प्रेक्षण विधि
पर्यावरणीय मनोविज्ञान में प्रश्नावली विधि के बाद दूसरी सर्वाधिक प्रचलित विधि प्रेक्षण विधि है। प्रेक्षण अनुसंधान की एक महत्वपूर्ण विधि है। पी० वी० यंग के अनुसार "प्रेक्षण आंखों द्वारा किया गया स्वाभाविक घटनाओं के सम्बन्ध में एक ऐसा क्रमबद्ध तथा विचारपूर्वक अध्ययन है, जो कि उनके घटित होने के समय पर किया जाता है। प्रेक्षण का उद्देश्य विषम सामाजिक घटनाओं, संस्कृति के प्रतिरूपों अथवा मानव व्यवहार के अन्तर्गत सार्थक अन्तर्सम्बन्धित तत्वों के स्वरूप तथा विस्तार को ज्ञात करना होता है।"
प्रेक्षण विधि के अन्तर्गत दूसरों के व्यवहारों तथा अन्तः क्रियाओं का अवलोकन करके उसके सम्बन्ध में प्रतिवेदन तैयार किया जाता है। इसमें अनौपचारिक अवलोकन से लेकर औपचारिक एवं संरचित अवलोकन तक होता है। इसमें अवलोकन होने वाले पर्यावरण का चयन पहले ही हो जाता है, साथ ही विशेष रूप से निर्मित कूट संकेत पत्र पर विशिष्ट व्यवहार का प्रतिवेदन तैयार किया जाता है।
इस प्रकार प्रेक्षण ऐसा आत्म अभिलेखविहीन मापन है, जिसका प्रयोग, तीनों ही प्रकार (प्रयोगात्मक, सहसम्बन्धात्मक एवं वर्णनात्मक) के अनुसंधान विधियों में सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
पर्यावरणीय मनोविज्ञान में कई शोधकर्ताओं एवं मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन हेतु प्रेक्षण विधि का उपयोग किया है। पर्यावरणीय मनोविज्ञान में रोजर्स तथा वारकर द्वारा निर्मित 'व्यवहार प्रतिवेश विधि' (Behaviour Setting Method) को प्रेक्षण विधि के रूप में माना जा सकता है।
इसमें प्रेक्षक का कार्य घटित होने वाले क्रियाओं एवं अन्तः क्रियाओं से सम्बन्धित टिप्पणी करना होता है। प्रशिक्षित प्रेक्षक, निर्धारित निर्देशिका के अनुसार प्रतिवेदन तैयार करते हैं। असंरचित प्रेक्षण में प्रेक्षक, असामान्य तथा जिज्ञासा वाले घटनाओं को अलग से लिखते जिसका उपयोग परिणामों की व्याख्या करने में किया जाता है।