अनुदेशन उद्देश्यों के निरूपण में विषय-वस्तु विश्लेषण की भूमिका ( Role of content analysis in formulating instructional objectives )
विद्यालयीं पाठ्यक्रम में शामिल किसी भी विषय के लिए जो पाठ्यक्रम निर्धारित किया जाता है। उसे इस तरह की विषय-वस्तु तथ अधिगम अनुभव को स्थान देने का प्रयत्न किया जाता है। जिसके शिक्षण अधिगम के एक कक्षा विशेष के लिए निर्धारित अनुदेशन उद्देश्यों की पूर्ति में पूरी-पूरी मदद मिल सकें। पाठ्यक्रम में शामिल विषय विशेष की यह विषय सामग्री प्रायः वृहत तथा लघु सम्प्रत्ययों इकाइयों, प्रकारों तथा एकल सम्प्रत्यय के रूप में आयोजित एवं संगठित रहती है।
इसी तरह जब किसी अध्यापक को किसी इकाई या प्रकरण विशेष को पढ़ाना पढ़ता हैतो वह अपनी सुविधा हेतु इसे इसके अवयवों यानी उपइकारों उपप्रकरणों या एकल सम्प्रत्ययों के रूप में क्रमिक रूप से व्यवस्थित एवं संगठित कर लेता है। इस प्रकार से किसी पाठ्यक्रम इकाई या प्रकरण विशेष पढ़ाना होता है तो वह अपनी सुविधा हेतु इसे इसके अवयवों यानी उपप्रकरणों, उपइकाईयों के रूप में क्रमिक रूप से व्यवस्थित एवं संगठित कर लेता है इस प्रकार से किसी पाठ्यक्रम कोर्स, इकाई या प्रकरण की विषय-वस्तु को इसके अवयवों या भागों में बांटने की प्रक्रिया को जब केवल मात्र उसके क्रमिक रूप से सुव्यवस्थित एवं संगठित करने के उद्देश्य को लेकर सम्पन्न किया जाता है तो उसे विषय-वस्तु विश्लेषण की संज्ञा दी जाती है।
बालक के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए हम शिक्षण के माध्यम से छात्रों को वांछित अनुदेशन प्रदान करते हैं। इन अनुदेशन को हम पाठ्यवस्तु द्वारा प्रदान करते हैं। पाठ्यवस्तु का भलीभांति किया गया विश्लेषण ही अनुदश उद्देश्यों की सफलता का द्योतक है।
शिक्षक शिक्षण उद्देश्य और इनके विकास के लिए उपलब्ध पाठ्य सामग्री के आधार पर छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए उपलब्ध पाठ्य सामग्री के आधार पर छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए उपलब्ध पाठ्य सामग्री के आधार पर छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास, रूचि, प्राप्त ज्ञान तथा क्षमता को दृष्टिगत रखते हुए अपने अनुभव और अन्तर्दृष्टि द्वारा पाठ्य-वस्तु का विश्लेषण करता है। उसे कौन सा पाठ पढ़ाना है, कौन से अनुभव देने है, किस प्रकार पढ़ाना है, किन शिक्षण बिन्दुओं पर कितना समय देना है, जिससे अनुदेशन उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
शिक्षण बिन्दुओं का निर्धारण शिक्षण प्रक्रिया को योजनाबद्ध करता है। शिक्षक क्रिया में स्पष्टता तथा निश्चितता प्राप्त होती है तथा अनुदेशन उद्देश्यों के प्राप्त करने में सरलता होती है। अतः कहा जा सकता है कि अनुदेश उद्देश्यों के निरूपण में विषय वस्तु विश्लेषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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