Knowledge and Curriculum important questions in Hindi

Knowledge and Curriculum important questions

Knowledge and curriculum important questions in Hindi: B.Ed करने वाले सभी छात्र अध्यापक एवं छात्र अध्यापिकाएं अपने मन अध्यापक बनने का एक जुनून साथ मे लेकर चलते हैं। वे अपने मन ही मन मे यही सोचते हैं कि वह आगे चलकर एक आदर्श अध्यापक के रूप में अपने आप को गर्ववनवित करेंगे और अपने माता पिता के नाम को रोशन करेंगे और अपने समाज मे एक अगल पहचान बनाएंगे लेकिन जरा अध्यापक महोदय आप ही सोचिये इस दुनिया में कोई भी चीज आसानी से नही मिलती है इसके लिए अथक परिश्रम करना पड़ता ही है तभी आप एक आदर्श शिक्षक बन सकते हैं ।

अध्यापक बनने के लिए आपके पास B.Ed डिग्री होना अनिवार्य है। और B.Ed डिग्री के लिए आपको इसकी परीक्षा पास करनी पड़ती हैं। इसलिए आज हम B.Ed First Semester में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण सवाल और उसके जवाव लेकर आये हैं जिससे आप अपने एग्जाम में आने वाले सभी प्रश्नों को  बड़ी आसानी से हल कर सकें। तो देर किस बात की चलिए एक नजर इन प्रश्नों पर फेर के देखते हैं।
Knowledge and Curriculum important questions in Hindi

Important MCQ questions

प्रश्न - किसी भी दार्शनिक विचारधारा के स्वरूप को समझने हमें उसकी किस तथ्य को समझना आवश्यक होता है ? 

उत्तर - तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा और मूल्य, आचार मीमांसा तीनो का। 

प्रश्न - आदर्शवादी धारण के अनुसार अधिक महान् है

उत्तर - आधात्मिक जगत

प्रश्न - " आदर्शवादी दर्शन के बहुत से और विविध रूप हैं परन्तु सबका आधारमूल तत्व यहीं है कि संसार के उत्पादन का कारण मन और आत्मा है जो मन का वास्तविक रूप है । " यह कथन किसका है ?

उत्तर - जे.एस. रॉस का

प्रश्न - " भौतिकवाद - संसार का आधार पदार्थ में देखता है कि जबकि आदर्शवाद संसार का आधार मन ' देखता है । " यह कथन किसका है ?

उत्तर - पैट्रिक का

प्रश्न - " आदर्शवाद मनुष्य के आध्यात्मिक पक्ष पर बल देता है क्योंकि उनके अनुसार आध्यात्मिक मूल्य मनुष्य जीवन के अत्यन्त महत्वपूर्ण पहलू है । " यह कथन किसका है ?

उत्तर - हैण्डरसन का 

प्रश्न - " आदर्शवादी शिक्षा दर्शन मानकिसक जगत का मानव को अभिन्न अंग समझने की अनुभूति का विवरण है । " यह कथन किसका है ?

उत्तर - हॉर्न का 

प्रश्न - आदर्शवाद के मूल तत्व है 

उत्तर - ज्ञान मीमांसा, मूल्य मीमांसा, तत्व मीमांसा

प्रश्न - प्रपंचात्मक आदर्शवाद के प्रवर्तक हैं 

उत्तर - कॉम्ट

प्रश्न - ' बाल - केन्द्रित शिक्षा ' का उद्गम माना जाता है 

उत्तर - प्रकृतिवाद से

प्रश्न - प्रकृतिवाद के समर्थकों में शामिल है 

उत्तर - 1. अरस्तू एवं कॉन्टे 2.हॉब्स एवं बेकन 3. डार्विन एवं लैमार्क

प्रश्न - प्रसिद्ध आदर्शवादी दार्शनिक हुए - 

उत्तर - सेम्युअल, टायलर, कोलरिज, जेम्स एवं स्टर्लिंग, लेण्टानल और हेरिस व हार्न आदि।

प्रश्न - " प्रकृतिवादियों का नाराय स्वतन्त्रता है , जबकि आदर्शवादियों का नारा अनुशासन है । " कथन है 

उत्तर - थॉमस एवं लैंग का। 

प्रश्न - जर्मनी में आदर्शवाद की समाप्ति के बाद आदर्शवादी विचारधारा ने नया रूप कहाँ ग्रहण किया ? 

उत्तर - इंग्लैण्ड व स्कॉटलैण्ड में, संयुक्त राज्य अमेरिका में और इटली में। 

प्रश्न - ब्रिटेन में आदर्शवादी विचारधारा को अपनाने वाले विद्वान है 

उत्तर - सेक्सुअल एवं टायलर , कोलरिज एवं जेम्स और स्टर्लिंग।

प्रश्न - " बाह्य जगत और कुछ नहीं , केवल मन का प्रत्यक्षीकरण है । "यह  कथन किसका है?

उत्तर - बर्कले का

प्रश्न - प्लेटों ने ज्ञान को कितने रूपों में बाँटा है ? 

उत्तर - तीन रूपों में

प्रश्न - सुख - दुःख के सिद्धान्त ' के प्रतिपादक कौन हैं?

उत्तर - हरबार्ट स्पेन्सर सुख - दुःख के सिद्धान्त ' के प्रतिपादक हैं। 

प्रश्न - आदर्शवादी के आधारभूत सिद्धान्त है 

उत्तर - आध्यात्मिक जगत को महत्व, अनेकता में एकता और मानव व्यक्तित्व में विश्वास। 
B.Ed. Knowledge and Curriculum MCQ Question

प्रश्न - पाठ्यक्रम के संबंध में आदर्शवादियों के विचार हैं- 

उत्तर - 1. पाठ्यक्रम के आधार जीवन के सर्वोच्च आदर्श होना चाहिए । 2. पाठ्यक्रम को सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतिबिम्ब होना चाहिए । 3. पाठ्यक्रम को मानव जाति के अनुभवों को व्यक्त करना चाहिए ।

प्रश्न - आदर्शवाद के कौन-कौन से गुण है ?

उत्तर - 1. आदर्शवाद आत्मानुशासन और आत्मचरित्र के सिद्धान्तों को प्रतिपादित करता है। 2. आधुनिक शिक्षणशास्त्र के क्षेत्र में आदर्शवाद की कोई विशेष देन नहीं है । 3. आदर्शवाद बालक को गौण स्थान और शिक्षक तथा आदर्श को मुख्य स्थान देता है।

प्रश्न - आदर्शवाद के दोष / अवगुण / कमियाँ / सीमाएँ हैं 

उत्तर - 1. आदर्शवाद के उद्देश्य अमूर्त हैं , और इनका संबंध भविष्य से है। 2. आधुनिक शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में आर्दशवाद की कोई विशेष देन नहीं है । 3. आदर्शवाद बालक को गौण स्थान और शिक्षण तथा आदर्श को मुख्य स्थान देता है ।

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