पर्यावरण संरक्षण अधिनियम - Environmental Protection Act
पर्यावरणीय अधिनियमों का गठन एवम् क्रियान्वयन प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए किया गया है। इनका गठन, प्रदूषकों के उत्पादन एवम् उत्सर्जन को नियंत्रित करने, प्रदूषकों के प्रभावों को कम करने अथवा उनके उत्पादन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है जो पर्यावरण पर प्रभाव डाल सकती है।
पर्यावरणीय अधिनियम मुख्य अधिनियम इस प्रकार है-
भारतीय वन अधिनियम (1927):
आरखित, संरक्षित एवम् ग्राम वनों को निर्धारित करने। तथा उसका प्रबन्धन करने से संबंधित है तथा यह वन उपज के संचालन को भी नियन्त्रित करता है।
वन (संरक्षण) अधिनियम (1981)
वनों की सुरक्षा एवम् संरक्षण से संबंधित है।
वन (संरक्षण) अधिनियम (1984)
प्राथमिक रूप से, वन भूमि का गैर चनीय कार्यों के लिए हो रहे उपयोग को निषेध या प्रतिबन्धित करने से सम्बन्धित है।
खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (1957)
केन्द्र सरकार के नियंत्रण में खनिजों का अन्वेषण करने, पट्टे पर दिये जाने वाली भूमि एवम् खनन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने से संबंधित है।
परमाणु ऊर्जा अधिनियम (1962)
केन्द्र सरकार को आदेश देता है कि वह विकिरण संबंधती खतरों को रोके तथा जनमानस एवम् उन कर्मचारियों की सुरक्षा का आश्वासन दे।
कीटनाशी अधिनियम (1968)
कीटनाशकों के निर्माण एवं वितरण से संबंधित गतिविधियों को नियंत्रित करता है; जैसे लाइसेंस देना, पैकिंग करना, लेबल लगाना तथा परिवहन, साथ ही यह कीटनाशकों के निर्माण एवं रखरखाव के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा भी उपलब्ध कराता है।
वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम (1972) एवं वन्यजीव (सुरक्षा) संशोधित अधिनियम (1991)
पक्षियों एवं पशुओं की सुरखा तथा इनसे जुड़े सभी मुद्दे चाहे वह उनके पर्यावास से संबंधित हो या पानी के तालाब से या फिर उन वनों से जिसमें वे रहते हैं, वे संबंधित है। यह अधिनियम विहारों एवं राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना एवं प्रबंधन के साथ-साथ सो०जेड०ए० की स्थापना, प्राणी उद्यानों पर नियंत्रण एवं बंधन स्थिति में प्रजनन इत्यादि से संबंधित है।
जल (प्रदूषण निवारण एवम् नियंत्रण) अधिनियम (1974)
में जल प्रदूषण के नियंत्रण एवम् उसके निवारण के लिए संस्थागत ढाँचे को स्थापित किया। यह जल की गुणवचत्ता एवम् उत्प्रवाह संबंधी मानक को निर्धारित करता है। प्रदूषण नियंत्रण परिषद का गठन भी इसी अधिनियम के अन्तर्गत हुआ।
वायु (प्रदूषण निवारण एवम् नियंत्रण) अधिनियम (1981):-
वायु प्रदूषण नियंत्रण एवम् निवारण से संबंधित नियों को उपलब्ध कराती है।
पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम (1986)
दिसम्बर, 1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी के बाद पारित किया गया था। यह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा हेतु व्यापक वैधानिक कदम उठाने के लिए पारित किया गया।
कारखाना अधिनियम (1948) एवं संशोधित अधिनियम (1987):
कर्मचारियों के कार्यस्थल से संबंधित पर्यावरण से सरोकार रखता है। वर्ष 1987 में हुए संशोधन के खतरनाक प्रक्रियाओं से संबंद्ध कारखानों को प्रारम्भिक स्थिति पर सलाह देने हतु राज्य सरकार को स्थान मूल्यांकन समिति के गठन का अधिकार दे दिया। प्रत्येक खतरनाक इकाइयों के धरक को, कारखाने में होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों तथा उनसे बचने हेतु उठाए जाने वाले कदमों के बारे में कर्मचारियों, कारखाना निरीक्षकों एवं स्थानीय प्राधिकरण को अवगत कराना चाहिए।
राष्ट्रीय पर्यावरण अधिकरण अधिनियम (1995)
खतरनाक पदार्थों से संबंधित किसी भी गतिविधि द्वारा मानव, उसकी सम्पत्ति एवम् पर्यावरण को होने वाले क्षतियों हेतु दिये जाने वाले मुआवजे के लिए पारित किया गया था।
ऊर्जा संरक्ष अधिनियम (2001)
इसका उद्देश्य अर्थ जगत के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा के उचित प्रयोग और इसके संरक्षण को प्रभावी ऊर्जा साधनों को अपनाकर बढ़ावा देना है।
जैवविविधता अधिनियम (2002)
इसका उद्देश्य जैविक संसाधनों तक लोगों की पहुँच को नियंत्रित करना है ताकि उससे प्राप्त होने वाले लाभों के समान वितरण को सुनिश्चत किया जा सके। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत की धनी जैवविविधता और उससे जुड़े हुए ज्ञान को संरक्षित करना है।
पर्यावरणीय नियम
वन (संरक्षण) नियम (1981)
वनों की सुरक्षा एवम् संरक्षण से संबंधित है।
वन (संरक्षण) नियम (1984)
प्राथमिक रूप से, वन भूमि का गैर-वनीय कार्यों के लिए हो रहे उपयोग को निषेध या प्रतिबन्धित करने से सम्बन्धित है।
पर्यावरण (संरक्षण) नियम (1986)
पर्यावरणीय प्रदूषकों के उत्सर्जन या निष्कासन से जुड़े मानक निर्धारण प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत करने से संबंधित है।
खतरनाक अपशिष्ट (प्रबन्धन और रखरखाव) नियम (1989)
खतरनाक रसायनों से संबंधित औद्योगिक गतिविधियों तथा भण्डारण सुविधाओं का वर्च में एक बार निरीक्षण करने के लिए प्राधिकार का गठन करता है। खतरनाक अपशिष्टों के रखरखाव से जुड़े लोगों को उनके उत्तरदायित्वों से अवगत कराता है।
खतरनाक सूक्ष्म जोबो/जौन परिष्कृत्त जीवों अथवा कोशिकाओं के निर्माण, उपयोग, आयात, निर्यात एवम् भण्डारण नियम (1989) को जीन तकनीकी एवम् सूक्ष्म जीवों के अनुप्रयोग से पर्यावरण एवं प्रकृति तथा स्वास्थ्य को सुरक्षित करने की दृष्टि से लागू किया गया।
खतरनाक जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट (प्रबन्धन एवम् रखरखाव) नियम (1998)
स्वास्थ्य संबंधी संस्थानों को चिकित्सालयों के अपशिष्टों के उचित रखरखाव, जैसे-पृथक्करण, निस्तारण, एकत्रण एवम् उपचार संबंधी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए बाध्य करता है।
लोक दायित्व बीमा नियम (1992):
किसी भी प्रकार के खतरनाक पदार्थों के रखरखाव के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं से प्रभावित व्यक्तियों को तत्काल राहत उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लागू किया गया था। वह नियम धारक को दुर्घटना से होने वाली क्षतियों की पूर्ति के लिए एक जीवन बीमा पॉलिसी लागू कर के लिए बाध्य करता है।
पर्यावरण (औद्योगिक परियोजनाओं की स्थापना) नियम (1996)
कुछ विशेष परिस्थितियों में नवीन औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से संबंधिवत दिशा-निर्देशों के निर्धारण और स्थान विशेष पर कुछ उद्योगों की स्थापना के प्रतिबन्धन से संबंधित है।
पुनः चक्रित प्लास्टिक निर्माण एवम् उपयोग नियम (1999)
प्लास्टिक के थैलों, डिब्बों, पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों आदि के प्रयोग के नियंत्रण से संबंधित है।
ओजोन क्षयकारी पदार्थ (नियंत्रण) नियम (2020):
ओजोन क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन, प्रयोग एवम् क्रय आयात और निर्यात तथा इन पदार्थों पर होने वाले नये निवेशों को नियंत्रित करता है।
ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवम् नियंत्रण) नियम (2000)
विभिन्न क्षेत्रों में ध्वनि के संदर्भ में वायुगुणवत्ता मानकों को निर्धारण और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने से संबंधित है।
पर्यावरणीय अधिसूचनाएँ (Acts) तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना (1991)
यह नियम शहरीकरण के स्तर एवम् तटीय क्षेत्रों की पारिस्थतिकीय संवेदनशीलता पर आधारित निर्माण गतिविधियों का नियंत्रण भी करता है।
पर्यावरणीय मानक अधिसूचना (1993)
24 निर्दिष्ट उद्योगों के लिए उद्योग विशेष से संबंधित उत्प्रवाह निस्तारण एवम् उत्सर्जन हेतु मानकों से संबंधित है। विकासात्मक परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ई०आई०ए०) हेतु अधिसूचना इस अधिसूचना के दिशा निर्देशों के अनुसार कुछ क्षेत्रों में इन 30 उद्योगों को स्थापित नहीं किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र, तटीय क्षेत्र, प्रमुख आवासीय स्थान, जलोढ़ मैदानी भाग सम्मिलित है, जैसे पेपर एवम् पल्प उद्योग एवम् सीमेन्ट उद्योग।
फ्लाई ऐश के जमाव एवम् निस्तारण संबंधी अधिसूचना (1999)
कोयला या लिग्नाइट आध् शारित ताप बिद्युत संयंत्रों द्वारा उत्सर्जित फ्लाई देश से पर्यावरण को सुरक्षित करने, से संबंधित है।
प्रयुक्त पदों का अर्थ (Meaning of Terms Used)
अधिनियम - एक लिखित कानून जिसे कानून निर्माण निकार्यों द्वारा प्रमाणित किया गया है। एक ऐसा निर्णय जिसे संसद द्वारा प्रमाणित किया गया हो वह कानून बन जाता है।
नियम :- संचालन का एक सामान्य क्रम जो बताता है कि चीजों को किस तरह किया जाना चाहिए।
अधिसूचना - एक औपचारिक घोषणा, एक नोटिस
संशोधन - रूपान्तरण या परिवर्तन जो कि किसी बिल में प्रस्तावित हों या अधिनियम में प्रमाणित हों।