खेल कितने प्रकार के होते हैं ? Khel kitne prakar ke hote hain?
बच्चों के सब खेलों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
( 1 ) वैयक्तिक और
( 2 ) सामूहिक ।
इन दोनों प्रकार के खेलों के विस्तृत वर्णन किया है । उनमें से पाँच प्रकार के आधार पर कार्ल घूस ने बालकोपयोगी खेलों का खेल अधिक महत्त्वपूर्ण है।
1. परीक्षणात्मक खेल ( Experimental Play )
इस प्रकार के खेलों में बालक , वस्तुओं को उलट - पुलट कर देखता है या उनका परीक्षण करता है । इन खेलों का आधार जिज्ञासा की प्रवृत्ति है । ये खेल वैयक्तिक होते हैं ।
2. गतिशील खेल ( Movement Play )
इस प्रकार के खेलों में दौड़ - भाग , उछल कूद आदि आते हैं । ये खेल , शरीर की गति का विकास करते हैं । ये खेल वैयक्तिक और सामूहिक दोनों प्रकार के होते हैं ।
3. रचनात्मक खेल ( Constructive Play )
इस प्रकार के खेलों में बालक विभिन्न वस्तुओं का निर्माण और ध्वंस करता है , जैसे - रेत या मिट्टी के पहाड़ , घर , टीले आदि बनाना और बिगाड़ना । इन खेलों का आधार , रचनात्मकता की प्रक्रिया है । ये खेल वैयक्तिक और सामूहिक दोनों प्रकार के होते हैं ।
4. लड़ाई के खेल ( Fighting Play )
इस प्रकार के खेलों में हार - जीत के खेलों को स्थान दिया जाता है , जैसे - हॉकी , कबड्डी , फुटबाल , मुक्केबाजी आदि । इन खेलों का सामान्य आधार , प्रतियोगिता या युद्धप्रियता होती है । ये खेल साधारणतः सामूहिक होते हैं ।
5. बौद्धिक खेल ( Intellectual Play )
इस प्रकार के खेलों का सम्बन्ध बुद्धि से होता है , जैसे - चौपड़ , शतरंज , पहेलियाँ आदि । ये खेल बुद्धि का विकास करते हैं । ये वैयक्तिक और सामूहिक — दोनों प्रकार के होते हैं ।
6. अन्य प्रकार के खेल ( Other Types of Play ) -
हरलॉक ने विभिन्न अवस्थाओं , के बालकों के कुछ अन्य प्रकार के महत्त्वपूर्ण खेलों का उल्लेख किया है , यथा-
( i ) स्वतन्त्र ऐच्छिक खेल ( Free Spontaneous Play )
ये खेल , सबसे प्रारम्भिक । बालक इनको अकेला एवं जब , जहाँ और जब तक चाहता है , खेलता है । वह इन खेलों को अपने शरीर के अंगों या खिलौने से खेलता है ।
( ii ) झूठ - मूठ के खेल ( Make - Believe Play )
इन खेलों में बालक किसी वयस्क के समान कार्य या व्यवहार करता है । वह विभिन्न वस्तुओं के विभिन्न नाम रखता है और उनसे बातें करता है ।
( iii ) माता - सम्बन्धी खेल ( Mother Games )
इन खेलों को बालक अपनी प्रारम्भिक अवस्था में अपनी माता के साथ खेलता है , जैसे - आँख - मिचौनी ।
( iv ) संवेगात्मक खेल ( Emotional Play )
इन खेलों में बालक विभिन्न संवेगों का अनुभव करता है और उनके अनुरूप अभिनय करता है , जैसे - वीरता का अभिनय ।
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