Sustainable Developement: टिकाऊ विकास का अर्थ एवं परिभाषा

टिकाऊ विकास का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए इसकी अवधारणा पर चर्चा कीजिए।

विकास का अर्थ (Meaning of Development)


विकास वृद्धि है जिसका अर्थ जन-समूहों की क्रय शक्ति को बढ़ाता है।


विकास और कुछ नहीं बल्कि आर्थिक वृद्धि एवं सकल राष्ट्रीय उत्पादन तथा सकल घरेलू उत्पादन में वृद्धि है। विकास आर्थिक एवम् सामाजिक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत सामाजिक एवं आर्थिक संगठन से संरचनात्मक परिवर्तन सम्मिलित है।


विकास जनसमूह में सम्बन्धित एक प्रक्रिया है, विकास, पर्यावरण, इतिहास तथा भविष्य की महत्वकांक्षा से सम्बन्धित जनसमूहों की योग्यता व जीविका को दिशा-निर्देश देने की शक्ति की वृद्धि से संबंध है।


विकास केवल पश्चिमी देशों की बराबरी करने से सम्बन्धित नहीं है। यह आजीविका की जीवन शैली के विस्तृत क्षेत्र एवम् चयन की गुणवत्ता से ही सम्बन्धित है। यह अच्छे पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा एवम् अत्याचार तथा गरीबी से मुक्ति को अपने अन्दर समाहित करता है।


टिकाऊ विकास का अर्थ (Meaning of sustainable development)


यह ऐसा विकास है जो भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं में हस्तक्षेप किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने पर बल देता है" (ब्रून्टलैण्ड आयोग)


"सहायक परितन्त्र की वहन क्षमता में रहते हुये मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार टिकाऊ विकास है।" (केयरिंग फॉर द अर्थ ए स्ट्रेटजी फॉर सस्टेनेबल लिविंग) IUCN (International Union for Conservation of Nature) ने इस सन्दर्भ में लिखा है -


"सतत विकास का अर्थ है, पारिस्थितिकी तंत्र की वहन क्षमता के भीतर रहते हुए मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।"


"सतत् विकास से तात्पर्य है कि उपलब्ध परितन्त्र के अन्तर्गत मनुष्य के जीवन की गुणवत्त में विकास हो।"


लेकिन इस कथन में भविष्य के बारे में कोई आशा अथवा सोच नहीं है, केचवल वर्तमान में सुखी जीवन की कल्पना है, जबकि आज विकास की परिधि में इतने घटक सम्मिलित हैं कि उनकी समेकित सूची बनाना ही कठिन है। पर्यावरण की दृष्टि से 'पर्यावरण को गुणवत्ता' से ही 'जीवन की गुणवत्ता' का होना सम्भव है और उसके लिए एक अच्छे पर्यावरण की कल्पना कर जीवन को बेहद सुन्दर और वर्तमान से भविष्य की ओर उन्मुख कर सकते हैं। तब हम यह कह सकते हैं - "Sustainable development reflects the development of all types pertain- ing to human from present to future with the wiseful use of all resources available to us.”


"सतत् विकास ऐसे विकास को कल्पना करता है जिसमें वर्तमान में भविष्य तक हममें सभी मिल सकने वाले संसाधनों का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग करने की क्षमता हो।"


शाश्वत विकास का सामान्य अर्थ जीवन धारण करने योग्य विकास अपना दीर्घकाल तक रहने वाला विकास है। इसय आकार के विकास का आधार पर्यावरण से प्राप्त विभिन्न संसाधनों पर टिका है।


शाश्वत की सही दिशा है-जीवन धारण करने योग्य विकास, क्योंकि इससे वर्तमान तथा भविष्य में सुख-सुविधा प्राप्ति निश्चित रहती है। जीवन धारण करने योग्य विकास का कार्य पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण किया जा सकता है पारिस्थितिकीय जीवन धारणा करने योग्य विकास से तात्पर्य उस विकास से है, जो मानव जीवन की उत्तमत्ता को पर्यावरण की हानि पहुंचाये बिना रखे। "The aim of ecologically matainable development is a to maximise human well being or quality of life without impardizing the life support system."


इसलिये यह विकास पर्यावरण व पारिस्थितिकी के साथ सामंजस्य करने से होगा तथा उन तकनीकों का विकास करके जिनसे पर्याचवरण-हानि को रोका जा सके। इसके किये पारिस्थितिकी के साथ आर्तिक, सामाकि, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक तथ्यों का भी समन्वय करना होगा।


जनसंख्या के संसाधनों पर दबाब को सीमित और कम करना इसकी प्राथमिक आवश्यकता है। क्षेत्रीय पर्यावरण के उपयुक्त प्रौद्योगिकी को अपनाकर भी पारिस्थितिकी की रक्षा की जा सकती है। संविकास से तात्पर्य यह है कि विकास इस प्रकार का होना चाहिये जो मानव समाज की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के अतिरिक्त भविष्य के लिये भी आधार प्रस्तुत करें।


टिकाऊ विकास की अवधारणा (concept of sustainable development)


'टिकाऊ' विकास को 'न्यायसंगत और सन्तुलित' विकास के रूप में उल्लिखित किया जा सकता है। यह एक उभरता हुआ विषय है। इसे एक परिभाषा में व्यक्त करना जटिल और कठिन है। भिन्न लोगों के लिये टिकाऊ विकास का अर्थ अलग-अलग है अतः यह विभिन्न व्याख्याताओं से युक्त है और विविध अभिव्यक्तियों रखता है।


इस संकल्पना की व्याख्या राष्ट्रों, संस्कृतियों समय के बीच परिवर्तित होती रहती है। यद्यपि, एक सामान्य समझ है कि "यह वह विकास है जो न्यायसंगत, सशक्त, आवश्यकता के अनुरूप आत्मनिर्भर पर्यावरण के लिये हितकारी, आर्थिक तौर पर जीवनक्षम और चिरस्थायी है।"


टिकाऊ विकास की मान्यताएँ निम्नलिखित हैं -


  • टिकाऊ विकास के द्वारा सामुदायिक संसाधनों को इस प्रकार से प्रयोग किया जाता है कि वे संरक्षित हों और संवृद्ध हो सके जिससे पारिस्थितिकीय प्रक्रियायें चलती रहें, जिन पर जीवन निर्भर है और जीवन की गुणवत्ता वर्तमान और भविष्य दोनों में बढ़ सकें।
  • टिकाऊ विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लोगों के अवसरों को सुरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिये सम्पत्तियों का प्रबन्धन सुनिश्चित किया जाता है।
  • टिकाऊ विकास ऐसा विकास है जो कि जैवमण्डल के प्राकृतिक क्रियाकलापों से संगत है।
  • टिकाऊ विकास ऐसा विकास है जो पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित योजनाओं के प्रभावों को ध्यान में रखता है।
  • टिकाऊ विकास ऐसा विकास है, जो मानव आवश्यकताओं को चिरस्थायी सन्तुष्टि और मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार हेतु उपयुक्त है।
  • टिकाऊ विकास एक ही समय में ज्यादा उत्पादन और हमारे पर्यावरण को सुधारने के दोनों उद्देश्यों से जुड़ा हुआ है।
  • विकास की रणनीति का उ‌द्देश्य मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। ऐसी रणनीति का टिकाऊ होना यह दर्शाता है कि इससे भावी पीढ़ियों का स्वास्थ्य या उत्पादन क्षमता संकट में न पड़ें।
  • टिकाऊपन का उ‌द्देश्य स्वयं के साथ साथ अर्थव्यवस्था, शासन प्रणाली और समाज का स्वपुनरुत्थान करना है।
  • टिकाऊ प्राकृतिक संसाधनों के कुल भण्डार को शामिल करता है ताकि वे भविष्य के साथ-साथ वर्तमान के लिये भी उपलबध हो।
  • टिकाऊ विकास के लिए स्वस्थ पर्यावरण अत्यन्त आवश्यक है।
  • पृथ्वी व मानवता दोनों के हित के लिये टिकाऊपन एक भौगोलिक लक्ष्य है।


टिकाऊ विकास के लिए शिक्षा की भूमिका ( The role of education for sustainable development )


टिकाऊ विकास के लिये शिक्षा की भूमिका (Role of Education) :- सभी स्तरों के लिये जैसे व्यक्तिगत समुदार्यो, राष्ट्रों एवम् विश्व हेतु टिकाऊ जीवन शैली की नई पद्धति होनी चाहिये। नई पद्धति को अपनाने के लिये बहुत से लोगों के आचरण में महत्वपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि शिक्षण कार्यक्रम टिकाऊ जीवनशैली की महत्ता को परिलक्षित कर रहे हैं। (आई. यू.सौ.एन., यूनेप, डब्ल्यू डब्ल्यू. एफ., 1991)


टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने एवं पर्यावरण तथा विकास के मुर्दो को सम्बोधित करने में, जनमानस की क्षमता में सुधार लाने हेतु शिक्षा, विशिष्ट भूमिका निभाती है। टिकाऊ विकास के साघ पर्यावरणीय एवम् नैतिक सम्बन्धी जागरूकता, मूल्यों एवम् अभिप्रेरण, कौशल तथा व्यवहार को पाने और निर्णायक स्तर पर प्रभावी जनसहभागीदारी के लिये शिक्षा अत्यन्त महत्वपूर्ण है। (यू. एन.सी.ई.डी., 1992)


शिक्षा के द्वारा ज्ञान का प्रसार एवं व्यवहार, मूल्यों तथा जीवनशैली में वांछनीय परिवर्तन के द्वारा कौशल का विकास किया जा सकता है निरन्तर एवम् आधारभूत परिवर्तन के लिये जनसमुदाय की भागीदारों को बढ़ाने में भी शिक्षा की अहम् भूमिका रहती है और यह तभी आवश्यक है तब मानता अपनी चाल परिवर्तित करता है और अपने पीछे उस साधारण मार्ग को छोड़ देता है जो बढ़ती हुई परेशानियों एवम् महाविपत्ति को और अग्रसर हो रहा है तथा टिकाऊ की और अपनी यात्रा आरम्भ करता है। (यूनेस्को, 1997) कार्यवाही हेतु क्रियाएँ (Activities): इस सम्बन्ध में कार्यवाही हेतु विभिन क्रियाएँ इस प्रकार है-


1. सम्बन्धित केस अध्ययनों का दस्तावेजीकरण

किसी एक पर्यावरणीय मुद्दे का चयन करें। ऐसे केस अध्ययनों का दस्तावेजीकरण करें जिनमें सर्वश्रेष्ठ गतिविधियाँ, नीतियाँ, अधिनियमों, समझौतों, नागरिकों के कार्यों तथा समुदाय की पहलों और अन्य कार्यों, जिनका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, सम्मिलित हो सकते हैं।


2. विज्ञापनों का पर्यावरण का प्रभाव

मुद्रित व दृश्य संचार माध्यमों दोनों में विभिन्न प्रकार के विज्ञापन दिखाई देते हैं। यह समझने के लिये कि इनमें से कितने विज्ञापन पर्यावरण से सम्बन्धित सूचनाओं को प्रेषित करते हैं, इन विज्ञापनों का मूल्यांकन करें।


3. पर्यावरणीय क्षरण

आप अपने क्षेत्र में महिलाओं तथा पुरुषों, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का साक्षात्कार लें और उस क्षेत्र में व्याप्त बीमारियों के प्रकारों और उनके घटित होने की दर का विश्लेषण करें। इन आंकड़ों का पर्यावरणीय गुणवत्ता से सम्बन्ध स्थापित करें।


4. स्थानीय त्योंहारों का अध्ययन

स्थानीय त्योहारों का अध्ययन करें उनके धार्मिक परम्पराओं, विश्वासों को ठोस पहुँचाये बिना इन परिस्थितियों को पर्यावरण हितैषी तरीकों द्वारा हल करने के लिये रणनीति बनायें।


5. क्षेत्र में स्थापित उद्योग :

अपने क्षेत्र में उपस्थित किसी उद्योग का चयन करें। उस उद्योग द्वारा निर्मित किये जाने वाले उत्पादों के साथ-साथ संसाधनों, ऊर्जा का व्यय, उत्पादन प्रक्रिया में कौन-सी तकनीकें प्रयोग की जाती है? आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जाये।


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