गृह - व्यवस्था की क्या आवश्यकता है ? What is the need for housekeeping?

गृह - व्यवस्था की क्या आवश्यकता है ? Need for housekeeping in Hindi.

किसी भी परिवार में गृह - व्यवस्था के तीन उद्देश्य होते हैं -


1. सौन्दर्य ( Beauty ) -

जहाँ तक सौन्दर्य का प्रश्न है , यह आवश्यक नहीं है कि हर व्यक्ति के सौन्दर्य को नापने का मापदण्ड एक हो । हर व्यक्ति के सौन्दर्य को नापने के मापदण्ड अलग - अलग होते हैं । हमें एक फल और पत्तों से लदे पेड़ में सौन्दर्य नजर आता है , तो हो सकता है कि किसी दूसरे व्यक्ति को उन फूल पत्तियों में सौन्दर्य दृष्टिगत न होता हो, अपितु एक फूल पत्तियों रहित सूखे पेड़ में सौन्दर्य नजर आता हो ।


साधारण शब्दों में हम सौन्दर्य को इस प्रकार समझा सकते हैं कि सौन्दर्य वह वस्तु है , जो हमारी आँखों और कानों को अच्छी लगे । गृह व्यवस्था में सौन्दर्य लाने के लिए घर की अव्यवस्थित रूपरेखा को व्यवस्थित करने के लिए कला के विभिन्न सिद्धान्तों का प्रयोग करना चाहिए ताकि बिना अधिक सामग्री के केवल बुद्धि के प्रयोग से ही गृह - व्यवस्था में सुन्दरता आ जाये ।


2. अभिव्यंजकता ( Expressiveness ) -

कला मनुष्य के विचारों को प्रकट करने का माध्यम है । किसी भी परिवार में गृह - सज्जा के लिए जिन सामानों का प्रयोग होता है उन्हें देखकर उस परिवार में रहने वालों की रुचियों के विषय में पता चलता है । उदाहरणार्थ - दीवार की सुन्दरता और आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक घर की दीवार पर कलेण्डर लगा होता है ।


कलेण्डर का चुनाव उसे परिवार की अभिरुचियों को प्रदर्शित करता है । कलेण्डर में प्राकृतिक दृश्य है , ईश्वर के विभिन्न रूप हैं ; किसी नग्न दृश्य का चित्रण है ; ये चुनाव उस परिवार के सौन्दर्य बोध को प्रकट करता है । इसी प्रकार घर की औपचारिक व्यवस्था उस घर के लोगों के बड़प्पन तथा सबसे अलग रहने की प्रवृत्ति को प्रकट करती है ।

गृह - व्यवस्था की क्या आवश्यकता है ? What is the need for housekeeping?
गृह - व्यवस्था की क्या आवश्यकता है ? What is the need for housekeeping?

जबकि अनौपचारिक सज्जा परिवार के सदस्यों के सहयोगी और मिलनसार व्यवहार को प्रकट करती है । गृह सज्जा उस घर के स्वामी के व्यक्तित्व का परिचायक है । गृह सज्जा में प्रयुक्त साधन और गृह - सज्जा की विधि से उस परिवार के जीवन के आदर्शों मूल्यों तथा मान्यताओं की झलक मिलती है । 


3. क्रियात्मकता ( Functionalism ) -

एक परिवार की सज्जा की सफलता इसमें है कि घर में की गई सज्जा और व्यवस्था उस परिवार के विभिन्न सदस्यों की आवश्यकताओं को किस हद तक पूरा करती है । यदि हम अपना घर बना रहे हैं , तो उस घर की योजना बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि परिवार में कितने सदस्य हैं, उनकी क्रियात्मक रुचियों क्या - क्या हैं, उनके व्यवसाय क्या हैं ।


उसी प्रकार उनकी आवश्यकता के अनुसार घर के विभिन्न कमरों की योजना हो । यदि विशाल भूखण्ड में अपना घर बनवाया जा रहा है , तब तो हर एक सदस्य की आवश्यकता के अनुसार कमरों की व्यवस्था हो सकती है । किन्तु गृह - व्यवस्था को क्रियात्मक रूप प्रदान करने की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब घर छोटा हो , उसमें स्थान का अभाव हो और उस सीमित स्थान की व्यवस्था परिवार के सदस्यों की आवश्यकता के अनुसार करनी हो ।


उदाहरणार्थ- परिवार के पास स्थान सीमित है और उस परिवार में पढ़ने वाले बच्चे हैं , तो उस सीमित स्थान में एक स्थान ऐसा हो जिसे बच्चे अपना सकें । उनकी पढ़ाई के लिये जो मेज हो उसमें संग्रह करने की अधिक से अधिक व्यवस्था हो ताकि बच्चे पढ़ते समय पुस्तकें मेज पर रख लें और बाद में मेज की दराजों में रख दें ।


उस समय वह मेज कुर्सियाँ खाने की मेज का काम दे सकें । वहाँ प्रकाश की उचित , व्यवस्था हो । यदि परिवार के पास स्थान सीमित है तो उसे क्रियात्मकता का रूप देने के लिये साज सामान ( फर्नीचर ) का चुनाव अधिक प्रभावपूर्ण होना चाहिए । ऐसे साज - सामान ( फर्नीचर ) का प्रयोग करना चाहिए जो कि बहुप्रयोजनीय हो ।


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