बालक के लिए खेल का क्या महत्त्व है ? ( What is the importance of play for a child? )
बालक के लिए खेल का क्या महत्त्व है, इस सम्बन्ध में को व क्रो ने लिखा है । " स्वतन्त्र क्रिया, जो तुलनात्मक रूप में निरुद्देश्य जान पड़ती है, बालक के व्यक्तित्व के प्रत्येक अंग को प्रभावित करती है । " ' खेल ' बालक के प्रत्येक अंग को किस प्रकार प्रभावित करता है , इसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
1. शारीरिक महत्त्व –
खेल से बालक को होने वाले शारीरिक लाभ इस प्रकार हैं-
( 1 ) भौतिक वातावरण का ज्ञान
( 2 ) रक्त का स्वतन्त्र संचार
( 3 ) शारीरिक बल और स्वास्थ्य की प्राप्ति
( 4 ) शारीरिक अंगों और मांसपेशियों की सुडौलता
( 5 ) रोगों से बचने की क्षमता ।
2. मानसिक महत्त्व -
खेल से बालक को होने वाले मानसिक लाभ इस प्रकार हैं-
( 1 ) भाषा का विकास
( 2 ) मानसिक थकान का अन्त
( 3 ) मानसिक सन्तुलन की क्षमता
( 4 ) नये विचारों और परिस्थितियों का ज्ञान
( 5 ) तर्क, स्मृति, कल्पना, चिन्तन आदि शक्तियों का विकास ।
3. सामाजिक महत्त्व -
खेल से बालक को होने वाले सामाजिक लाभ इस प्रकार हैं -
( 1 ) सामाजिक व्यवहार का ज्ञान
( 2 ) दूसरों की इच्छा का सम्मान
( 3 ) सामाजिक सम्पर्क को इच्छा की पूर्ति
( 4 ) आत्महित से समूहहित की श्रेष्ठता
( 5 ) सहयोग, सामंजस्य, सहिष्णुता, नेतृत्व, आज्ञाकारिता, उत्तरदायित्व, निःस्वार्थता आदि गुणों का विकास ।
4. संवेगात्मक महत्त्व -
खेल से बालक को होने वाले संवेगात्मक लाभ इस प्रकार हैं-
( 1 ) दिवास्वप्न देखने की आदत का अन्त
( 2 ) संवेगों का नियन्त्रण करने की क्षमता
( 3 ) लज्जा, कायरता, बचपन, चिड़चिड़ापन आदि दोषों का निवारण ।
5. वैयक्तिक महत्त्व -
खेल से बालक को होने वाले वैयक्तिक लाभ इस प्रकार हैं -
( 1 ) प्रकृतिदत्त योग्यता का विकास
( 2 ) पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति
( 3 ) शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास के कारण व्यक्तित्व का चतुर्मुखी विकास ।
6. नैतिक महत्त्व –
खेल से बालक को होने वाले लाभ इस प्रकार हैं-
( 1 ) उचित अनुचित का ज्ञान
( 2 ) समूह के नैतिक स्तरों को मान्यता
( 3 ) ईमानदारी, सत्यता और आत्म नियन्त्रण का प्रशिक्षण
( 4 ) सुख और दुःख में समान भाव का प्रशिक्षण
( 5 ) विचारों, इच्छाओं और कार्यों पर नियन्त्रण का प्रशिक्षण ।
7. शैक्षिक महत्त्व -
खेल से बालक को होने वाले शैक्षिक लाभ इस प्रकार हैं -
( 1 ) विभिन्न प्रकार की वस्तुओं से खेलने के कारण उनके आकार, रंग , बनावट, उपयोगिता आदि का ज्ञान
( 2 ) खोज और संचय द्वारा ज्ञान की वृद्धि
( 3 ) रेडियो, चलचित्र, संग्रहालय द्वारा सूचनाओं की प्राप्ति
( 4 ) आत्म - अभिव्यक्ति का अवसर ।
8. बाल - अध्ययन में सहायता -
खेल, बाल - अध्ययन में अग्रलिखित प्रकार से सहायता करते हैं-
( 1 ) बालक के खेलों को देखकर, उसके सामाजिक सम्बन्धों का ज्ञान।
( 2 ) बालक की अपने सम्बन्ध में धारणा कि वह क्या चाहता है।
( 3 ) बालक की रुचि और विशेष योग्यता का ज्ञान ।
9. खेल द्वारा चिकित्सा-
खेल द्वारा अग्रलिखित प्रकार की चिकित्सा होती है-
( 1 ) मानसिक और संवेगात्मक संतुलन खोने वाले बालक की खेल द्वारा चिकित्सा
( 2 ) बालक को भय , क्रोध , निराशा , मानसिक द्वन्द्व आदि से मुक्त करने के लिए स्वतन्त्र खेलों का प्रयोग
( 3 ) चिकित्सालयों में मानसिक रोगियों की मनोरंजन द्वारा चिकित्सा ।
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