प्रेक्षण विधि - Observation method
यह विधि समस्त विज्ञानों की प्राचीनतम अध्यय पद्धति है। प्रेक्षण का अर्थ है अपने आस-पास अध्ययन की विषय-वस्तु से सम्बन्धित गोचरों का ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना। परिवेश में घटित होने वाले परिवर्तनों का अनुभव करना ज्ञानेन्द्रियों के आधार पर ही संभव होता है। अनुभव पर आधारित ज्ञान वैज्ञानिक माना जाता है। इसीलिए विज्ञानों को हम ज्ञान प्राप्त करने के लिए इन्द्रियानुभविक उपागम पर आधारित मान सकते हैं। इस प्रकार प्रेक्षण समस्त विज्ञानों की मूलभूत अध्ययन विधि है।
प्रेक्षण विधि की प्रमुख पहचान यह है कि इसमें प्राणियों के स्वतः घटित होने वाले व्यवहारों का अभिलेख लिया जाता है। प्रेक्षणकर्ता किसी भी तरह का व्यवहार होते समय व्यतिकरण या हस्तक्षेप नहीं करता। इसीलिए डी. अमेटो ने बताया कि "अध्ययन की जाने वाली घटनाओं में सक्रिय चरों का औपचारिक हस्तादि प्रयोग किये बिना ही उन घटनाओं को नोट कर अभिलिखित किया जाता है।"
इस प्रकार के प्रेक्षण इस ढंग से किये जाते हैं कि दूसरे प्रेक्षणकर्ता भी उन्हें अनुभव कर उसी प्रकार प्रेक्षण कर सकें। वे गोचर जो किसी व्यक्ति विशेष द्वारा ही अनुभव किये जाते हैं और जिनका प्रेक्षण अन्य लोग नहीं कर पाते हैं, तो ऐसे गोचरों के प्रेक्षण को वैज्ञानिक नहीं माना जाता।
वैज्ञानिक प्रेक्षण में प्रमुख रूप से तीन की त्रुटियाँ उत्पन्न होती हैं जो पृथक् पृथक् स्त्रोतों से उत्पन्न होती हैं। कभी-कभी प्रेक्षण किये गये गोचर में 'भौतिक पर्यावरण' की विशेषताओं के कारण गोचर या घटना में विरूपता उत्पन्न हो जाती है। उदाहरणार्थ, अँधेरे में रस्सी का टुकड़ा साँप लगता है। ऐसी त्रुटियों से प्रेक्षणकर्ता को सावधान रहना होता है। उसके लिए आवश्यक हो जाता है कि भौतिक स्थिति को प्रकृत करने अर्थात् रोशनी में उस टुकड़े को देखें।
साथ ही साथ आँख के साथ अन्य ज्ञानेन्द्रियों का, जैसे स्पर्श का भी प्रेक्षण में उपयोग करें। दूसरे प्रकार की त्रुटियों के स्त्रोत कभी-कभी प्रेक्षण के लिए काम में आने वाले यन्त्र या उपकरण भी होते हैं। प्रेक्षण करते समय टेप रिकार्डर के दिखाई पड़ते रहने से किसी व्यक्ति की स्वाभाविक बातचीत कृत्रिम बन सकती है। साइकोगैल्वेनो मीटर को देखकर व्यवहार करने वाले व्यक्ति में अनायास सांवेगिक क्रिया होने लगती है।
स्पष्ट है कि इस तरह प्राप्त किये गये प्रेक्षण-प्रदत्त त्रुटिपूर्ण हो जाते हैं। प्रेक्षणकर्ता के लिए आवश्यक है कि वह प्रेक्षण किये जाने वाले व्यक्ति को या तो ऐसे यन्त्रों का अनुभव न होने दे या उसे प्रयुक्त किए जाने बाले उपकरणों का अभ्यस्त बना लें।