पर्यावरण के साथ मानव समायोजन ( Human Adjustment with the Environment )
अपने भौतिक पर्यावरण के साथ मानव का सामंजस्य अत्यंत प्राचीनकाल से चला आ रहा है, जबकि वह पत्थर युग में था। इस युग में मनुष्य ने अपनी सुरक्षा के लिए घर बनाने, प्रकृति की वस्तुओं का भोजन के रूप में उपयोग करने, पत्थर को काट-छॉट, घिसकर औजार बनाने, जंगली पशुओं को पालतू बनाने, जादू आदि पर विश्वास करने और सामूहिक रूप से सुरक्षा आदि करने के रूप में मनुष्य ने अपने सांस्कृतिक पर्यावरण को जन्म देने में योग दिया है।
तभी ये मनुष्य भौतिक पर्यावरण के सथ सामंजस्य करता रहा है, मनुष्य ने विज्ञान, तकनीकी ज्ञान और आर्थिक क्रियाओं में बड़े महत्वपूर्ण परिवर्तन करके अपने को भौतिक पर्यावरण के साथ सामंजस्य करने की रीतियों में बड़ा प्रसार किया है। इस प्रकार सामंजस्यों को प्रधानतः तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है- आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक और राजनीतिक-
1. आर्थिक संमजन (Economic Adjustment):
इस प्रकार का अनुकूलन समाज द्वारा कार्यप्रतिमानों के रूप में किया जाता है। मनुष्य कौन-सा कार्य करता है यह उसकी इच्छाओं, विचारों और उसकी कुशलता पर निर्भर करता है। मोटे तौर पर यह बात भौतिक पर्यावरण में मिलने वाली सम्पदा द्वारा प्रभावित होती है। आर्थिक समंजन मुख्यतः चार श्रेणियों में बाँटे जा सकते हैं -
- उद्यम (Extractive occupations) :- इसमें मछली पकड़ना, लकड़ी काटना, जाल विछाकर पशुओं को पकड़ना तथा खार्ने खोदना सम्मिलित किया जाता है। इन कार्यों में प्रकृति से सीधे ही वस्तुएँ प्राप्त की जाती हैं। इस प्रकार मनुष्य वस्तु उपयोगिता उत्पन्न करता है।
- उत्पादक उद्योग (Genetic or Productive industries):- इसके अन्तर्गत मनुष्य भूमि से उन वस्तुओं को अधिकाधिक मात्रा में प्राप्त करने का प्रयास करता है जो पहले से ही मौजूद हैं जैसे कृषि, पशुपालन तथा रेशम के कीड़े पालकर उनका उत्पादन प्राप्त करना।
- निर्माण उद्योग (Manufacturing industries): इसके अन्तर्गत खदानों अथवा कृषि से प्राप्त वस्तुओं को पिघलाकर, साफ-सुथरा कर उनसे वस्तुएँ निर्मित की जाती हैं। इस प्रकार के उद्योग के स्वरूप उपयोगिता प्राप्त की जाती है।
- वाणिज्यक क्रियाकलाप (Commercial activities) :- इनमें यातायात एकत्रीकरण, विनिमय एवं अर्थ प्रबन्धन की क्रियाएँ सम्मिलित की जाती हैं। इसके द्वारा स्थान और समय उपयोगिता प्राप्त की जाती हैं। इसके साथ मनुष्य की अन्य व्यावासायिक सेवाएँ-शिक्षा, कानून, डाक्टरी, आदि व्यक्तिगत सेवाएँ (घरेलू कार्य, सफाई का कार्य, आदि) भी सम्मिलित किए जाते हैं।
2. समाजिक एवं सांस्कृतिक समंजन (Social and Cultural Adjustment)
मानव समाज अपने भौतिक पर्यावरण के साथ इस प्रकार का सामंजस्य भी स्थापित करता है। इसके अन्तर्गत जनसंख्या का घनत्व, भूमि पर स्वामित्व, सामाजिक वर्ग, परिवार, समाज संबंध, आदि बाते सम्मिलित होती हैं। इसी प्रकार के समंजन में मनुष्य के व्यवहार एवं आदतें, उनका स्थायी जमाव व घुमक्कड़ जीवन, उसके वस्त्र, भोजन, घर, आचार-विचार, धार्मिक विश्वास एवं आस्थाएँ, कला, आदि बातों का भी समावेश किया जाता है।
3. राजनीतिक समंजन (Political Adjustment)
मानव समाज अपने भौतिक पर्यावरण से नागरिक तथा राजनीतिक समंजन स्थापित करता है। इस क्रिया के अन्तर्गत स्थानीय, प्रान्तीय या राष्ट्रीय सरकारों की स्थापना, अन्तर्राष्ट्रीय संबंध, सैन्य नीतियाँ तथा अन्तराष्ट्रीय कानून आदि की व्यवस्था सम्मिलित होती हैं।