Anemia in adolescence - किशोरावस्था में रक्ताल्पता

किशोरावस्था में रक्ताल्पता

रक्ताल्पता या रक्तहीनता का अर्थ होता है रक्त में हीमोग्लोबिन का प्रतिशत कम होना। किशोरावस्था तेरह वर्ष से प्रारम्भ होकर इक्कीस वर्ष तक चलती है। किशोरावस्था में किशोर एवं किशोरी में शारीरिक परिवर्तन होते हैं।


किशोरावस्था में शारीरिक विकास अधिक होने के कारण किशोर एवं किशोरी को इस काल में अधिक पोषण की आवश्यकता होती है।


किशोरावस्था में उचित पोषण के अभाव में किशोर एवं किशोरी प्रायः कमजोरी महसूस करते हैं। इसके अतिरिक्त साँस फूलना, चक्कर आना, सिरदर्द, भूख में कमी का होना आदि भी किशोरावस्था में रक्ताल्पता के लक्षण हैं।

किशोरावस्था में रक्ताल्पता

किशोरावस्था में शरीर में प्रोटीन, लौह लवण, विटामिन B-12, फोलिक एसिड, विटामिन-सी आदि की कमी के कारण रक्ताल्पता होती है।


किशोरावस्था में रक्ताल्पता न हो इसके लिये उचित भोजन ग्रहण करना चाहिये। किशोरों एवं किशोरियों के भोजन में उच्च भोजन मूल्य के भोज्य पदार्थों यथा अनाज, दालें, फलियाँ, सूखे मेवे, ताजे फलों के रस साबुन दालें, माँस, मछली, अण्डा, दूध, पनीर आदि को रक्ताल्पता से बचने के लिये सम्मिलित करना चाहिये।


दवा के रूप में किशोर एवं किशोरी को रक्ताल्पता में फेरस सल्फेट की गोलियाँ दिन में 4 बार लेनी चाहिये।


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