Field Study - क्षेत्र अध्ययन किसे कहते हैं

क्षेत्र अध्ययन किसे कहते हैं?


सामाजिक विज्ञानों में अनुसंधान सम्बन्धी समस्याओं का स्वरूप अत्यधिक विस्तृत, विषम एवं विचित्र होता है। है। इसी कारण इन विज्ञानों में अध्ययन विधियों का स्वरूप भी विविध या विभिन्न प्रकार का होता है। स्पष्टतः इन क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं प्रायः कम होती हैं कि जिनके अध्ययन में प्रायोगिक विधि का उपयोग होता है।


वास्तव में इन विज्ञानों की अधिकांश समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनका अध्ययन उनके प्राकृतिक परिवेश (Natural Setting) में ही अधिक उचित एवं उपयुक्त रहता है। दूसरे शब्दों में, सार्वजनिक विज्ञानों की ऐसी अनेक समस्याएं होती हैं कि उनका यथार्थ व शुद्ध अध्ययन उनके सम्बन्धित प्राकृतिक परिवेश अयवा घटना स्थल (Field) में ही अधिक तर्कसंगत होता है, प्रयोगशाला के कृत्रिम परिवेश या पर्यावरण में नहीं। सामाजिक विज्ञानों में अध्ययन के इसी तार्किक (Logical) आधार पर ही क्षेत्र अध्ययन (Field Study) विधि का व्यापक उपयोग किया जाता है।


क्षेत्र अध्ययन मानव-विज्ञान के अध्ययन की आधारभूत विधि है। इस विधि द्वारा मानव- जीवन से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं को विस्तृत एवं गहन रूप से उनके प्राकृतिक परिवेश में अध्ययन करने में अत्यधिक मदद प्राप्त होती है। इस विधि में विभिन्न मापन-सामग्रियों अथवा यन्त्रों की सहायता से प्राकृतिक रूप से घटित होने वाले पर्यावरणीय दशाओं के परिवर्तनों के प्रभावों की खोज करने का प्रयत्न किया जाता है।


यहाँ महत्वपूर्ण बात यह है कि चूँकि प्रायोगिक शुद्धता अथवा दृढ़ता का इसमें अभाव रहता है, इसलिए आन्तरिक वैधता की समस्या के कारण, कारणात्मक सम्बन्धों का अनुमान लगाना साधारणतया कठिन या असम्भव होता है। इस प्रकार इस विधि (क्षेत्र अध्ययन) के द्वारा महत्वपूर्ण सूचनाएं तो प्राप्त की जा सकती हैं, परन्तु निश्चित कारणात्मक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।


सण्डस्ट्राम और उनके साथियों द्वारा 1982 में किये गये अनुसंधान को क्षेत्र अध्ययन के उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है।

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