स्वनिर्मित रेशम | Svanirmit Resham
स्वनिर्मित रेशम - इसके कीड़े ओके के पत्ते खाते हैं जिसमें टेटन की अधिक मात्रा रहती है, अतः इसके मुख्य, छिद्रों से निकले लार का रंग भी पूरा ( tan - colour ) होता है। सूखने पर धागा भी यही रंग पकड़ लेता है। इन कीड़ों के इस प्रकार के निम्न श्रेणी के आहार का प्रभाव धागे के आकार-प्रकार पर भी परिलक्षित होता है।
स्वनिर्मित सिल्क ( wild silk ) का धागा मोटा, कड़ा रुखड़ा तथा टेढ़ी - मेढ़ी आकृति ( Irregualr shape ) का होता है । प्रायः इसे नये मौलिक एवं प्राकृतिक रंग की आवश्यकता पड़ भी गयी तो इन्हें तीक्ष्ण चटक और गाढ़े रंगों ( solid shades ) में ही रंगा जाता है। इसमें चमक कम होती है, परन्तु मजबूत और टिकाऊ होते हैं ।
इनका मूल्य भी कम पड़ता है तथा इन्हें धोना भी सरल है। स्वनिर्मित सिल्क ( wild silk ) दो प्रकार की होती हैं — पहली है मूंगा सिल्क ( Munga silk ) तथा दूसरी सिल्क ( Eri-silk ) । अरंडी सिल्क की अपेक्षा मूंगा सिल्क अच्छी होती है । अरंडी के वृक्ष के पत्तों पर पलने वाले कीड़े से ही अरंडी सिल्क का धागा प्राप्त होता है ।
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