गृह - प्रबन्ध ( Home management ) : अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य और आलोचना
गृह - प्रबन्ध का अर्थ ( Home management means )
गृह - प्रबन्ध का अर्थ है - ' घर का प्रबन्ध अथवा व्यवस्था । ' गृह का तात्पर्य परिवार से होता है । परिवार , समाज की एक इकाई है । परिवार में रहकर ही व्यक्ति अपने जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है तथा अपना विकास करता है । गृह - प्रबन्ध एक विज्ञान है जिसके अन्तर्गत नियोजन, संगठन, नियन्त्रण आदि का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाता है ।
मनुष्य के पास जो साधन उपलब्ध रहते हैं, उनका सर्वोत्तम उपयोग इस प्रकार से किया जाता है कि व्यक्ति के लक्ष्य और इच्छाओं की पूर्ति हो सके । प्रबन्ध एक प्रक्रिया है , जिसके द्वारा परिवार के सदस्यों को मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है ।
प्रबन्ध अपने आप में वह कला है जिसके द्वारा किसी भी संस्था के सदस्यों एवं माल तथा क्रियाओं को नियन्त्रित किया जाता है तथा इसके लिए आर्थिक सिद्धान्तों की सहायता ली जाती है । यह मुख्यतः मानसिक क्रिया है तथा यह कार्य के नियोजन , संगठन तथा सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य व्यक्तियों के कार्यों के नियन्त्रण से सम्बन्धित होता है । प्रबन्ध प्रक्रिया जितनी अधिक सुदृढ़ होगी उतनी ही सफलता से पारिवारिक व्यवस्था उत्तम होगी ।
गृह - प्रबन्ध की परिभाषा ( Definitions of Home Management )
घर के समस्त कार्यों को उत्तम ढंग से करना तथा सीमित साधनों से अधिक - से - अधिक आवश्यकताओं को पूरा करना व अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करने की कला को गृह - प्रबन्ध कहते हैं । गृह - प्रबन्ध पारिवारिक जीवन को सुचारू रूप से चलाने की वह क्रिया है जिसके अन्तर्गत मनुष्य विभिन्न प्रक्रियाओं को कार्यान्वित करने के लिए निर्णय लेने में सफल होते हैं । प्रबन्ध को विद्वानों ने कई अर्थों में परिभाषित किया है । विद्वानों ने इसकी परिभाषा इस प्रकार दी है -
1. निकिल और डारसी- " गृह - प्रबन्ध आयोजन , नियन्त्रण एवं मूल्यांकन की वह क्रिया है जिसका उद्देश्य पारिवारिक साधनों के प्रयोग से पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति करता है । "
2. मैकफारलैण्ड - " प्रबन्ध वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबन्धक विधिपूर्वक समन्वित तथा सहकारितापूर्ण मानवीय प्रयासों के माध्यम से सोद्देश्य संगठनों का सृजन करते हैं , बनाये रखते हैं तथा संचालित करते हैं । "
3. डिकिंस - " गृह - प्रबन्ध वह कला है जिसके द्वारा घर के विभिन्न कार्यों को कम - से कम समय , श्रम , शक्ति तथा धन के विनियोग द्वारा सम्पन्न करते हुए पारिवारिक जीवन क सुखी बनाने का प्रयत्न किया जाता है । "
4. किंग्सवे- " गृह प्रवन्ध का अर्थ है अपने समस्त साधनों का इस प्रकार प्रयोग करना कि घर एवं परिवार के सभी सदस्य सुख एवं शान्तिमय जीवन का अनुभव कर सकें ।
5. स्टार- " परिवार के सदस्यों के सुख तथा स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए पारिवारिक आय की समुचित व्यवस्था करना ही गृह प्रवन्ध कहलाता है । "
6. फ्रैंक- " गृह स्वामी गृहिणी तथा परिवार के शेष सभी सदस्यों द्वारा मिलकर निर्धारित किसी उद्देश्य अथवा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योजनापूर्वक किये गये कार्य को है गृह प्रबन्ध कहते हैं । "
गृह - प्रबन्ध के उद्देश्य ( Aims of House Management )
गृह - प्रबन्ध के अर्थ को भली - भाँति जान लेने के उपरान्त इसके मुख्य उद्देश्यों को भी जानना अनिवार्य है अर्थात् गृह - प्रबन्ध को क्यों लागू करना अनिवार्य है ?
प्रत्येक परिवार के कुछ लक्ष्य होते हैं जिन्हें सूझ - बूझ तथा अपने साधनों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है । इन लक्ष्यों प्राप्त करने के लिये गृह - प्रबन्ध अनिवार्य है । गृह - प्रबन्ध द्वारा परिवार के निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है तथा यही गृह - प्रबन्ध के उद्देश्य हैं ।
1. परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति
प्रत्येक परिवार के सभी सदस्यों की अपनी - अपनी कुछ महत्त्वपूर्ण आवश्यकतायें होती हैं । ये आवश्यकतायें सामान्य भी हो सकती हैं तथा विशिष्ट भी ।
उदाहरण के लिये — मकान , रोटी तथा कपड़ा की आवश्यकतायें प्रत्येक सदस्य की सामान्य आवश्यकतायें हैं । इसके अतिरिक्त शिक्षा, दवा - दारु तथा विशेष प्रकार का आहार भिन्न - भिन्न रूप में भिन्न - भिन्न सदस्यों की विशिष्ट आवश्यकतायें हैं । व्यवस्थित गृह में इन सभी सामान्य एवं विशिष्ट आवश्यकताओं की समुचित रूप से पूर्ति होती रहनी चाहिये ।
गृह - प्रबन्ध का यह एक मुख्य तथा महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है ।
2. पारिवारिक आय को सही ढंग से खर्च करना -
सभी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये धन की आवश्यकता होती है । प्रत्येक परिवार की आय सीमित होती है , अतः ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये, जिससे सीमित आय में ही सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके । इसके लिये पारिवारिक बजट बनाना तथा उसके अनुसार आय - व्यय में सन्तुलन बनाये रखना अनिवार्य है ।
आय - व्यय के सही बजट को बनाकर कुछ बचत भी की जा सकती है । परिवार के कल्याण एवं समृद्धि के लिये कुछ न कुछ बचत का होना अनिवार्य होता है । पारिवारिक आय - व्यय का नियोजन भी गृह - प्रबन्ध के ही अन्तर्गत आता है । इस स्थिति में कहा जा सकता है कि गृह प्रबन्ध का एक उद्देश्य पारिवारिक आय को सही ढंग एवं नियोजित रूप में उपभोग में लाना भी है ।
3. पारिवारिक वातावरण को अच्छा बनाना -
गृह - प्रबन्ध का उद्देश्य न केवल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही है , बल्कि पारिवारिक वातावरण को भी सौहाद्रपूर्ण बनाना है । इसके लिये परिवार के सदस्यों के आपसी सम्बन्धों , अनुशासन एवं पारिवारिक मूल्यों को स्थापित करना भी गृह - प्रबन्ध का ही उद्देश्य है ।
भारतीय समाज में पारिवारिक वातावरण को उत्तम बनाने में गृहिणी की विशेष महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । गृहिणी के विभिन्न कर्त्तव्य होते हैं , जिनके पालन से परिवार का वातावरण अच्छा बना रहता है तथा सभी सदस्य सन्तुष्ट रहते हैं ।
4. पारिवारिक स्तर को बनाये रखना -
प्रत्येक परिवार का रहन - सहन का एक स्तर होता है जिसका निर्धारण परिवार के साधनों के आधार पर होता है । गृह - प्रबन्ध का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है - परिवार का हर प्रकार से एक समुचित स्तर बनाये रखना । इसके लिये रहन - सहन , धार्मिक , सामाजिक तथा दार्शनिक मूल्यों को ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है ।
आलोचना ( criticism )
1. प्रबन्ध का अर्थ केवल कार्य सम्पादन नहीं -
गृह प्रबन्ध सम्बन्धी प्रथम भ्रान्ति यह है कि प्रबन्ध का अर्थ केवल कार्य सम्पादन होता है परन्तु यह भ्रान्ति त्रुटिपूर्ण है । वास्तव में प्रबन्ध का अर्थ केवल कार्य सम्पादन नहीं है क्योंकि गृह - प्रबन्ध सम्बन्धी किसी कार्य को करने के लिए प्रबन्धक तथा कार्य सम्पादक दोनों को आवश्यकता है और ये दोनों ही कार्य भारत जैसे देश में एक व्यक्ति पूर्ण करता है, जिसके कारण यह ज्ञात करना कठिन है कि किस प्रकार की योजना बनाई गई और किस प्रकार से कार्य को पूर्ण किया गया ।
यदि किसी कार्य की योजना एक गृहिणी बनाती है तथा दूसरी गृहिणी या परिवार के अन्य सदस्य उस कार्य को क्रियान्वित करते हैं तब प्रबन्ध का अर्थ अच्छी तरह से स्पष्ट हो जाता है ।
2. प्रबन्ध समूह के नेता तक ही सीमित नहीं -
गृह - प्रबन्ध सम्बन्धी द्वितीय भ्रान्ति यह है । कि प्रबन्ध समूह के नेता तक ही सीमित होता है परन्तु यह धारणा त्रुटिपूर्ण है । वास्तव में प्रबन्ध समूह के नेता तक ही सीमित नहीं । प्रत्येक परिवार में एक व्यक्ति नेता होता है जिसके कारण परिवार के अन्य सदस्यों के मन में असंतोष उत्पन्न हो जाता है ,जिससे वे समझते हैं कि यह नेता ही घर के अन्य सदस्यों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करेगा ।
वास्तविक स्थिति यह है कि यह विशेषकर साधनों का उपयोग करने वाला होता है । वह उपलब्ध साधनों और उपकरणों का प्रयोग करने वाला होता है , परिवार के अन्य सदस्यों का नेता नहीं । प्रत्येक परिवार में विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं और इन समस्याओं को सुलझाने के लिए निर्णय लेने पड़ते हैं ।
अतः गृह सम्बन्धी प्रत्येक समस्या को सुलझाने के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को भाग लेना चाहिए क्योंकि परिवार के प्रत्येक सदस्य के पास कुछ - न - कुछ साधन होते हैं जिसके कारण वह समस्या को समझाने में सहयोग दे सकता है । परिवार के नेतृत्व का भार समय तथा परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है ।
3. अच्छे प्रबन्धक जन्म से उत्पन्न नहीं होते हैं वरन् बनाये जाते हैं-
गृह - प्रबन्ध सम्बन्धी तीसरी भ्रान्ति यह है कि अच्छे प्रबन्ध जन्म से उत्पन्न होते हैं । इनमें प्रशिक्षण के द्वारा ये गुण उत्पन्न नहीं किये जा सकते परन्तु यह भ्रान्ति भी त्रुटिपूर्ण है ।
समय के परिवर्तन के साथ आज औद्योगिक परिवर्तन हो रहा है और इसी का परिणाम आज यह माना जाता है कि यह पढ़ाई की एक ऐसी शाखा है जिसमें प्रवन्ध सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया जाता है । वास्तव में प्रशिक्षण , निरीक्षण और अनुभव के द्वारा व्यक्ति में ये गुण उत्पन्न किये जाते हैं ।
4. प्रबन्ध द्वारा परिवार के लक्ष्यों का निर्धारण नहीं हो सकता -
गृह - प्रबन्ध सम्बन्धी पाँचवीं भ्रांति यह है कि प्रबन्ध द्वारा ही परिवार के लक्ष्यों को निर्धारित किया जाता है परन्तु यह भ्रांति भी त्रुटिपूर्ण है । वास्तव में प्रबन्ध द्वारा परिवार के लक्ष्यों का निर्धारण नहीं होता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने लक्ष्य स्वयं निर्धारित करता है तथा इन लक्ष्यों की प्राप्ति गृह - प्रबन्ध द्वारा साधनों उचित उपयोग से होती है ।
लक्ष्य अनन्त एवं असीमित होते हैं और इनका चुनाव करना परिवार या व्यक्ति पर निर्भर करता है । प्रत्येक लक्ष्य का महत्त्व भी अलग - अलग होता है एवं प्रत्येक व्यक्ति तथा परिवार के लक्ष्य भी भिन्न - भिन्न होते हैं । अतः प्रबन्ध द्वारा परिवार के लक्ष्यों का निर्धारण नहीं होता है ।
5. प्रबन्ध एक साधन मात्र है, साध्य नहीं-
गृह - प्रबन्ध सम्बन्धी चतुर्थ भान्ति यह है कि प्रबन्ध साध्य है , एक साधन मात्र नहीं, परन्तु यह धारणा भी त्रुटिपूर्ण है । वास्तव में प्रबन्ध एक साधन मात्र है, साध्य जो व्यक्ति इसे साध्य समझते हैं उन्हें इस बात को समझने की आवश्यकता है कि गृह - प्रबन्ध के उद्देश्य क्या हैं ? प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति करना होता है । अतः प्रबन्ध एक साधन मात्र है, साध्य नहीं ।
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