रफू व पैबंद करने की क्रिया
रफू वैसे तो यह बड़ी कला है। इसको करने वाले बड़ी सुन्दरता से रफू करते हैं। इसका प्रयोग कटे - फटे कपड़ों पर किया जाता है। रफू करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कपड़े के ताने से ताना तथा बाने से बाना मिल जाना चाहिये।
इसलिए अधिकतर रफू करने वाले व्यक्ति जिस वस्त्र पर रफू करते हैं । उसी वस्त्र का धागा निकालकर रफू करते हैं क्योंकि नये धागे से रफू करने से रंग में अन्तर दिखाई पड़ेगा । रफू रकते समय बहुत सावधानी की जरूरत होती हैं , जिससे उसकी बनावट तथा डिजाइन के अनुसार रफू हो सके ।
पैबंद करने की प्रक्रिया
जैसे किसी भी जगह पर कपड़ा अटककर या खोंचा लगकर फट जाये तो उसमें पेबन्द की जरूरत होती है । इसीलिए उसमें उसके साथ का कपड़ा चौकोर या तिकोना या गोल किसी भी प्रकार का । इन बातों का ध्यान में रखना जरूरी है । ताने में लाना और बाने से बाना मिलना चाहिये।
कोई ऐसे कपड़े हैं जिसके ऊपर दूसरे रंग का कपड़ा डिजाइन बनाकर काज स्टिच के टाँके से उस कपड़े की सुन्दरता बढ़ाने के लिए पैग लगा दिया जाता है। पेबन्द लगाते समय जैसा भी पीस लगाना हो उसी के अनुसार उसके अन्दर से कपड़ा निकाल कर लगा दिया जाता है।
तुरपाई करते समय धागा कपड़े के रंग से मिलता - जुलता कपड़ा हो और उसे तुरपाई से टाँक दिया जाये, पैच कोई भी डिजाइन बनाकर फूल या कोई जानवर उसको कपड़े के ऊपर काज के टाँके से चिपका दिया जाता है।
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