साधनों के उपयोग के प्रमुख सिद्धांतों की विवेचना कीजिए- Main principles of use of tools.

साधनों के उपयोग के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए । ( Main principles of use of tools )

प्रत्येक व्यक्ति या परिवार साधनों का उचित उपयोग इस दृष्टि से करना चाहता है कि उनसे अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो सके । इस दृष्टि से साधनों के निम्नलिखित सिद्धान्त हैं— 


1. लक्ष्य निर्धारित करना- लक्ष्य निर्धारित करना साधनों के उपयोग का सर्वप्रथम सिद्धान्त व्यक्ति अथवा परिवार अपने मूल्यों के सन्दर्भ में परिवार के सदस्यों की आवश्यकतानुसार लक्ष्य निर्धारित करता है फिर उसके प्राप्त करने की दिशा में साधनों का उपयोग करता है । 


2. योजना बनाना- लक्ष्य निर्धारित करने के पश्चात् उसे प्राप्त करने हेतु साधनों के उपयोग की योजना बनाई जाती है । योजना बनाते समय उपलब्ध साधनों पर विचार किया जाता है । 


3. साधनों को एकत्रित करना- योजना बनाने के पश्चात् योजना के अनुरूप साधनों को एकत्र किया जाता है । न केवल भौतिक साधन वरन् मानवीय साधनों को भी एकत्र करके कार्य किया जाता है । 


4. साधनों को महत्त्व के क्रम के अनुरूप स्थापित करना - साधनों को एकत्रित करने के पश्चात् उन्हें उनके महत्त्व के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है । परिवार के पास कुछ साधन अधिक मात्रा में होते हैं , कुछ कम । साधनों की उपलब्धता सीमितता व महत्त्व के अनुसार उनके उपयोग का क्रम स्थापित किया जाता है । 


5. निरीक्षण – योजना का निरीक्षण किया जाता है कि लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सभी साधनों का ठीक तरह से उपयोग किया जाता है कि नहीं । यदि साधनों के उपयोग में कोई त्रुटि रह जाती है , तो उस पर पुनः विचार किया जाता है । 


6. क्रियान्वयन करना- सम्पूर्ण दृष्टियों में योजना उचित होने पर उसका क्रियान्वयन किया जाता है । साधनों का क्रियान्वयन योजना के अनुरूप लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु किया जाता है । 


7. समायोजन – यदि किसी कारण से साधनों के उपयोग द्वारा लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो पा रही है , तो उसमें समायोजन करना चाहिए । नये निर्णयों द्वारा या योजना में थोड़ा परिवर्तन करके समायोजन किया जा सकता है । 


8. मूल्यांकन – साधनों के उपयोग का अंतिम सिद्धान्त है - मूल्यांकन । इस चरण में सम्पूर्ण क्रिया की समीक्षा की जाती है कि साधनों के उपयोग से कितना सन्तोष प्राप्त हुआ । 


आर्थिक एवं अनार्थिक साधनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।


पॉल डिजिंग ने एक और मापदण्ड द्वारा आर्थिक और सामाजिक मनोवैज्ञानिक साधनों के बीच भिन्नता बतलाई है । उनके अनुसार आर्थिक साधन अविशिष्टीकृत होते हैं और इनका उपयोग कोई भी व्यक्ति किसी भी तरीके से वैधानिक और नैतिक सीमाओं के मध्य कर सकता है ।


दूसरी ओर, सामाजिक मनोवैज्ञानिक या अनार्थिक साधनों के किसी स्थिति में शक्ति और स्थायित्व के साधन के रूप में उपयोगी और विशिष्टीकृत माना जाता है क्योंकि यह किसी भी उद्देश्य में तुरन्त उपयोग में नहीं लाये जा सकते और इन्हें न तो बेचा जा सकता है न ही विनिमय किया जा सकता और न ही आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है ।


डिजिंग ने इस प्रकार के साधनों की सूची बनाई है पहचान, नैतिकता, मित्रता और बचाव । आर्थिक और अनार्थिक साधनों में भिन्नता बतलाते हुए डिजिंग उनके अंतर्संबंध पर बल देते हुए कहते हैं कि आर्थिक साधनों का वितरण किस प्रकार अनार्थिक उपयोग पर किया जा सकता है । इस पर विचार करना चाहिए और सामाजिक मनोवैज्ञानिक साधनों को लक्ष्य प्राप्ति के साधन के रूप में परिवर्तित करना चाहिए ।


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