बुद्धि का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | Buddhi ka arth paribhasha visheshta

बुद्धि का अर्थ एवं परिभाषा

Buddhi ka arth paribhasha visheshta: मानव जीवन में बुद्धि अत्यधिक महत्वपूर्ण है । बुद्धि के बिना मानव जड़ के समान है उसके विना व्यक्तित्व का विकास असंभव है। किसी भी क्रिया को करने के लिए व्यक्ति को बुद्धि की आवश्यकता पड़ती है बिना बुद्धि के व्यक्ति समाज में मानव कहलाने योग्य नहीं रहता है । प्रारम्भ से लेकर अब तक बुद्धि सम्बंधी विचारों को 3 वर्गों में विभिक्त किया जा सकता है।

1. बुद्धि सामान्य योग्यता है । 

2. बुद्धि दो या तीन योग्यताओं का योग है । 

3. बुद्धि समस्त तीन विशिष्ट योग्यताओं का समूह है । 20 वी सर्दी में बुद्धि के मापन पर विशेष ध्यान दिया गया है और इसके आधार पर ही बुद्धि को समझने की चेष्टा की गई है जिसमें स्टर्न , टरमन , गिलफोर्ड और स्पीयरमैन इत्यादि के नाम उल्लेखनीय है ।

buddhi ka arth paribhasha visheshta


विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने - अपने दृष्टिकोण से बुद्धि की परिभाष दी है | 


स्टर्न के अनुसार, "बुद्धि एक सामान्य योग्यता है जिसके द्वारा व्यक्ति नई परिस्थितियों में अपने विचारों को जान बूझकर समायोजित कर देता हैं"।


ए . विनेट के अनुसार- किसी समस्या को समझना उसके विषय में तर्क करना तथा किसी निश्चित निर्णय पर पहुँचना बुद्धि की आवश्यक क्रियाएँ हैं । वास्तविक परिस्थितियों के अनुसार 


ई . थार्नडाइक के अनुसार, अपेक्षित प्रतिक्रिया करने की योग्यता बुद्धि है । गाल्टन के अनुसार- बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है । इन सभी परिभाषाओं से स्पष्ट है कि वास्तव में बुद्धि जन्मजात एवं मानसिक योग्यताओं का वह समन्वय है जिसकी सहायता से वह अपने पूर्व व्यवहार में परिवर्तन करके नवीन समस्याओं को सुलझाने तथा नवीन पर्यावरण के साथ समायोजन करने में सक्षम बनाता है ।


दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभवों को संगठित करता है और सामान्य बुद्धि द्वारा समय आने पर उनसे लाभ उठाता है । 


बुद्धि की विशेषताएँ ( buddhi ki visheshta )

1 . बुद्धि एक जन्मजात शक्ति है । 

2 . बुद्धि वह शक्ति है जिसके द्वारा व्यक्ति कठिनाइयों से कठिनाइयों को दूर करके परिस्थिति के अनुरूप अपने व्यवहार को संगठित करता है । 

3 . बुद्धि विभिन्न योग्यताओं को समूह है । 

4 . बुद्धि सीखने की क्षमता है ।

5 . बुद्धि और ज्ञान में अंतर होता है । 

6. बुद्धि सभी प्रकार की योग्यताओं का निचोड़ है । 

7. बुद्धि अतीत अनुभवों से लाभ उठाने की योग्यता है । 

8. बुद्धि द्वारा अर्जित ज्ञान की नई परिस्थितियों में उपयोग किया जा सकता है । 


बुद्धि को प्रभावित करने वाले कारक ( buddhi ko prabhavit karne wale karak )


1. वंशानुक्रम ( Heredity ) : - इस संदर्भ में अनेक मनोवैज्ञानिकों ने अपने - अपने अलग -2 प्रयोग किए और यह निष्कर्ष निकाला कि वंशानुक्रम बुद्धि को प्रभावित करता है । जैसे- फ्रीमैन ने यह स्वीकार किया कि बुद्धि का वंशानुक्रम से बहुत ही घनिष्ठ सम्बंध है । पीयर्सन ने अपने अध्ययन के आधार पर यह सिद्ध किया कि बुद्धिमान माँ बाप के बच्चे भी एक बहुत बड़ी सीमा तक बुद्धिमान होते हैं । अत : यह एक महत्वपूर्ण कारक है । 


2. वातावरण ( Environment ) : - वातावरण के सम्बंध में भी अनेक मनोवैज्ञानिकों का यह मत है तथा उनका यह मानना है कि बुद्धि वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण से अधिक प्रभावित होती है । कोडक ने बुद्धि पर वातावरण के प्रभाव को जानने के लिए ऐसी माताओं का अध्ययन किया जिनके बच्चे का पालन पोषण अच्छे वातावरण दिया जाय तो उनकी बुद्धि में काफी परिवर्तन लाया जा सकता है । इस विचारधारा के मनोवैज्ञानिकों बुद्धि को वातावरण से अधिक प्रभावित होने का समर्थन करते हैं । 


3. आयु ( Age ) : - बुद्धि और आयु का सम्बंध भी एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है । इस संदर्भ में भी अनेक प्रयोग और अध्ययन किए गए हैं । जैसे - यूमन , माइल्स और माइल्स , जानस , थार्नाडाइक , स्कीनर आदि । इन सभी के प्रयोग के आधार पर यह सामने आया कि सामान्यत : बुद्धि 16 से 20 वर्ष की आयु तक बढ़ती है । परन्तु भारत में बुद्धि का विकास 25 वर्ष तक होना माना जाता है ।


4. प्रजाति ( Race ) : - मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि पर प्रजाति के प्रभाव को भी अपने अध्ययन में उतारा और इस निष्कर्ष पर पहुॅचे कि प्रजाति भेदों का बुद्धि पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता । सभी प्रजातियों में तीन वर्ग - तीव्र , सामान्य और निम्न बुद्धि के लोग पाए जाते हैं । उनका प्रतिशत कम या अधिक अवश्य हो सकता है , परन्तु कुछ मनोवैज्ञानिकों ने स्वीकार किया कि प्रजाति का बुद्धि पर प्रभाव पड़ता है । 


5. लिंग ( Sex ) : - लिंग का बुद्धि पर प्रभाव पड़ता है । इस सम्बंध में भी अनेक प्रयोग किए गए । मनोवैज्ञानिका विट्टी ने स्वीकार किया कि लिंग भेद का बुद्धिलब्धि में कोई विशेष अंतर नहीं होता , परन्तु यदि लड़कियों को उचित वातावरण न दिया जाय तो उनका चिंतन पक्ष विगड़ जाता है और जिनको स्वतंत्र वातावरण भी नहीं मिलता तो भी लड़कों की अपेक्षा कम बुद्धिलब्धि की होती है । 


6. स्वास्थ्य ( Health ): - जैसा कि कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है । दैनिक जीवन के अनुभवों से यह महसूस किया गया है कि स्वास्थ्य जितना ही अच्छा होता है, बच्चे की बुद्धि का विकास उतना ही अच्छा होता है। अत: स्वास्थ्य भी बुद्धि को प्रभावित करता है। उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि वंशानुक्रम, वातावरण, लिंग, प्रजाति, स्वास्थ्य आदि बुद्धि को प्रभावित करने वाले कारक हैं ।


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