भूकंप: कारण और प्रभाव | Earthquake: Causes and Effects
भूकंप प्रकोप (Earthquake Hazards) प्राकृतिक प्रकोपों में भूकंप का प्रकोप (Earthquake outbreak) बहुत ही भयानक होता है। अरस्तू ने सर्वप्रथम भूकम्प के बारे में उल्लेख किया। अरस्तू के अनुसार जब भूमिगत हवा बाहर निकलने का प्रयास करती है तो भूकंप की उत्पत्ति (Origin of earthquake) होती है। वास्तव में भूकंप एक ऐसी आफत है जो धरातल में कम्पन उत्पन्न करके विनाश करता है।
जे०बी० मेकलबेन (J.B. Macelwane) के अनुसार "भूकंप पृथ्वी के धरातल का कम्पन तथा दोलन है जो भूपृष्ठ या उसके नीचे चट्टानों में प्रत्यस्थ (लचीलेपन) या गुरूत्वीय सन्तुलन में विक्षोभ द्वारा उत्पन्न होते हैं।”- विन्ने
आर० एस० पवार के अनुसार" भूकंप पृथ्वी के आन्तरिक भाग से सम्बन्धित धरातलीय कम्पन है, जो प्रकृति द्वारा उत्पन्न होती है।"
प्रसिद्ध जर्मन विद्वान हमबोल्ट का मत था कि जिस कारण पर्वतों से ज्वाला निकलती है उसका कारण भूकंप ही है। वर्तमान युग के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के भूकम्पों के सूक्ष्म प्रेक्षणव तथा गहन विश्लेषण के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि चट्टानों की प्रतिरोधक क्षमता से आकस्मिक विक्षेभ होने से भूकंप की उत्पत्ति होती है। इन चट्टानों के आकस्मिक विक्षोभ के निम्न कारण होते हैं-
1. भूपटल का सिकुड़ना (Constration of the crust)
2. विवर्तनिकता (Tectonism)
3. प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonism)
4. एकत्रित जल का भार (Pressure due to accumulation of water)
5. ज्वालामुखी क्रिया (Vocanism)
6. वितलीय कारण (Plutonic Causes)
7. समस्थितिकी समायोजन (Isostatic Adjustment)
8. अन्य कारण (Other Causes)
1. भूपटल का सिकुड़ना (Contraction of Crust)
जब कोई वस्तु गर्म होने के बाद ठण्डा होती है तो उसमें सिकुड़न आ जाता है। यही पृथ्वी के साथ भी है। वह प्रारम्भिक अवस्था में अत्यन्त ज्वलनशील थी। ताप के विकिरण के कारण पृथ्वी का बाह्य आवरण धीरे-धीरे ठन्डा हुआ। कुछ विद्वानों का यह मानना है कि भूगर्भ में रेडियोधर्मी तत्वों के कारण सदैव ताप की अधिकता रहती है।
अतः संकुचन की कल्पना सत्य नहीं है। भूगर्भ के ठण्डे होने की प्रक्रिया आज भी हो रही है। ठन्डे होने से चट्टाने सिकुड़ती हैं, जिसका प्रभाव भूपटल कर पड़ता है फलतः भूकंप जैसे प्रकोपी की उत्पत्ति होती है।
2. विवर्तनिकता (Tectonism)
विवर्तनिकता के द्वारा किसी क्षेत्र का उत्थान वहाँ की चट्टानों का भ्रंशन या चटकन, चलन सम्भव है। इस प्रकार विवर्तनिक क्रियाओं द्वारा चट्टानों में जो विक्षोभ पैदा होता है उसी से भूकंप की उत्पत्ति होती है। भूपटल पर भूकंप की उत्पत्ति का सबसे महत्वपूर्ण कारण विवर्तनिकता है। उसी में पृथ्वी के सभी आन्तरिक शक्तियां समाहित है।
3. प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics)
प्लेट विवर्तनिकी एक आधुनिक संकल्पना है। ये प्लेटें सदैव गतिशील रहती है। ये प्लेटों आपस में टकराती भी है तथा विपरीत दिशा में भे चलती हैं। दोनों ही दिशाओं में भूकम्प की उत्पत्ति होती है। अगर दो प्लेटें विपरीत दिशा में चलें, आपस में टकरा जाए तथा एक दूसरे के अगल-बगल सरक जाती हैं तो ट्रान्सफोर्स फाल्ट (रूपान्तर भ्रंस) बनता है। ऐसी स्थिति में भूकंप की उत्पत्ति (Origin of earthquake) होती है।
4. एकत्रित जल का भार (Pressure due to accumulation of water)
भूपटल पर पाए जाने वाले प्राकृतिक जलाशय जैसे समुद्र झील, नदी, तालाब आदि, समस्थितिकी समायोजन की स्थिति में होते हैं। जब इन जलाशयों में असन्तुलन की प्रक्रिया होती है तो भूकंप को उत्पत्ति होती है। ये असन्तुलन मानव द्वारा बनाए गए कृत्रिम जल भण्डारों के कारण होते हैं।
5. ज्वालामुखी क्रिया (Vocanism)
चट्टानों के आकस्मिक विक्षोभ तथा भूकंप को उत्पत्ति का प्रमुख कारण ज्वालामुखी क्रिया है। जब ज्वालामुखी का उद्गार होता है तो भूगर्भ का लावा तथा गैसें बाहर निकलने के लिए कठोर भूपटल पर प्रघात करते हैं जिससे भूकंप की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। इन भूकम्पों की तीव्रता ज्वालामुखी उद्गार की तीव्रता पर निर्भर करती है। प्रायः प्रत्येक ज्वचालामुखी के उद्गार के पूर्व या उद्गार के साथ-साथ भूकंप आते हैं।
6. वितलीय कारण (Plutionic Causes)
वितलीय कारण पृथ्वी की अत्यधिक गहराई से सम्बन्धित होते है। इनकी गहराई में अत्यधिक गहराई से सम्बन्धित होते है। इनकी गहराई में अत्यधिक भारत के कारण चट्टानों का आकस्मिक विभंग सम्भव नहीं लगता। सामान्यतः 250 से 700 किमी0 की गहराई में जिन भूकम्पों का उद्गम केन्द्र होता है उसे बितलीय भूकंप कहते हैं।
7. समस्थिति की समायोजन (Isostatic Adjustment)
कुछ बाहरी शक्तियां धरातल को काट छाँटकर इस सन्तुलन को सदैव नष्ट करने में लगी रहती हैं। भूपटल पर विभिन्न प्रकार की स्थलाकृति (पर्वत, पठार, समुद्रीय तलहटी मैदान के मध्य सदैव सन्तुलन पाया जाता है। नदियां उनके सन्तुलन को सदैव बिगाड़ने में लगी रहती है। नदियां धरातल को अपरदित कर अवसाद को सागर की तलहटी में सदैव जमा करती रहती है।
फलतः सागर की तलहटी अवसादों के भार के कारण नीचे की ओर खिसक जाती है पृथ्वी के इस असन्तुलन को दूर करने के लिए उच्च स्थलीय भार्गों का उत्थान होता है। जब पृथ्वी पुनः सन्तुलन स्थापित करती है तो ऐसी स्थिति को समस्थितिक समायोजन कहते हैं। इस समायोजन के समय जिन क्षेत्रों में अवतलन एवं उत्थान होता है वहाँ भूकंप आते हैं।
8. अन्य कारण (Other Causes)
भूकम्पों की उत्पत्ति के प्रयुक्त मुख्य कारणों के अतिरिक्त अनेक गौण कारण भी हैं। इनमें प्रमुख रूप से पर्वतीय क्षेत्र में आकस्मिक भूस्खलन, हिमनदियों का टूटकर गिरना, समुद्र तटीय क्षेत्र में क्लिफ का टूटकर समुद्र में गिरना, तटवर्ती क्षेत्र में सागर की लहरों का तट से टकराना, चूने के प्रदेश कन्दराओं की छात्रों का अकस्मात आदि प्रमुख रूप से आते हैं। इन कारणों से भी भूकंप की उत्पत्ति होती है।
भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)
1. प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त के माध्यम से भूकंप आते हैं।
2. पृथ्वी के गर्भ में उत्पन्न होने वाली तापीय संवाहन तरंगों द्वारा ये प्लेटें प्रभावित होकर गतिशील हो जाती है। जिससे भूकंप आने की सम्भावना रहती है।
3. पृथ्वी के गर्भ में घटित होने वाली विवर्तनिक घटनाओं के कारण भूकंप आते हैं।
4. प्लेटों के खिसकने, विपरीत दिशा में चालने और टकराने की स्थिति में भूकंप आते है।
5. ज्वालामुखी द्वारा प्रघातों से भूकंप की उत्पत्ति होती है।
6. मानव द्वारा जल के स्रोतों के कृत्रिम भण्डारण से असन्तुलन बिगड़ जाता है। जिससे भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं।
7. जब पृथ्वी के गर्भ अनेक प्रकार की विवर्तनिक घटनाएं घटित होती है तब भूकंप आने का खतरा रहता है।
भूकंप प्रकोप का प्रभाव (Effect of Earthquake Hazard)
कोई भी भूकंप आपदा तथा प्रकोप उस समय ही होता है जब वह किसी घने आबाद क्षेत्र में आता है। भूकंप के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों के अन्तर्गत निम्नलिखित कारणों को सम्मिलित किया जाता है अर्थात् भूकंप आने से जिनके ऊपर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। वे निम्नलिखित हैं -
1. मानव जीवन तथा सम्पत्ति को क्षति
सामान्य रूप से किसी भी भूकंप द्वारा हुए विनाश एवं विध्वंश का आकलन वहाँ के मृत व्यक्तियों के संख्या के आधार पर किया जाता है घने आबादी वाले क्षेत्रों में भूकम्पीय झटकों के कारण बड़ी-बड़ी इमारतें तथा भवन गिर जाते हैं। जिससे व्यक्तियों की मृत्यु तो होती है साथ ही सम्पत्ति को भी बहुत बड़ी क्षति पहुँचती है।
2. मानवकृत संरचनाओ को क्षति
भूकंप आने से मानव रचित अनेक संरचनाओं जैसे- रेल, सड़क, बांध, कुल, कारखाने आदि का विनाश हो जाता है। मानवकृत इन संरचनाओं के क्षतिग्रस्त हो जाने से मानव जीवन प्रभावित हो जाता है।
3. शहरों एवं नगरों को क्षति
भूकंप का सबसे अधिक विनाशकारी प्रभाव शहरों एवं नगरों पर पड़ता है क्योंकि यहाँ पर भवनों का घनत्व अधिक होता है और मानव जनसंख्या भी अधिकतर निवास करती है। भूकम्प के आने से अनेक भवन, मानव, तथा मानव के अवश्यक आवश्यकता है संबंधित वस्तुएँ नष्ट हो जाती है। जिसके कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाती है।
4. भीषण बाढ़
भूकंप के तीव्र झटकों के कारण नदियों पर निर्मित बांधों में दरारें पड़ जाती हैं। पानी के दबाव और रिसाव के कारण धीरे-धीरे ये बांध टूट जाते हैं। नदियों में अपार जल राशि के विसर्जन के कारण अचानक भीषण बाढ़ आ जाती है। इसबी तरह 9 फरवरी 1971 में संयुक्त राज्य अमेरिका के लांस एंजिल्स नगर फरनाण्डों घाटी पर निर्मित बांध बान नारमन में भूकंप के कारण दरार पड़ गई थी।
5. सुनामी तरंगों की उत्पत्ति
प्रशान्त महासागर तों पर सुनामी का जोर अधिक रहता है क्योंकि यह भाग भूकम्पों की मेसलाओं से घिरा रहता है। समुद्र तल से गुजरने वाली तरंगे उच्च सागरीय तरंगों को जन्म देती है इन्हीं को सुनामिस कहते हैं। इन सुनामिसच तरंगों में भूकम्प आने से अचानक वृद्धि हो जाती है जिससे अपार जन-धन की हानि होती है।
6. घरातलीय सतह में निरूपण
भीषण भूकम्पों से उत्पन्न झटकों एवं कम्पनी के कारण धरातलीय सतह में उभार तथा अवतलन के कारण विरूपण हो जाता है। उदाहरणार्थ संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का में 1964 में भूकंप के कारण धरातलीय सतह में 10 से 15 मीटर तक विस्थापन हो गया था।
7. ढाल, अस्थिरता, ढाल विफलता तथा भूस्खलन
जहाँ के पर्वतीय क्षेत्रों में शैले कमजोर होती है वहाँ भूकंप के तीव्र झटकों के कारण ढाल में अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है जिसके परिणाम यह होता है कि चट्टाने टूट-टूट कर भूस्खलन के रूप में नीचे गिरने लगती हैं। जहाँ के पर्वों में ढाल है वहा के निचले भाग में स्थित बस्तियां तथा उनके परिवहन तन्त्र इस भूस्खलन में दबकर नष्ट हो जाते हैं। 1970 ई० में पेरू के यंगे नगर भूकंप के कारण भूस्खलन से बुरी तरह नष्ट हो गया था।
8. अग्नि से क्षति (fire damage)
भूकंप के आने से उनके झटकों से भवनों, उद्योगों कारखानों आदि में कम्पन होने लगता है। जिससे बिजली के तार आपस में सट जाते है, रसोई घरों के सिलिण्डर गिरकर इधर उधर हो जाते है। कारखानों की भट्टियां तेजी से आग उगलने लगती हैं। इनमें आग लगने का भय बना रहता है। आग लग जाने से सारी सम्पत्तियां नष्ट हो जाती है और लोगों का जल जोवन प्रभावित होता है।
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