कुपोषण ( Malnutrition ) क्या है? कुपोषण के क्या कारण है?

कुपोषण क्या है? कुपोषण के क्या कारण है?

जब व्यक्ति को उसकी शारीरिक आवश्यकता के अनुकूल उपयुक्त मात्रा में सभी भोज्य तत्त्व नहीं मिलते या आवश्यकता से अधिक मिलते हैं, जिनके कारण शरीर की वृद्धि और विकास तथा उसकी क्रियाशीलता पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है तो वह कुपोषण कहलाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है गुण और मात्रा की वृद्धि से भी भोज्य तत्त्व शारीरिक आवश्यकता के अनुसार लिये जाते हैं।

कुपोषण ( Malnutrition ) क्या है? कुपोषण के क्या कारण है?

परन्तु वास्तव में कुछ ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती है, जो पर्याप्त एवं उपयुक्त भोज्य पदार्थों से युक्त आहार का उपभोग करने पर भी उसकी पौष्टिकता के लाभ से उपभोक्ता को वंचित करती है । अतः कुपोषण के अन्तर्गत अपर्याप्त पोषण आवश्यकता से अधिक पोषण तथा उचित पोषण के मार्ग में उपस्थित बाह्य वातावरण के परिणामस्वरूप कुपोषण की दशाएँ सम्मिलित होती हैं । 


अपर्याप्त पोषण 

अपर्याप्त पोषण में भोज्य तत्त्व मात्रा एवं गुणों की दृष्टि से शरीर की आवश्यकता के अनुपात में यथेष्ठ नहीं होते अथवा उनमें किसी एक की न्यूनता होती है । अपर्याप्त भोजन के परिणामस्वरूप शरीर की अपेक्षित वृद्धि और विकास नहीं हो पाता तथा हीनता-जनित रोग उत्पन्न हो जाते है।


गम्भीर रूपसे अल्प-पोषित ( Under-nourished ) रोगी निर्बल होते हैं तथा वे मूर्च्छा के दौरों से पीड़ित होते हैं। भुखमरी वाले व्यक्ति में प्रायः मनोवैज्ञानिक लक्षण प्रकट होने लगते हैं । ऐसे व्यक्ति में शारीरिक उदासीनता के साथ - साथ मानसिक उद्विग्नता , चिड़चिड़ापन तथा दूसरों के कष्टों के प्रति उदासीनता के लक्षण स्पष्ट हो सकते हैं ।


अल्पोषित बालक में संक्रामक रोगों से प्रसित होने की सम्भावना अधिक रहती है। श्वसन तन्त्र सम्बन्धी पेशियाँ निर्बल हो जाती हैं । तथा ब्रोंका-न्यूमोनिया ( Broncho-pneumonia ) के कारण मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। अल्पपोषित जोग अतिसार से सामान्य रूप से पीड़ित रहते हैं। अकाल के समय क्षुधाग्रस्त लोगों में बहुधा आंत्र ज्वर, हैजा जैसी महामारियों के कारण मृत्यु दर बढ़ जाती है।


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