इतिहास शिक्षक के क्या गुण होने चाहिए?
इतिहास शिक्षक के गुण - शिक्षक का प्रमुख लक्ष्य वर्तमान को भूतकाल में प्रकाश में समझना होता है। श्री घाटे ने इस तथ्य को प्रकट करते हुए लिखा है कि "वर्तमान को समझने के लिए इसमें अन्तर्निहित भूतकाल को देखना है, यह एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है।"
भूत तथा वर्तमान को सम्बद्ध कर वर्तमान की भली-भाँति समझने में इतिहास-शिक्षक की एक प्रमुख भूमिका होती है, जिसे वह अपनी योग्यता तथा कुशलता से निभा सकता है। नैतिक शास्त्र विषय की विशिष्टताओं के कारण नैतिक शास्त्र-शिक्षक से कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है जो कुछ विशेष गुणों की अपेक्षा करता है। नैतिक शास्त्र शिक्षक के गुणों को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-
(अ) इतिहास शिक्षक के सामान्य गुण :-
अन्य विषयों के शिक्षकों को भाँति, नैतिक शास्त्र शिक्षण में भी निम्नांकित वैयक्तिक गुणों की आवश्यकता है -
1. उत्तम स्वास्थ्य :-
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार शिक्षक में शैक्षिक तथा अन्य योग्यताओं के साथ यह भी आवश्यक है कि वह स्वस्थ हो । स्वस्थ शिक्षक ही अपनी श्रमशीलता एवं आकर्षक व्यक्तित्व से शिक्षण को प्रभावी बना सकता है।
2. संवेगात्मक सन्तुलन :-
शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षक का मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही ओवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य शिक्षक में संवेगात्मक सन्तुलन होना है। संवेगों पर उचित नियन्त्रण एवं नियमन कर उनका उन्नयन किया जाना मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। संवेगात्मक असन्तुलन से शिक्षक में चिड़चिड़ापन, पूर्वाग्रह, दुराग्रह, पक्षपात आदि अनेक दोष आ जाते हैं जिनका शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
3. सामाजिक गुण :-
शारीरिक तथा मासिक स्वास्थ्य के साथ शिक्षक में सामाजिक गुणों का होना भी आवश्यक है। सहयोग, सद्भावना, सहानुभूति, निर्णय-शक्ति, धर्म सहिष्णुता, लोकतान्त्रिक व समाजवादी चेतना तथा जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण साहस आदि सामाजिक गुण शिक्षण-व्यवसाय में सहायक सिद्ध होते हैं। इन गुणों के उचित सामंजस्य से शिक्षक विद्यार्थियों में इतिहास के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण उत्पन्न कर उन्हें अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा देता है।
4. नेतृत्व की क्षमता :-
जनतान्त्रिक व्यवस्था के अनुकूल बालकों के नेतृत्व के गुणों का विकास करने के लिए शिक्षक में अपने व्यक्तित्व योग्यता एवं व्यवहार से स्वयं नेतृत्व करने की क्षमता होनी चाहिए। इतिहास-शिक्षक विद्यार्थियों का उचित नेतृत्व पर उसमें विषय के प्रति वांछित अभिरूचि एवं अभिवृत्तियाँ विकसित कर सकता है।
5. उच्च चरित्र एवं दृढ़ संकल्प
वैयक्तिक गुणों का आधार व्यक्ति का नैतिक चरित्र एवं उसका दृढ़ संकल्प होता है। सच्चरित्र अध्यापक विद्यार्थियों में अच्छी आदतों का निर्माण कर उनका नैतिक विकास करता है। उसके अप्रत्यक्ष प्रभाव से योग्य भावी नागरिकों का निर्माण होता है। इतिहास-शिक्षक अतीत के ज्ञान को अपने चरित्र की दृढ़ता द्वारा और उपयोगी बना देता है। ऐतिहासिक महापुरूषों के जीवन एवं कृतित्व चरित्रवान शिक्षक की व्याख्या द्वारा विद्यार्थियों को देश एवं मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देने में सहायक होते है।
6. विद्यार्थियों के प्रति सहानुभूति एवं स्नेह
उपरोक्त वैयक्तिक गुण शिक्षक द्वारा विद्यार्थियों के प्रति उचित सहानुभूति एवं स्नेह प्रदर्शित करने पर अत्यन्त प्रभावी हो सकते हैं। स्नेह सहानुभूति से शिक्षक विद्यार्थियों का विश्वास, आदर एवं श्रद्ध सहज ही प्राप्त कर लेता है। ये गुण उसके सहयोगियों, उच्चाधिकारियों एवं छात्रों के अभिभावकों के साथ शिक्षक के सम्बन्धों को भी मधुर बनाते हैं।