माध्यमिक स्तर पर सामाजिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य || Objectives of teaching social sciences at secondary stage
शिक्षा की नवीन अवधारणा के अनुसार शिक्षण की अपेक्षा अधिगम अधिक महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अध्यापक का प्रमुख दायित्व ऐसे निर्णयों तक पहुँचाना है, जो अधिगम प्रक्रिया के उचित प्रबंधन हेतु आवश्यक हों। अध्यापक को न केवल छात्रों को अभिप्रेरित करना है, वरन् उस विशिष्ट उद्देश्यों का भी ध्यान रखना है, जिनके द्वारा छात्रों में वांछित व्यवहारंगत परिवर्तन प्राप्त किया जा सके।
शैक्षिक प्रबन्धक के रूप में अध्यापक सर्वप्रथम शिक्षण उद्देश्यों को निर्धारित करता है, उसके पश्चात् इन उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन उद्देश्यों के माध्यम से छात्रों में कौन से व्यवहारगत परिवर्तन प्राप्त किये जा सकते हैं। इस प्रक्रिया के पश्चात् अध्यापक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें उचित शिक्षण अनुभव प्राप्त करके छात्र वांछित व्यवहारगत परिवर्तन तथा पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति करते हैं।
शिक्षण उद्देश्य शिक्षण प्रक्रिया का मूलाधार एवं अंतिम प्राप्तव्य है। पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि एवं मूल्यांकन प्रक्रिया सभी का निर्धारण शिक्षण उद्देश्यों से होता है।
शिक्षण एक सोद्देश्य व अर्थपूर्ण प्रक्रिया है, अतः पाठ्य-वस्तु के विश्लेषण के पश्चात् अध्यापक शिक्षण उद्देश्यों को निर्धारित करता है। शिक्षण उद्देश्यों की पहचान अध्यापक शैक्षिक उद्देश्यों के सम्बन्ध में अपने ज्ञान एवं बोध के आधार पर करता है।