वुड का घोषणा पत्र 1854 | वुड के घोषणा पत्र ( Wood Ghoshna Patr ) की मुख्य सिफारिशें

वुड का घोषणा पत्र 1854 | वुड के घोषणा पत्र की मुख्य सिफारिशें

ईस्ट इण्डिया कम्पनी को प्रत्येक बीस वर्ष के बाद नवीन आज्ञा - पत्र प्राप्त करना होता था। सन् 1833 के बाद 1853 में नया आज्ञा - पत्र जारी होना था। ब्रिटिश संसद् अब यह अनुभव कर चुकी थी कि भारतीय शिक्षा की उपेक्षा करना ठीक नहीं होगा और शिक्षा की एक स्थायी नीति निश्चित करना आवश्यक था। अतः ब्रिटिश लोकसभा द्वारा संसदीय समिति की नियुक्ति की गयी । समिति ने 1853 तक की भारतीय शिक्षा का गहन अध्ययन किया और ट्रैवेलियन , पैरी, मार्शमैन, विल्सन, हैलीडे तथा डफ आदि से भी परामर्श लिया गया ।


यह सभी पहले भारतवर्ष में रह चुके थे। अपनी जाँच के अनुसार समिति ने बताया कि भारतीय शिक्षा के प्रश्न को टालना हितकर न होगा तथा शिक्षा के प्रसार से भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को क्षति पहुँचने की आशंका नहीं है । ब्रिटिश सरकार ने प्रवर समिति के सुझावों के आधार पर भारत के लिए नया आज्ञा-पत्र प्रस्तुत किया । उस समय चार्ल्स वुड कम्पनी के बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल के प्रधान थे। उनके आदेश पर 14 जुलाई , 1854 को कम्पनी के संचालकों ने अपनी भारतीय शिक्षा नीति की घोषणा की।


यह कम्पनी का नया शिक्षा घोषणा पत्र था । उस समय चार्ल्स वुड ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल का अध्यक्ष था , अतः उसी के नाम पर कम्पनी का यह नया आदेश - पत्र वुड का शिक्षा का घोषणा पत्र कहा गया । यह घोषणा - पत्र 100 अनुच्छेदों का एक लम्बा अभिलेख था । इसमें भारतीय शिक्षा के सुधार के लिए एक विशिष्ट योजना प्रस्तुत की गयी । इस घोषणा - पत्र के द्वारा भारतीय शिक्षा में एक नया मोड़ आया । 


वुड के घोषणा पत्र की मुख्य सिफारिशें क्या थी ?

चार्ल्स वुड के घोषणा पत्र की मुख्य सिफारिशें निम्नलिखित हैं 


( 1 ) शिक्षा का उत्तरदायित्व -

घोषणा पत्र में स्वीकार किया गया कि भारतीय शिक्षा का उत्तरदायित्व सरकार पर है । जैसा कि घोषणा - पत्र में कहा गया है कि " कोई भी अन्य विषय हमारा ध्यान आकर्षित नहीं कर सकता जितनी शिक्षा । यह हमारा एक पवित्र कर्त्तव्य है । " 


( 2 ) वुड के घोषणा पत्र में शिक्षा का उद्देश्य 

घोषणा पत्र में भारतीय शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किये गये- 

( i ) भारतीयों की बौद्धिक एवं चारित्रिक उन्नति करना । 

( ii ) पाश्चात्य ज्ञान द्वारा भारतीयों की भौतिक समृद्धि सहायता करना । 

( iii ) राज्य सेवा के लिए सुयोग्य कर्मचारी तैयार करना । 

( iv ) भारतीयों का जीवन स्तर ऊंचा करके अंग्रेजी माल की खपत बढ़ाना । 


( 3 ) पाठ्यक्रम - 

घोषणा पत्र में साहित्य तथा भाषाओं की उपयोगिता को बताते पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना स्वीकार किया गया परन्तु पाश्चात्य साहित्य तथा विद्वानों का अध्ययन भारतीयों के लिए उपयुक्त समझा गया है और उसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का सुझाव किया गया ।


( 4 ) शिक्षा का माध्यम - 

घोषणा - पत्र में अंग्रेजी तथा देशी भाषाओं दोनों को शिक्षा का माध्यम स्वीकार किया गया तथा कहा गया कि " हम भारत के समस्त स्कूलों में उनको इस रूप में साथ - साथ फलते - फूलते देखना चाहते हैं। "


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