राष्ट्रीय एकता में इतिहास शिक्षण का योगदान

राष्ट्रीय एकता में इतिहास शिक्षण का योगदान - Contribution of history teaching to national unity


प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्र में रहने वाले प्रत्येक नागरिको में राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता है, क्योंकि यह माना जाता है कि जब व्यक्ति में राष्ट्रीय दृष्टिकोण विकसित हो जाएगा तभी वह अपनी स्वतंत्रता की प्राप्ति तथा उसकी रक्षा कर सकता है। प्रत्येक देश में राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए शिक्षा को अत्यन्त महत्वपूर्ण और उपयोगी साधन माना गया है और राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण एवं राष्ट्रीय भावना का विकास शिक्षा के महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित किए गए। इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए पाठ्यक्रम में इतिहास की महत्पूर्ण स्थान प्रदान किया गया।

जब हम शताब्दियों की दासता से स्वतंत्र हुए तब हमारे कर्णधारों ने इस बात का अनुभव किया कि राष्ट्रीय एकता स्थापित करने और राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के दृष्टिकोण से इतिहास को विद्यालयी पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाना चाहिए। 

डॉ० सम्पूर्णानन्द के अनुसार राष्ट्रीय एकता के विकासस के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण आवश्यकता है अतः विद्यालयी इतिहास को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाना चाहिए, क्योंकि इसके अध्यापन द्वारा उन विचारों, भावनाओं, दृष्टिकोणों एवं धारणाओं का विकास किया जा सकता है जो राष्ट्रीय एकता के विकास के आधार पर काम करते हैं। 

वर्तमान में आर्थिक विषमताओं, भाषायी विभिन्नताओं, सामाजिक विषमता एवं अन्तर, धार्मिक भेदभावों स्थानीय तथा क्षेत्रीय लगावों आदि ने हमारे राष्ट्रीय जीवन को निर्बल बना दिया। इस कारण से आवश्यक हो गया कि भारत की राष्ट्रीय एकता को कायम किया जाय। 

अतः कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय एकता को कायम करने के लिए विरोधात्मक एवं ध्वंसात्मक प्रवृत्तियों को दबाने, राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित एवं अग्रसर करने वाली शक्तियों को प्रोत्साहित करने, भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकीकरण के आन्तरिक एवं बाह्य खतरों के सुरक्षा प्रदान करने तथा भविष्य में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक उन्नति प्रदान करने में इतिहास शिक्षण का महत्वपूर्ण योगदान है।

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