रहन - सहन के स्तर से आप क्या समझती है ? ( What do you understand by standard of living? )
किसी भी प्रकार की समृद्धि उस परिवार की आय तथा उसे व्यय करने के ढंग पर निर्भर करती है । यदि परिवार में आने वाली आय को परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं पर आवश्यकताओं की तीव्रता, उपयोगिता को देखते हुए व्यय किया जाता है तो, उस सीमित आय भी परिवार की अधिक आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं तथा रहन - सहन के स्तर में वृद्धि आती हैं ।
हम यह भी जानते हैं कि किसी भी समाज में प्रत्येक व्यक्ति के रहने का ढंग एक - सा नहीं होता है , कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जो अपनी आवश्यक आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं कर पाते हैं तो वहीं कुछ ऐसे साथ - साथ आरामदायक तथा विलासात्मक व्यक्ति भी हैं , जो आवश्यक आवश्यकताओं आवश्यकताएँ भी पूरी कर लेते हैं । कोई परिवार अपनी आवश्यकताएँ किस हद तक पूरी करता है, उसी के आधार पर हम उसके रहन - सहन के स्तर का अनुमान लगाते हैं ।
इसलिए— " रहन - सहन के स्तर से तात्पर्य, उन सब आवश्यकताओं, आराम, विलास की वस्तुओं से है, जिनके उपयोग के हम अभ्यस्त हो जाते हैं और हमारा यह प्रयत्न रहता है, कि हमारे उपयोग की वस्तुएँ हमसे अलग न हों । हम उनके लिए कुछ त्याग करने को भी तैयार रहते हैं ।
" किसी भी व्यक्ति की आदतों के आधार पर हम उसके रहन - सहन के स्तर को बता सकते हैं अर्थात् रहन - सहन का स्तर आदतों का और आदतें रहन - सहन के स्तर के प्रतिरूप होते हैं । मनुष्य की आदतें उसकी आवश्यकताएँ भी होती हैं । जब एक आवश्यकता की पूर्ति लगातार होती रहती है तो वह आवश्यकता आदत में बदल जाती है । किसी भी व्यक्ति की आवश्यकताओं या आदतों को देखते हुए उसके रहन - सहन के स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है ।
कोई मनुष्य अपनी कितनी आवश्यकताएँ पूरी करता है उसी के आधार पर उसके रहन - सहन का स्तर होगा । जितनी अधिक से अधिक आवश्यकताएँ पूरी होंगी , रहन - सहन का स्तर उतना ही ऊँचा होगा और यही रहन सहन का स्तर आदत में बदल जाता है , जिससे मनुष्य आसानी से अलग नहीं हो पाता है । क्योंकि एक व्यक्ति अपनी जिन आवश्यकताओं की पूर्ति आज कर रहा है , यदि आने वाले कल में उन आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल रहता है तो उसका अर्थ है कि उसके रहन - सहन के स्तर में गिरावट आ रही है ।
यदि इसके विपरीत आने वाले कल में वह आज से अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है तो उसका अर्थ है कि उसके रहन - सहन के स्तर में वृद्धि हो रही है । कोई भी व्यक्ति जब समाज में अपना एक स्तर बना लेता है तो उस स्तर से नीचे नहीं आना चाहता बल्कि उस स्तर से ऊपर ही जाना चाहता है । रहन - सहन के स्तर में कमी आने का अर्थ है - उस व्यक्ति के आत्म सम्मान व सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी आना ।
जिसे सहना मनोवैज्ञानिक दृष्टि से बहुत ही कठिन है । किसी भी व्यक्ति का स्तर आवश्यकताओं की पूर्ति से आँका जाता है , तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है । समाज में यह भी देखने में आता है कि विभिन्न परिवारों का आर्थिक स्तर ऐसा न होने पर भी उनके रहन - सहन का स्तर एकसा नहीं होता । कई बार कम आय वाले व्यक्तियों के रहन - सहन का स्तर अधिक आय वाले व्यक्तियों से अधिक ऊँचा हो जाता है ।
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