्थाएँ
वनस्थली विद्यापीठ में विभिन्न स्तरों और विभिन्न प्रकार के शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग शिक्षण संस्थाएँ हैं, जैसे-
1. बाल मन्दिर इसमें प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 5 तक) का प्रबन्ध है।
2. माध्यमिक विद्यालय इसमें निम्न माध्यमिक, माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा) का प्रबन्ध है।
3. ज्ञान-विज्ञान महाविद्यालय इसमें विभिन्न विषयों में स्नातक और परास्नातक को शिक्षा तथा शोधकार्य की व्यवस्था है, साथ ही अनेक सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोसों की भी व्यवस्था है।
4. वेद महाविद्यालय इसमें संस्कृत भाषा में ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के प्रारम्भिक एवं उच्च दोनों अध्ययनों की सुविधा है।
5. शिक्षा महाविद्यालय इस महाविद्यालय में बी. एड और एम. एड. की शिक्षा और शिक्षा के 5. क्षेत्र में शोधकार्य की व्यवस्था है। प्रारम्भ में यह महाविद्यालय भी राजस्थान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था, परन्तु अब यह' वनस्थली विद्यापीठ' ग्रामीण महिला विश्वविद्यालय का ही एक अंग है।
6. शान्ति विश्वनीडम्भवन में विदेशी छात्राओं के रहने की व्यवस्था है, साथ ही साथ उनके लिए चलाये जाने वाले विशेष पाठ्यक्रमों- गाँधीजी के विचार एवं व्यवहार, भारतीय भाषाओं भारतीय चित्रकला, भारतीय संगीत और भारतीय नृत्य के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था है।
7. शारीरिक शिक्षा विद्यालय इस विद्यालय में महिलाओं के लिए शारीरिक शिक्षा द्विवर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी चलता है।
परीक्षा व प्रमाणपत्र (Examination and Certificates)
वनस्थली विद्यापीठ पूर्ण रूप से स्वायत्तशासी संस्था है। यही अपनी छात्राओं की परीक्षा लेती है और यहाँ उन्हें प्रमाणपत्र देती है। इसके प्रमाणपत्र पूरे देश में मान्यता प्राप्त है।
वनस्थली विद्यापीठ के कुछ विशेष नियम एवं प्रावधान (Some Rules and Regulations of Banasthali Vidyapeeth)
1. सभी शिक्षक, शिक्षिकाओं, अन्य कर्मचारियों व छात्राओं को हर समय खादी वस्त्र पहनने अनिवार्य है।
2. सभी छात्राओं को छात्रावासों में रहना होता है। छात्रावासों में केवल शाकाहारी भोजन की व्यवस्था है।
3. स्नातक स्तर पर विवाहित महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाता है। स्नातकोत्तर और उसमें आगे के पाठ्यक्रमों में विशेष परिस्थितियों में विवाहित महिलाओं को भी प्रवेश की अनुमति दी जाती है, परन्तु उस समय उनकी आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए।
4. छात्राओं को अपने कमरों की सफाई स्वयं करनी होती है और अपने बर्तन भी स्वयं ही साफ करने होते हैं।
वनस्थली विद्यापीठ की विशेषताएँ (Characteristics of Banasthali Vidyapeeth)
1. यह विद्यापीठ सावासिक है। विद्यापीठ के प्रांगण में निवासियों की बालिकाओं के अतिरिक्त अन्य सभी को छात्रावास में रहना आवश्यक होता है। विद्यापीठ में विशेष सुविधाओं से युक्त लगभग पच्चीस छात्रावास हैं।
2. वनस्थली विद्यापीठ का वातावरण शान्त, प्राकृतिक तथा पारिवारिक है।
3. वनस्थली विद्यापीठ एक छोटा-सा स्वतन्त्र उपनिवेश है। इसका अपना डाक, तारघर, बैंक, हवाई अड्डा, बिक्री केन्द्र, चक्की, तेल घानी, गौशाला आदि हैं। विद्यापीठ के पास 800 एकड़ भूमि है।
4. यह विद्यापीठ केवल बालिकाओं के लिए है। इसमें देश के सभी भागों और विदेशों से भी बालिकायें शिक्षा ग्रहण करने आती हैं।
5. वनस्थली में शिशु कक्षा से लेकर उच्चतम शिक्षा व अनुसन्धानों की व्यवस्था है।
6. बालिकाओं के बौद्धिक, शारीरिक, नैतिक विकास के साथ-साथ उन्हें गृहकार्यों में भी दक्ष बनाया जाता है। सभी बालिकाएँ अपने कक्ष की सफाई, कपड़े धोना, बर्तन माँजना जैसे कार्य स्वयं हो करती हैं।
7 छात्राओं में स्वतन्त्रता, उत्तरदायित्व एवं स्वावलम्बन की भावनाओं का विकास किया जाता है। साथ ही उन्हें भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं के अनुरूप ही ढाला जाता है।
8. सभी बालिकाओं का एक सम्मिलित कोष होता है जिसमें से वे अपनी आवश्यकतानुसार धन निकाल सकती है।
9.यहाँ बिना किसी प्रकार के वर्गभेद के समानता का सिद्धान्त अपनाया गया है।
10. पाठ्यविषयों के चुनाव के लिए मार्गदर्शन की व्यवस्था की गयी है।
11. बालिकाओं में राष्ट्रप्रेम और देशसेवा की भावनाओं का विकास किया जाता है।
12 प्रति वर्ष अभिभावक सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
13. माध्यमिक स्तर पर पाठ्यक्रम को बहुउद्देश्यीय रखा गया है।
विद्यापीठ के कुछ दोषगत बिन्दु (Points of Demerits of Vidyapeeth)
विद्यापीठ में कुछ दोष भी हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. विद्यापीठ का अपना प्राकृतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व शैक्षिक परिवेश है जो देश के वास्तविक परिवेश से अलग है। अतः इस परिवेश में रहकर छात्राओं को वास्तविक जीवन हेतु कैसे तैयार किया जा सकता है।
2. विद्यापीठ की अनुपयुक्त परिस्थितियाँ छात्राओं को प्रतिकूल अनुभूति कराती हैं। उदाहरणार्थ आज हमारे देश में सभी प्रकार के वस्त्रों की उपलब्धता होने पर भी वहाँ खादी वस्त्र की अनिवार्यता का कोई औचित्य नजर नहीं आता है।
3. यहाँ कॉमर्स, लॉ एवं मेडिकल की शिक्षा का अभाव है। यद्यपि यह संस्था अब डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो चुकी है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी केवल कम्पयूटर साइंस की शिक्षा की व्यवस्था है। यदि इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, सिविल व मैकेनिकल ब्रांचों और कॉमर्स, लॉ व मेडिकल साइंस की शिक्षा की व्यवस्था भी कर दी जाये तो फिर यह शिक्षा संस्था महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक सम्पूर्ण एवं आदर्श शिक्षा संस्था होगी।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि 'वनस्थली विद्यापीठ' महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक सफल प्रयोग है। इसकी पंचमुखी शिक्षा बालिकाओं को वास्तविक भारतीय जीवन के लिए तैयार करती है। भारतीय संस्कृति का संरक्षण और राष्ट्र का आध गुनिकीकरण ऐसी ही शिक्षण संस्थाओं द्वारा सम्भव है। यहाँ का परिवेश और शिक्षण व्यवस्था जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
पुरुषों तथा सारे समाज के जीवन का आधार एक प्रकार से नारी ही है। वह किस प्रकार अधिक से अधिक सहारा उनको दे सकती है तथा मानव जीवन को सुन्दर व सरस बना सकती है, इसकी क्षमता भरने का पूरा प्रयास बनस्थली विद्यापीठ की शिक्षा में किया जाता है। यह एक प्रशंसनीय प्रयास है। इस प्रकार बनस्थली विद्यापीठ महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक अद्वितीय प्रयोग है। यह संस्था दिनोंदिन आगे बढ़ती ही जा रही है।
इन्हे भी पढ़ना ना भूलें -
- आदर्शवाद और शिक्षा (Idealism and Education)
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- Teacher Evaluation: अध्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता
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