बालक के विकास में वातावरण का क्या महत्त्व है ? Importance of environment in child's development
बालक के विकास में वातावरण का महत्त्व - बालक के विकास में वातावरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है । प्रायः देखने में आता है कि जन्म के बाद जिस बच्चे को जैसा वातावरण मिलता है , उसका विकास भी उसी प्रकार होता है । लॉक का कथन है कि " जन्म के समय शिशु का मस्तिष्क एक साफ स्लेट की तरह होता है, लेकिन बाद में वातावरण के प्रभाव से उसका रूप बदल जाता है । "
लॉक ने तो वातावरण को वैयक्तिक भेदों का प्रधान कारण माना है अर्थात् जिस बालक को जैसा वातावरण मिलता है , वह वैसा ही अपना विकास करता है । राबर्ट ओविन का कहना है कि " प्रत्येक व्यक्ति का जीवन उसके वातावरण से पूर्णतया प्रभावित होता है । और वह जो कुछ बनता है उसमें उसके समाज का पूरा हाथ होता है । " प्रसिद्ध व्यवहारवादी वाटसन ने वातावरण का प्रबल समर्थन करते हुए कहा है कि " मनुष्य उत्पन्न नहीं होते हैं , निर्मित होते हैं । "
उसने दावा किया था कि वह किसी भी बच्चे को कुछ भी बना सकता है । आज विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण की अनुकूलता पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है । शिक्षा विशेषज्ञों का तो यहाँ तक कहना कि वातावरण से बुद्धि - लब्धि भी प्रभावित होती है । इसलिए छात्र - छात्राओं को प्रतिकूल वातावरण से बचाना चाहिये ।
फ्रीमैन , वर्क्स तथा स्कील्स द्वारा किये गये अध्ययन से बढ़ाई । इस प्रकार बालक के विकास में वातावरण का महत्त्वपूर्ण स्थान है । यह सिद्ध होता है कि गन्दे वातावरण से अच्छे वातावरण में लाये गये बालकों ने अपनी बुद्धिलब्धि
विकास को प्रभावित करने वाले कारक ( factors affecting growth )
विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्नांकित हैं-
1. बुद्धि ( Intelligence ) -
बालक के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों में । सबसे महत्त्वपूर्ण कारक बुद्धि है । हरलॉक का कथन है- " उच्च स्तर की बुद्धि , विकास को तीव्रगामी बनाने से सम्बन्धित होती है , जब कि निम्न स्तर की बुद्धि , पिछड़ेपन से सम्बन्धित होती है । " ( High - grade intelligence is associated with a speeding up of development , while low - grade intelligence is with retardation . )
- Hurlock.
तीव्र , सामान्य और निम्न बुद्धि बालकों के विकास का निरीक्षण करने पर यह ज्ञात हुआ है कि बुद्धि बालक तेरह महीने में चलने लगते हैं, सामान्य बुद्धि के बालक चौदह महीने में चलते हैं और निम्न बुद्धि बालक बाइस या तीस महीने के भीतर चलना सीखते हैं । इसी प्रकार बोलने के सम्बन्ध में भी प्रयोगों द्वारा तीव्र , सामान्य और निम्न बुद्धि के बालकों में अन्तर पाया गया है ।
2. यौन ( Sex ) –
शारीरिक और मानसिक विकास पर यौन का भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव दिखाई पड़ता है । बालिकाओं का विकास बालक की अपेक्षा तीव्र गति से होता है तथा उनमें परिपक्वता ( Ma भी शीघ्र आती है । बालिकाओं का मानसिक विकास भी बालकों से पहले होता है ।
3. अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ ( Glands of Internal Secretion ) –
बालक के विकास अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों का भी प्रभाव पड़ता है । पैरा - थाइरायड ग्रन्थियाँ ( Parathyroid ( Glands ) कैलसियम को रक्त में मिलने में सहायता देती है । इस ग्रन्थि से कम स्त्राव ( Secretion ) होने पर हड्डियों का विकास ठीक नहीं होता ।
थाइरायड ग्रन्थि ( Thyroid Gland ) से पाइरेक्सिन नामक स्त्राव होता है जो कि शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है । इसी प्रकार सीने में स्थित थाइमस ग्रन्थि ( Thymus Gland ) और मस्तिष्क के पास पिनियल ग्रन्थि ( Pineal Gland ) शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित भोजन ( Nutrition ) -विकास urity ) करती है ।
4. पौष्टिक
बालक के विकास की सभी अवस्थाओं में विशेष रूप से प्रारम्भिक काल में सामान्य विकास के लिए भोजन का बहुत अधिक महत्व है । भोजन की माला से | अधिक भोजन के पौष्टिक तत्त्वों का होना आवश्यक है । भोजन में पौष्टिक तत्त्वों के अभाव में बच्चों में दाँत के रोग , हड्डी के रोग , चर्मरोग तथा अन्य रोग हो जाते हैं ।
5. शुद्ध वायु एवं प्रकाश ( Fresh Air and Sunlight ) -
बालक के सामान्य और | स्वस्थ विकास के लिए शुद्ध वायु एवं सूर्य का प्रकाश अत्यन्त आवश्यक है । स्वच्छ वातावरण में रहने वाले बालकों का विकास गन्दी बस्तियों में रहने वाले बालकों की अपेक्षा अधिक अच्छी तरह से होता है ।
6. रोग तथा चोट ( Diseases and Injuries ) —
विकास पर रोग तथा चोट का भी प्रभाव पड़ता है । यदि किसी बालक को सिर में चोट लग जाती है या घरों में दवाइयों से प्राप्त विषैले पदार्थ ( Toxins ) शरीर में रह जाते हैं या टायफायड हो जाता है तो उसका सामान्य विकास रुक सकता है ।
7. प्रजाति ( Race ) -
विभिन्न देशों की प्रजातियों का विकास विभिन्न प्रकार से होता है । भूमध्यसागरीय देशों में रहने वाले बालक ( Mediterianean Races ) शारीरिक दृष्टि से उत्तरी यूरोप में रहने वाले बालकों से शीघ्र बढ़ते हैं । इसी प्रकार नीग्रों और भारतीय बच्चों का विकास श्वेत प्रजाति ( White and Yellow Races ) के बच्चों की अपेक्षा धीमी गति से होता है ।
8. संस्कृति ( Culture ) —
विकास पर देश की संस्कृति का प्रभाव भी पड़ता है । पिछड़े देशों की संस्कृति तथा विकसित देशों की संस्कृति वहाँ के लोगों के विकास को प्रभावित करती है ।
9. परिवार में स्थान ( Position in the Family ) -
बालक के विकास में जन्मजात कारकों से अधिक परिवार का वातावरण तथा परिवार में उसका क्या स्थान है - यह अधिक महत्त्वपूर्ण है । परिवार में द्वितीय , तृतीय और चतुर्थ बच्चे का विकास प्रथम की अपेक्षा अधिक तीव्रता से होता है ।
कारण यह है कि बाद में उत्पन्न बच्चों को विकसित वातावरण प्राप्त होता है और उन्हें बड़े भाई , बहनों का अनुकरण करने का भी अधिक अवसर प्राप्त होता है । दूसरी ओर बड़े परिवार में आर्थिक स्थिति के कारण या अधिक संख्या के कारण , बालकों पर उचित ध्यान न दे सकने से विकास रुक सकता है ।
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