Energy resources: ऊर्जा संसाधन के परंपरागत एवं वैकल्पिक स्रोत

ऊर्जा संसाधन के परंपरागत एवं वैकल्पिक स्रोत

ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)

ऊर्जा हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमें उद्योग, कृषि, परिवहन, संचार और प्रतिरक्षा के लिए शक्ति ऊर्मा को आवश्यकता होती है। ऊर्जा संसाधन को परम्परागत स्रोत और गैर परम्परागत स्रोत में विभाजित किया जा सकता है -


ऊर्जा संसाधन के परंपरागत स्रोत (Conventional Sources of Energy Resources)

ऊर्जा के परम्परागत स्रोत वह हैं जो लम्बे समय से सामान्य उपयोग में लाए जा रहे हैं। ईधन और जिवाश्मो ईधन परम्पारागत ऊर्जा के दो प्रमुख स्रोत हैं। 


ईधन

इसका उपयोग भोजन पकाने और उष्मा प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। हमारे देश में ग्रामीणों द्वारा उपयोग की गई पचास प्रतिशत से अधिक ऊर्जा ईधन से प्राप्त होती हैं। पौधों और जानवरों के अवशेष जो लाखों वर्षों तक घरती के अंदर दबे रहे थे, ताप और दाब के प्रीराव से जिवाश्मी ईधनों में परिवर्तित हो गए। जिवाश्मी ईधन जैसे-कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं -


कोयला

यह बहुयायत में पाया जाने वाला जिवाश्मी ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईधन, उद्योग जैसे लोहा और इस्पात, वाष्प इंजनों और विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है। कोयले से प्राप्त ऊर्जा को तापीय ऊर्जा कहा जाता है।


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पेट्रोलियम

पेट्रोलियम शैलों के परों के मध्य पाया जाता है और इसका बेधन अपतरीय व तरीय क्षेत्रों के स्थित तेल क्षेत्रों से किया जाता हौ। जहाँ अपरिष्कृत पेट्रोलियम के प्रक्रमण से विभिन्न तरह के उत्पाद जैसे डीजल, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, मोम, प्लास्टिक और स्नेहक, कोलतार तैयार किए जाते हैं।


प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस पेट्रोलियम निक्षेपों के साथ पायी जाती है और तब निर्मुक्त होतो है जब परिष्कृत तेल को धरातल पर लाया जाता है। इसका प्रयोग घरेलू और वाणिज्यिक ईधनों के रूप में किया जा सकता है।


जल विद्युत

ऊँचाई से गिरते पानी का प्रयोग टर्बालन चलाने में किया जाता है जिससे बिजली पैदा होती है। यह ऊर्जा गैर प्रदर्शित सस्ता स्रोत है। भारत में नदियाँ पर अनेक बाँध बनाए गए हैं। जहाँ पानी का संग्रह किया जाता है तथा नियंत्रित तरीके से पानी का प्रवाह किया जाता है। भाखड़ा नांगल बाँध हीराकुडं बाँध आदि सफलतापूर्वक बिजली उत्पन्न कर रहे हैं। अन्यकई बाँध पूर्ण होने के स्तर पर हैं। देश की ऊर्जा क्षमता लगभग 41000 मिलियन वाट के बराबर है।

परमाणु शक्ति

रेडियोऐक्टिव पदार्थों को थोड़ी मात्रा ऊर्जा का विशाल मात्रा उत्पन्न कर रही है। उदाहरण के लिए, एक टन यूरेनियम-235 इतनी ऊर्जा उत्पन्न करता है जितनी 3 मिलियन टन कोयला या 125 मिलियन बैरल तेल। यह एक विशाल स्रोत है, परन्तु इसे उच्च सुरक्षा मानकों को आवश्यकता होती है। परमाणु ऊर्जा ईधन का भंडार व अनुमान फॉसिल ईधन के मुकाबले दस गुना ज्यादा है।

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत

परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के तेजी से समाप्त होने के कारण, मानव ने गैर परम्परागत या वैकल्पिक ऊर्जा सोतो के बोरे में देखना शुरू किया। इसमें शामिल है- सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि। ये सभी स्रोत नवीकरण योग्य और सस्ते हैं। इन त्रीतों के विषय में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है-

सौर ऊर्जा (Solar Energy)

सौर ऊर्जा को थर्मल या फोटोवोल्टेक परिवर्तन मार्ग द्वरा ऊर्जा के दूसरे रूप में परिवर्तित किया जाता है। फोटोवोल्टेक परिवर्तन व्यवस्था सौर विकिरण को सिलिकन सोलर सेल द्वारा सीधे विद्युत में परिवर्तित कर देता है। यह व्यवसी सामुदायिक प्रकाश, प्रकाशगृह, रेडियो, टी. वी. सेट, प्लेटफार्म के तट पर रिमेट क्षेत्रों में स्थापित की जा सकती है। फोटोवोल्टिक्स रसायनिक व ध्वनि प्रदूषण रहित होते हैं। सौर जल हीटर बहुत प्रसिद्ध हैं।

वायु ऊर्जा

हवा ऊर्जा को यांत्रिक व विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। यह ऊर्जा पवनचक्यिों की सहायता से बनाई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी निकालने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 20,000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है।

ज्वरीय ऊर्जा

ज्वरीय शक्ति का उत्पादन ज्वारीय समय में समुद्र तल के ऊपर उठने व नीचे गिने पर निर्भर होता है। ज्वारीय शक्ति का सर्वाधिक कार्य विद्युत उत्पादन से है। वर्ष 1966 में फ्रांस ने सबसे पहले ज्वरीय ऊर्जा केन्द्र बनाया। भारत में ज्वरीय शक्ति से ऊर्जा उत्पादन के क्षमता स्थल लक्षद्वीप व अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में पहचाने गए हैं।

भूतापीय ऊर्जा

धरती के अंदर की गर्मी को भूतातीय ऊर्जा कहा जाता है जिसका ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। यह ज्वालामुखी क्षेत्रों में संभव है जहाँ गर्म झरने व गीजर होते है। हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण में एक शीतग्रह व 5 मेगावाट का पॉवर प्लॉट स्थापित किया गया है।

बायोमॉस आधारित ऊर्जा

बायोमॉस में सभी पादक, पशु व पौधों के अवशेष, लकड़ी के टुकड़े, पशुओं के मलमूत्र, उद्योगों के अवशेष, बूचड़खाना आदि शामिल हैं। यूफोब्रियासी, एपोसाई, नेसिया, एसक्लेपीडेसिया आदि परिवारों से संबंध रखने वाले पौधे जिनका पादप तत्त्व पैट्रोलियम हाईड्रोकार्बन में बदला जा सकता है, को पहचाना गया है और इन्हें पेट्रो पौधे कहते हैं। गाय के गोबर पर आधारित बायोगैस प्लॉटों को देश के विभिन्न हिस्सों में सब्सिडी दी जाती है। बायोगैस विकास कार्यक्रम के तहत, 1986 तक 8.2 लाख बायोगैस प्लांट स्थापित किए गए हैं।

शहरी अपशिष्ट से ऊर्जा

शहरी अपशिष्ट से बायोमास का स्वरूप है तथा इसे ऊर्जा उत्पादन के लिए उपर्युक्त पाया गया है। दिल्ली में नगरपालिका के कूड़े को विद्युत में बदलने के लिए एक पायलट प्लांट प्रदर्शन के लिए स्थापित किया जा चुका है। वह शहरी क्षेत्रों के ठोस कचड़े की समस्या का समाधन कर सकता है।


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