पोषण का महत्त्व | Nutritional value in Hindi

पोषण का महत्त्व | Nutritional value in Hindi

प्रयोगों के आधार पर देखा गया है कि केवल पोषण के आधार पर हम निम्न सफलताएँ प्राप्त करते हैं-


( 1 ) पोषक का प्रभाव शारीरिक रचना पर भी पड़ता है। सामान्यतः हमारे देश के बच्चों की शारीरिक बनावट, ( वजन, ऊँचाई ) पश्चिमी देशों ( यूरोप , अमेरिका , इंग्लैण्ड ) के बच्चों की तुलना में कम होती है । प्रयोगों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि पूर्वी देशों ( चीन, बर्मा, बांग्लादेश व भारत आदि ) के बच्चों को अच्छा पोषण देने पर उनकी ऊँचाई में 20cm. वृद्धि दिखाई दी। 


( 2 ) प्रयोगों के आधार पर यह भी पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान माँ के स्वास्थ्य का बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। अच्छा आहार लेने वाली महिलाओं में से 94 % महिलाओं ने स्वस्थ शिशुओं को जन्म दिया , निम्न स्तर का आहार लेने वाली महिलाओं में से 92 % महिलाओं के शिशु कुपोषित पैदा हुए , केवल 8 % स्वस्थ थे । 


( 3 ) अनेक प्रयोग करने पर यह देखा गया कि फिलीपीन के लोगों को पहले से प्रयोग में आने वाले पीले चावल के स्थान पर सफेद अच्छा चावल दिया गया तो उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दिया । इस परिवर्तन से फिलीपीन में बेरी - बेरी नामक रोग के रोगियों में वृद्धि हो गई ; क्योंकि चावल की ऊपरी सतह में विद्यमान इस रोग के निरोधक तत्त्व परिष्करण के दौरान नष्ट हो जाते थे । वही पोषक तत्त्व चावल में मिलाकर देने पर इस बीमारी में कमी दिखाई दी , साथ ही मृत्यु दर में भी कमी आई । 


( 4 ) सही पोषण लेने से हृदय रोगों के कारण बढ़ने वाली मृत्यु दर को 25 % कम किया जा सकता है ; श्वसन तन्त्र के कारण होने वाली बीमारियों से 20 % तथा कैंसर से 20 % तक बचा जा सकता है । ( 5 ) प्रयोगों के आधार पर पता चलता है कि पहाड़ी इलाकों में होने वाले रोग घेंघा ( goitre ) के रोगी को नमक में आयोडीन मिलाकर देने से इस रोग को कम किया जा सकता है । साथ ही बच्चों में होने वाली दाँतों की बीमारियों के लिए फ्लेरिन मिला पानी देने से लाभ होता है।


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