परीक्षा एवं मूल्यांकन का अर्थ || Meaning of examination and evaluation
परीक्षा-
परीक्षा शब्द संस्कृत के 'इक्षु' धातु से बना हुआ है जिसमें 'परि' उपसर्ग जुड़ा है। 'परि' का अर्थ है 'चारों तरफ' और 'इक्ष' का अर्थ होता है 'देखना।' इस प्रकार 'परीक्षा' का अर्थ हुआ-छात्र को चारों तरफ से देखना या उसके शैक्षिक प्रयासों को चारों ओर से या अच्छी तरह देखना या जाँचना। इस प्रकार परीक्षा वह साधन है जिससे छात्र की शैक्षिक योग्यता की नाप-तौल अधवा जाँच की जाती है।
मूल्यांकन का अर्थ, परिभाषा तथा महत्त्व
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की प्रगति एवं सीमा के ज्ञान के लिए मूल्यांकन की आवश्यकता है। इसके अभाव में हमारे समस्त क्रिया-कलाप मूल्यहीन बन जाते हैं, क्योंकि इसके द्वारा हमारी सफलताओं एवं असफलताओं का निर्णय, कठिनाइयों आदि का निर्धारण किया जाता है।
शिक्षा जगत में मूल्यांकन का महत्त्व अत्यधिक है। मूल्यांकन के द्वारा ही बालक की भावी जीवन-यात्रा का पथ प्रदर्शन किया जाता है। मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसक द्वारा बालक की भावी जीवन-यात्रा का प्रदर्शन होता है।
मूल्यांकन की परिभाषाएँ
(1) डायरेक्ट्रोरेट ऑफ एक्सटेन्शन प्रोग्राम फॉर सेकेण्डरी एजूकेशन की एक पत्रिका के अनुसार, "मूल्यांकन का अर्थ केवल माप से ही नहीं है, क्योंकि माप केवल अंकों के सन्दर्भ में की जाती है, यह बालक की प्रगति के मूल्यांकन की निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। यह शिक्षा के समस्त कार्यों से अविछिन्न रूप से सम्बन्धित है। इस कारण ध्येय केवल बालक की निष्पत्ति की माप न करके निर्देश को समुन्नत बनाता है।"
(2) टारगरसन तथा एडम्स महोदय का मत है कि "मूल्यांकन करना किसी वस्तु या प्रक्रिया के महत्त्व को निर्धारित करता है। इस प्रकार शैक्षिक मूल्यांकन अधिगम अनुभव की शिक्षण प्रक्रिया की उपयोगिता की मात्रा का निर्णय करना है।"