राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के दोष - Defects of National Education Policy 1986
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के तहत जो कुछ किया गया है उसमें काफी दोष है। उन्हें नीतिगत नहीं, अपितु क्रियान्वयन प्रक्रिया दोष कहना चाहिए और ये दोष हैं -
1. इस शिक्षा नीति के केन्द्र एवं राज्य सरकारों के शैक्षिक अधिकार एवं उत्तरदायित्व निश्चित नहीं किये गये हैं ।
2. वित्त के क्षेत्र में जन सहयोग के स्थान पर जन शोषण हो रहा है । शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के समय जबरन एक बड़ी धनराशि लेना जन सहयोग है या जन - शोषण है ?
3. प्रथम 10 वर्षीय आधारभूत पाठ्यचर्या का अनुपालन आज तक नहीं किया जा सका है ।
4. ब्लैक बोर्ड योजना के अन्तर्गत प्राथमिक स्कूलों के भवन निर्माण की प्रगति निराशाजनक है ।
5. नवोदय विद्यालय अपने उद्देश्य में असफल सफेद हाथी सिद्ध हुए । हैं ।
6. जिन विद्यालयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किये गये वे असफल रहे हैं। पाठ्यक्रम अपने में न पूर्ण थे और न उपयोगी संसाधनों और प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी स्थायी समस्या सिद्ध हुई।
7. हर क्षेत्र की भाँति शिक्षा में दोहरी नीति अपनायी गई है। एक तरफ प्रवेश पर नियन्त्रण और दूसरी तरफ सभी को शिक्षा के अवसर सुलभ कराने की बात कही गई है । परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा की अधिकतर संस्थाओं में अयोग्य, अराजक तत्त्वों का प्रवेश हो रहा है। संस्थाएँ डिग्रियाँ प्राप्त करने के कारखाने बन गई हैं, समय, शक्ति और धन का अपव्यय हो रहा है ।
8. शिक्षा संस्थाओं को कैपीटेशन फीस लेने की इस शर्त के साथ स्वीकृत दे दी गई है कि सरकार द्वारा चयनित छात्रों को एक निश्चित प्रतिशत में बिना कैपीटेशन फीस लिए उचित फीस लेकर प्रवेश देना होगा ।
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