पूरक आहार क्या होता है? | What is dietary supplement?
शिशु के पूरक आहार से तात्पर्य उस आहार से है जो दूध के अलावा शिशु शरीर की आवश्यक पौष्टिक तत्वों की माँग को पूरा करता है । यद्यपि दूध पूर्ण आहार है किन्तु इसमें लौह तत्त्व , विटामिन - सी अनुपस्थित होते हैं । शिशु जन्म के छः माह बाद शिशु शरीर की माँग मात्र दुग्धपान से पूर्ण नहीं हो पाती है । ऐसी स्थिति में शिशु को दूध के साथ - साथ ' पूरक आहार ' की भी आवश्यकता होती है ।
यदि शिशु स्तनपान करता है तो पूरक आहार 6 माह की आयु के बाद देने प्रारम्भ करने चाहिये और यदि शिशु ऊपरी दूध पीता है तो तीसरे माह से ही पूरक भोज्य पदार्थ देना प्रारम्भ कर देना चाहिये । शिशु को तरल , अर्द्धठोस , ठोस पूरक भोज्य पदार्थ देने चाहिये । तरल भोज्य पदार्थ के अन्तर्गत, दूध, फलों का जूस, सब्जियों का सूप आदि देना चाहिये ।
अर्द्धठोस भोज्य पदार्थ के अन्तर्गत शिशु को उबला आलू , उबली और पिसी हुई सब्जियाँ , मसले हुये फल , आधा उबला अण्डा , साबूदाना, दाल, चावल, खिचड़ी आदि देना चाहिये। शिशुओं को ठोस पूरक भोज्य 9-10 माह की आयु से देना आरम्भ करना चाहिये। ठोस पूरक आहार के अन्तर्गत शिशुओं को कड़े बिस्कुट , मठरी , कड़े फल, सिडी डबल रोटी आदि देने चाहिये।
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