बेसिक शिक्षा के उद्देश्य तथा सिद्धांत| Objectives and principles of basic Education in Hindi
सन् 1937 को मारवाड़ी हाई स्कूल वर्धा में एक अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन हुआ था । इसे ' वर्धा शिक्षा सम्मेलन ' भी कहा गया है । इस सम्मेलन में शिक्षाशास्त्रियों, समाज सुधारकों, राष्ट्रीय नेताओं और कांग्रेस मन्त्रिमण्डलों के शिक्षा-मंत्रियों ने भाग लिया था। सम्मेलन की अध्यक्षता गाँधीजी ने स्वयं की थी । इस सम्मेलन के पश्चात् डॉ ० जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी ।
इस समिति का कार्य बेसिक शिक्षा की पूर्ण योजना तैयार करना था । इस समिति ने सन् 1936 और 1938 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की । इस शिक्षा योजना को ' वर्धा शिक्षा योजना ' , ' बेसिक शिक्षा ' या ' बुनियादी शिक्षा ' और ' नयी तालीम ' के नाम से पुकारते हैं ।
बेसिक शिक्षा के आधारभूत सिद्धान्त
( 1 ) निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा -
गाँधीजी शिक्षा को निःशुल्क तथा अनिवार्य बनाना चाहते थे । देश के स्वतन्त्र होने पर जो संविधान बना उसमें भी कहा है- " जब तक सब बच्चे 14 वर्ष की अवस्था पूर्ण नहीं कर लेंगे तब तक राज्य उनको अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा । "
( 2 ) सामाजिक शिक्षा -
गाँधीजी बुनियादी शिक्षा द्वारा शोषण - विहीन और अहिंसा प्रधान, समाज की रचना करना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि शिक्षा का उद्देश्य- " प्रत्येक प्राणी में सहानुभूति एवं प्रेम उत्पन्न करना और उच्च तथा निम्न वर्गों में समता लाना है। "
( 3 ) जन साधारण की शिक्षा -
गाँधीजी के अनुसार सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना चाहिए । उन्हीं के शब्दों में " जनसाधारण की अशिक्षा शाप और कलंक है । अतः उसका अन्त किया जाना अनिवार्य है। " बेसिक शिक्षा में सभी को शिक्षित किया जाता है । जन - साधारण को निरक्षरता के अभिशाप से बचाना चाहिए ।
( 4 ) स्वावलम्बी शिक्षा -
गाँधीजी शिक्षा को स्वावलम्बी बनाना चाहते थे । इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा था- " सच्ची शिक्षा स्वावलम्बी होनी चाहिए । इसका अभिप्राय यह है कि शिक्षा से पूंजी के अतिरिक्त वह सब धन मिल जाना चाहिए , जो उसे प्राप्त करने में व्यय किया जाये । "
( 5 ) शारीरिक श्रम -
बेसिक शिक्षा में हस्त शिल्प के माध्यम से शिक्षा दी जाती है । इससे शारीरिक श्रम को महत्त्व मिलता है । इससे बालक का शारीरिक और मानसिक विकास होता है ।
बेसिक शिक्षा के क्या उद्देश्य थे?
बेसिक शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य थे -
( 1 ) नागरिकता का विकास
लोगों को शासन के प्रति अपने कर्तव्य और अधिकार के लिए जागृत करना इस शिक्षा का उद्देश्य है ।
( 2 ) नैतिकता का विकास
व्यक्ति में समाज के अन्य लोगों के लिए सहानुभूति , प्रेम , श्रद्धा , सहयोग की भावना का विकास इस शिक्षा का दूसरा उद्देश्य है ।
( 3 ) संस्कृति का विकास
भारत की परिस्थिति के अनुकूल प्राचीन एवं नवीन संस्कृति को भारतीय बना कर ग्रहण करना बेसिक शिक्षा का दूसरा उद्देश्य है ।
( 4 ) शरीर, मन, आत्मा तीनों का विकास
गाँधीजी एकांगी विकास के पक्ष में न थे बल्कि वह व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा का एक साथ विकास करना चाहते थे ।
( 5 ) आर्थिक और व्यावसायिक विकास
ज्ञान और कौशल की प्राप्ति के साथ शिक्षा व्यक्ति को व्यवसाय में लगाये और शिक्षा लेते समय तथा उसके बाद उसे धनोपार्जन में समर्थ बनाये ।
( 6 ) सर्वोदय समाज की स्थापना
भारतीय समाज को प्रगतिशील बनाने के विचार से गाँधीजी शिक्षा के द्वारा उसे सुधारना चाहते थे । शिक्षा से उन्होंने सर्वोदय समाज की रचना करने की सोची जिसमें सबका अभ्युदय हो ।
( 7 ) चरित्र का विकास
गाँधीजी ने कहा , " यदि मुझसे कोई पूछे कि शिक्षा का उद्देश्य क्या है तो मैं उत्तर दूंगा कि चरित्र का विकास । " इसीलिए उन्होंने इस उद्देश्य पर अधिक जोर दिया है ।
( 8 ) आत्मबोध
गाँधीजी ने शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य आत्मबोध माना है।
बेसिक शिक्षा का क्या तात्पर्य है ? बेसिक शिक्षा को बुनियादी शिक्षा क्यों कहा गया है ?
बेसिक शिक्षा का अर्थ- बेसिक ' शब्द का हिन्दी रूपान्तर 'आधारभूत' है। इस प्रकार 'बुनियादी' शब्द का अभिप्राय भी 'आधारभूत' से ही है। इस नवीन शिक्षा को भारत की राष्ट्रीय सभ्यता एवं संस्कृति का आधार बनाया गया है और यह प्रयत्न किया गया कि शिक्षा ऐसी हो, जो बालक की आधारभूत आवश्यकताओं व उसकी रुचियों से घनिष्ठ सम्बन्ध रखे , उसके सर्वांगीण विकास में सहायक हो तथा उसके जीवन की समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हो ।
इस शिक्षा प्रणाली के विषय में कहा गया है कि- " यह शिक्षा सभी भारतीयों को ऐसा आधारभूत ज्ञान प्रदान करने के लिए निर्मित की गयी जो उनको अपने वातावरण को बुद्धिमत्तापूर्वक समझने एवं प्रयोग करने में सहायक हो। " यह बेसिक शिक्षा हस्तकला के माध्यम से दी जाती है, ताकि बालक इस शिक्षा का अपने जीवन में उपयोग कर सके ।
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