सिल्क के धागे का निर्माण | Manufacture of Silk Thread
सिल्क की कताई विशिष्ट विशेषज्ञ कारीगरों के द्वारा होती है। गांठों को खोलकर एक बार फिर इन्हें रेशों के आकार , आकृति, रंग, लम्बाई मात्रा, बनावट आदि के अनुसार छाँटा जाता है। इन कारीगरों की निपुण और अभ्यस्त अँगुनियाँ केवल स्पर्श से ही हर लच्छी की किस्म को पहचान लेती हैं ।
छंटाई के बार लच्छियाँ को साबुन वाले गर्म पानी में रखा जाता है । इस प्रक्रिया से उन पर का सेरेसिन थोड़ नरम और ढीला पड़ जाता है । सेरेसिन के ढीला पड़ने से धागे को हैंडल करना सरल हो जाता है। इन लच्छियों को जब उनका जलांश सूख जाता है, तब फ्रेम पर चढ़ाकर इनके छोर बोवन पर लपेट दिया जाता है। इस प्रकार, बोबिन पर धागा लपेटने की क्रिया आरम्भ हो जाती है।
लपेटते समय ही धागे पर वांछित ऐंठन भी दी जाती है। धागे के व्यास में समानता लाने के लिए इन्हें रोलरों के बीच से निकाला जाता है । इतना करने के बाद भी एक बार फिर भली-भाँति परीक्षा की जाती है और दोषपूर्ण धागों को हटा दिया जाता है। इस प्रकार अनेक प्रक्रियाओं के बाद धागे बुनाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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