ब्रिटिशकालीन शिक्षा के गुण एवं दोष - Merits and Demerits of British Education

ब्रिटिशकालीन शिक्षा के गुण एवं दोष - Merits and Demerits of British Education in Hindi

ब्रिटिशकालीन शिक्षा के प्रमुख गुण क्या थे?

अनेक शिक्षाशास्त्रियों एवं विद्वानों की धारणा है कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में युग परिवर्तन का कार्य किया था क्योंकि यह शिक्षा वर्तमान समाज की आवश्यकता के अनुरूप रोजी रोटी देने वाली शिक्षा थी । लोगों को इसके माध्यम से संसार के साथ सम्पर्क बनाने और अपनी बात को कहने तथा अंग्रेजी हुकूमत की पेचीदगियों की जानकारी करने में अभूतपूर्व मदद मिली। सूक्ष्म दृष्टि से सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति की समीक्षा करने पर इसमें अनेक विशेषताएं परिलक्षित होती हैं, जो निम्नलिखित हैं -


( 1 ) पाश्चात्य भाषा को सीखने का अवसर भारतीयों को मिला जिससे उन्होंने विज्ञान, औद्योगिक तथा राजनीति आदि विषयों का अध्ययन किया और देश को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर किया। 


( 2 ) भारतीय संस्कृति ने अंग्रेजी को अत्यधिक प्रभावित किया था। अंग्रेजी का ज्ञान हो जाने पर अनेक भारतीयों ने भारतीय साहित्य एवं संस्कृति की पुस्तकों का अनुवाद अंग्रेजी में किया । इससे अंग्रेजों को इनका अध्ययन करने का अवसर मिला और भारतीयों में भी अपनी संस्कृति एवं साहित्य के प्रति पुनः जागृति पैदा जिससे भारतीय संस्कृति और सभ्यता का पुनरुत्थान हुआ । 


( 3 ) अंग्रेजों ने भी भारतीय भाषाएँ सीखीं । इस प्रकार अंग्रेजी मातृभाषा वाले देशों में हमारी भाषाओं का प्रसार हुआ ।



( 4 ) अंग्रेजों के समय में हमारे भारतीय समाज में अनेक कुरीतियाँ व्याप्त थीं । इस कारण भी भारतीय समाज की दशा शोचनीय थी । अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार से लोगों में सामाजिक चेतना जागी और उन्होंने समाज की अनेक कुरीतियों जैसे - बाल - विवाह , सती प्रथा , वर्ण - व्यवस्था , अन्धविश्वास आदि को समाज से करने में सहायता की । 


( 5 ) अंग्रेजों ने स्त्री-शिक्षा पर भी जोर दिया और उनके लिए शिक्षा संस्थाएँ भी खोली गयीं । 


ब्रिटिशकालीन शिक्षा के प्रमुख दोष बताइए ।


ब्रिटिशकालीन शिक्षा के अनेक दोष भी थे, जिनके कारण भारतीयों को बहुत हानि हुई और कष्ट उठाने पड़े।


ब्रिटिशकालीन शिक्षा के प्रमुख दोष संक्षेप में इस प्रकार थे -

( 1 ) राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली जन - साधारण के विकास में असफल रही । इन्होंने सर्वसाधारण की शिक्षा पर अधिक बल नहीं दिया । कुछ चुने गये वर्गों तक यह शिक्षा सीमित रही । शिक्षा के उद्देश्य निश्चित न होने के कारण यह शिक्षा निरर्थक बनी रही ।


( 2 ) ब्रिटिशकालीन शिक्षा के फलस्वरूप एक अलग वर्ग विकसित हुआ , जो अंग्रेजी पढ़कर शासन से जुड़ गया । सरकारी नौकरियाँ प्राप्त करना गर्व का विषय बन गया । सरकारी तन्त्र में छोटी नौकरियाँ विशेषकर क्लक पाकर शिक्षित वर्ग देश की मुख्यधारा से कट गया और ब्रिटिश सरकार के हितों को पोषित करने लगा । 


( 3 ) ब्रिटिशकालीन शिक्षा के प्रभाव से हमारी राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक विशेषताएँ नष्ट हो गयीं , क्योंकि इस शिक्षा से पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव भारतीय शिक्षित वर्ग पर पड़ा और वे अपने राष्ट्रीय गुण एवं संस्कृति से दूर हट गये । 


( 4 ) भारतीय अपने धर्म को भुलाकर धार्मिक एवं नैतिक पतन के गर्त में डूबते चले गये । व्यक्ति इस शिक्षा को ग्रहण करके सुख एवं ऐश्वर्य की खोज में लग जाता था । वह भारतीय जीवन के आदर्श को भूल गया और दैहिक सुख में लीन हो गया । 


( 5 ) अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने के कारण हमारी भारतीय भाषाओं का विकास रुक गया।


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