रुधिर और लसीका में अंतर | Difference between Blood and Lymph

रुधिर और लसीका में अंतर ( Difference Between Blood and Lymph )


रुधिर( Blood )लसीका( Lymph )
यह गहरे लाल रंग का तरल संयोजी ऊतक है।यह रंगहीन तरल संयोजी ऊतक है।
इसमें कार्बन डाइऑक्साइड तथा वज्र्य पदार्थ कम मात्रा में होते हैं।लसीका में कार्बन डाइऑक्साइड तथा वज्य्र पदार्थ अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
इसमे आक्सीजन अधिक मात्रा में पायी जाती हैं।इसमें आक्सीजन कम मात्रा में होती है।
रुधिर में लाल रुधिर कणिकायें पायी जाती हैं, जिसमें हीमोग्लोबिन होता है।यह लसीका वाहिनियो में परिसंचरित होने के अतिरिक्त ऊतकों में ऊतक द्रव्य की तरह भी रहता है।
यह रुधिर वाहिनियों में परिसंचरितहोता है।लसीका में लाल रुधिर कणिकायें नही पायी जाती हैं।
रुधिर में प्रोटीन्स अधिक मात्रा में पायी जाती हैं।लसीका में प्रोटीन्स अपेक्षाकृत कम मात्रा में पायी जाती हैं।

रुधिर और लसीका में अंतर ( Difference Between Blood and Lymph ) 

रुधिर के कार्य ( Functions of Blood ) :

इसका प्रमुख कार्य दो ऊतकों के बीच विभिन्न प्रकार के संयोजन करना है । इन कार्यों को हम निम्नलिखित बिन्दुओं में वर्णित कर सकते हैं 
  1. ऑक्सीजन व अन्य गैसों का परिवहन 
रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन ग्रहण करके ऑक्सीहीमोग्लोबिन नामक अस्थायी यौगिक बनाता है । ऊतकों में पहुँचने पर ऑक्सीहीमोग्लोबिन टूटकर ऑक्सीजन तथा हीमोग्लोबिन में बदल जाता है । इस प्रकार , श्वसन के लिए ऊतकों को ऑक्सीजन मिल जाती है । इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड के साथ भी हीमोग्लोबिन काबोंएमीन यौगिक बनाता है । 

  1. पोषक पदार्थों का परिवहन 
जल में विलेय खाद्य पदार्थ ( पोषक तत्त्व ) अवशोषण के समय रुधिर द्वारा ही ग्रहण किये जाते हैं तथा शरीर के अन्य भागों को भी रुधिर द्वारा ही परिसंचरित किये जाते हैं । आँतों से ये पदार्थ पहले यकृत में ले जाये जाते हैं ।

यकृत इन पोषक तत्त्वों की मात्रा तथा स्वरूप निश्चित करके रुधिर द्वारा सभी ऊतकों को भेजता है । 
  1. उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन 

शरीर में होने वाली अनेक प्रकार की उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप अनेक हानिकारक उत्सर्जी पदार्थ बनते रहते हैं । इनमें नाइट्रोजन यौगिक प्रमुख हैं । इन्हें रुधिर पहले यकृत में तथा बाद में यकृत से वृक्कों में पहुँचाता है ।

वृक्क इन्हें रुधिर से छानकर मूत्र के रूप में बाहर निकाल देता है । श्वसनांगों से कार्बन डाइऑक्साइड भी प्रमुखतः रुधिर के प्लाज्मा द्वारा फेफड़ों तक पहुँचायी जाती है । 
  1. अन्य पदार्थों का परिसंचरण 
अनेक प्रकार के पदार्थों ; जैसे - हॉर्मोन्स , एन्जाइम्स , एण्टीबॉडीज आदि को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने का कार्य रुधिर ही करता है ।
  1. रोगों से बचाव व घाव को भरना 
शरीर में जब कोई घाव इत्यादि हो जाता है तो श्वेत रुधिर कणिकाएँ वहाँ पहुँचकर रोगाणुओं से लड़ती हैं तथा मवाद या पस ( pus ) बना लेती हैं । मवाद में रोगाणु भी सम्मिलित होते हैं । साथ ही रुधिर उस स्थान पर आवश्यक पदार्थ आदि को भी पहुंचाता है । इस प्रकार रुधिर घाव के भरने में सहायता करता है । 
  1. शरीर के ताप पर नियन्त्रण
रुधिर शरीर के ताप पर नियन्त्रण व नियमन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । 
  1. रुधिर का थक्का बनना 

किसी स्थान पर कट - फट जाने से रुधिर बहने लगता है । यदि यह रुधिर बहता रहे तो जन्तु की मृत्यु हो सकती है । रुधिर में इस प्रकार की सम्पूर्ण व्यवस्थाएँ होती हैं कि यदि कहीं पर भी रुधिर बाहर के सम्पर्क में आता है तो तुरन्त ही उसमें थक्का बनने की कार्यवाही प्रारम्भ हो जाती है ।

Question:

रुधिर में कितने समूह होते हैं?
उत्तर 4

रक्त का लाल रंग किस पदार्थ की उपस्थिति के कारण होता है?
उत्तर- हीम

रुधिर का रंग लाल क्यों होता है?
उत्तर- रुधिर में उपस्थित आक्सीजन युक्त हीमोग्लोबिन के कारण शुद्ध रुधिर का रंग लाल दिखाई देता है।

रक्त में एंटीबॉडी कहा पाये जाते हैं ?
उत्तर - एंटीजन लाल रुधिर कणिकाओं में तथा एंटीबॉडी प्लाजा में पाये जाते हैं।

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