लिनन निर्माण प्रक्रिया | Manufacturing Process of Linen in Hindi
लिनन निर्माण प्रक्रिया ( Manufacturing Process of Linen ) - लिनन के उत्पादन हेतु विभिन्न प्रक्रियाओं को सम्पादित करना होता है । इन क्रियाओं का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट होता है
1. बुवाई व कटाई ( Cultivation & Harvesting )
लिनन का खेती के लिए गहरी अच्छी जोती ही भूमि होनी चाहिये । इसके लिये मृदु तथा स्वच्छ जल पर्याप्त मात्रा में हो तथा समशीतोष्ण तथा नम जलवायु अच्छी रहती है ।
इसके बीज अप्रैल - मई में बोये जाते हैं तथा अगस्त महीने तक फसल कटने योग्य हो जाती है । फ्लैक्स का पौधा प्रतिवर्ष बोया जाता है । इसके तने की लम्बाई 40 " होती है ।
जब इसके पौधे का रंग जड़ के पास से पीला पड़ जाता है तब इस रेशे को जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है । तने को उखाड़ते समय विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि तना यदि बीच में टूट जायेगा तो इसके रेशों का रस सूख जायेगा ।
जिससे तन्तु बदरंग व छोटे प्राप्त होंगे । इन तनों के बण्डल बना लिये जाते हैं । इस प्रक्रिया के सभी कार्य अत्यन्त सावधानी से करने चाहिए ।
2. सूखाना व हिलाना ( Drying & Rippling ) -
फ्लैक्स के बँधे बण्डलों को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है । तत्पश्चात् पौधों के तने को हिलाकर उसकी पत्तियों व बीजों को उससे अलग कर दिया जाता है ।
तने से पत्तियों तथा बीजों को अलग करने का कार्य मशीनों के द्वारा भी किया जाता है । इस क्रिया को करते समय पूरी सावधानी रखनी चाहिए ताकि तनाव न टूट जाये । इसके वापस बण्डल बाँध दिये जाते हैं ।
3. मुलायम करना ( Retting ) -
इन बण्डलों को पानी में गलाने के लिए ( Fermentation ) में डाल दिया जाता है । पानी में पड़ा रहने पर तने की ऊपरी छाल गल जाती है । रेशे आपस में जिस पदार्थ से सटे रहते हैं , वह पदार्थ भी पानी में घुल जाता है । इस प्रकार रेशे स्वतन्त्र होकर अलग - अलग बिखर जाते हैं ।
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