उपलब्धि परीक्षण - Achievement Test
किसी व्यक्ति की किसी विशिष्ट क्षेत्र में सफलताओं या उपलब्धियों को मापने के लिए उपलब्धि परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है। स्कूलों में छात्रों की विभिन्न विषयों में प्राप्त शिक्षा की जाँच करने के लिए उपलब्धि परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है। इन परीक्षाओं से इस बात का पता चलता है कि छात्रों ने अपने शिक्षण अनुभव से क्या प्राप्त किया ?
अतः ये परीक्षाएँ भूतकाल के क्रियायों का ही परीक्षण करके उस बात का पता लगाया जाता है कि वह अब तक क्या सीखता या क्या प्राप्त करता रहा। इन विशेषताओं के आधार पर यदि हम उपलब्धि परीक्षण की परिभाषा करने का प्रयास करें तो इसकी परिभाषा इस प्रकार की होगी।
विधंम के अनुसार, ''उपलब्धि परीक्षण वह माप है जिसके द्वारा स्कूल के अंदर तथा बाहर ज्ञान को समय तथा प्रकृति के अनुसार देखा जाता है।
गैरेट के अनुसार, "उपलब्धि परीक्षणों का प्रयोग छात्रों के सामान्य शैक्षिक स्तर या स्थिति और किसी विशेष विषय में उनके ज्ञान का निश्चय करने के लिए किया जाता है।"
इतिहास विषय में उपलब्धि परीक्षण निर्माण की प्रक्रिया: उपलब्धि परीक्षणों का निर्माण एक गंभीर कार्य है। इसके लिए पर्याप्त योजना की आवश्यकता होती है। इतिहास विषय में उपलब्धि परीक्षण निमार्ण प्रक्रिया के निम्न पद है -
1. लक्ष्य निर्धारित करना परीक्षण के लक्ष्य सुनिश्चित होने चाहिए। छात्रों द्वारा वांछित व्यवहार के विशिष्ट परिवर्तनों के अनुरूप परीक्षण के लक्ष्य पहले से ही निर्धारित होने चाहिए।
2. पूरे इकाई का विशेष ध्यान देना: परीक्षण में निर्धारित की जाने वाले सामग्री प्रत्यक्ष रूप से उस विषय वस्तु पर आधारित की जानी चाहिए। जिसे अध्यापक द्वारा पढ़ाया जा चुका है। अध्यापक को छात्रों को दिए गए अनुभव की रूप रेखा तैयार कर लेनी चाहिए।
3. प्रश्नों के प्रकार प्रश्नों के प्रकार का निर्णय कर लेना भी परीक्षण पत्र के निर्माण का महत्वपूर्ण तत्व है। तीनों प्रकार निबन्धात्मक, लघुउत्तरीय तथा वस्तुपरक प्रश्न रखे जाते हैं। लेकिन अधिकांशतः उपलब्धि परीक्षण में वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों का चयन ही किया जाता है।
4. समय का निर्णय छात्रों का प्रश्न का उत्तर देने के लिए कितना समय दिया जाएगा, इसका भी पहले से निर्णय कर लेना चाहिए।
5. ब्लू प्रिंट तैयार करना यह परीक्षण योजना का सबसे कठिन चरण है। ब्लू प्रिन्ट एक प्रकार का डिजाइन होता है जिसमें विशिष्ट लक्ष्यों, उपकरणों तथा प्रश्नों के लिए अंक निर्धारित किए जाते हैं। अतः ब्लू प्रिंट तैयार करते समय उपर्युक्त चारों बातों की ओर ध्यान देना चाहिए।
6. प्रश्नों को गठित एवं व्यवस्थित करना परीक्षण में दिए जाने वाले प्रश्नों को उचित रूप में गठित एवं व्ययवस्थित करने की आवश्यकता होती हैं। इसमें निम्न बातों से सहायता मिलती है। निबन्धात्मक एवं वस्तुपरक प्रश्न अलग-अलग निर्देश भागों में रखे जाने चाहिए और उनके लिए अलग-अलग समय निर्धारित होना चाहिए। प्रत्येक भाग के लिए अलग-अलग निर्देश होने चाहिए। प्रश्न आसान से कठिन की ओर बनाए जाने चाहिए।
7. प्रश्न लिखना और उनकी कठिनाई का अनुभव लगाना- उपर्युक्त ढंग से योजना बनाने के पश्चात् अध्यापक को सभी प्रश्न लिखने चाहिए। प्रत्येक प्रश्न में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों के प्रतिशत के आधार पर उस परीक्षण के परीणामों का विश्लेषण करना चाहिए।
8. अंकन तालिका तैयार करना :- अंकन में वस्तुपरकता लाने के लिए अंकन विधि के पहले से निश्चित किया जाना चाहिए। केवल वस्तुपरक प्रश्नों के लिए ही नहीं बल्कि निबन्धात्मक प्रश्नों तथा लघु-उत्तरीय प्रश्नों के लिए अंकरन विधि पहले से निर्धारित होनी चाहिए।
उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर इतिहास का अध्यापक अपने छात्रों के लिए उपलब्धि परीक्षण का निर्माण कर, अंकन तालिका की सहायता से छात्रों की उपलब्धियों का मूल्याकंन कर सकता है।
इसे भी पढ़ें -
परियोजना विधि के सिद्धांत एवं प्रकार शिक्षण युक्तियों का अर्थ पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत पाठ योजना की इकाई उपागम से आप क्या समझते हैं? अर्थशास्त्र शिक्षण में प्रायः किन विधियों का प्रयोग होता है? शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में कम्प्यूटर का उपयोग Planning method: योजना विधि के गुण एवं दोष Flannel Board: फ्लैनल बोर्ड किसे कहते हैं ? Evaluation: मूल्यांकन क्या है? Speech method: व्याख्यान या भाषण विधि क्या है?