Adoptation Level Theory: अभियोजन स्तर सिद्धान्त

अभियोजन स्तर सिद्धान्त


जिस सिद्धान्त के अन्तर्गत बहुत अधिक और न्यूनाधिक उद्दीपक के प्रभावों को एक साथ समन्वित किया जाता है, उसे अभियोजन स्तर सिद्धान्त (Adoptation Level Theory) की संज्ञा दी जाती है।


आदर्श उद्दीपक (Optimal Stimulation)


उदोलन एवं पर्यावरण भार सिद्धान्त दोनों ही यह मानते हैं कि व्यक्ति के व्यवहार पर बहुत अधिक पर्यावरणीय उत्तेजना का प्रभाव निषेधात्मक होता है। इसी प्रकार न्यून उद्दीपक सिद्धान्त भी यह मानता है कि बहुत अधिक कम (न्यून) और निम्न स्तरीय उद्दीपक का अवांछित प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार पर पड़ता है।


उपर्युक्त आधार पर यह सरलता से अनुमान लगाया जा सकता है या कहा जा सकता है कि व्यक्ति के सामान्य व्यवहार के लिए मध्यम स्तरीय उद्दीपक ही सहायक होता है। होल हील (1974) ने अपने पर्यावरणीय उद्दीपन के समायोजन स्तर सिद्धान्त के अन्तर्गत इसी प्रकार के विचार का प्रतिपादन किया है। होल हील ने अपने सिद्धान्त को इस कल्पना के साथ विकसित किया कि व्यक्ति कुछ विशेष अवसर पर भीड़ को पसन्द नहीं करता है।


वहीं दूसरी तरफ व्यक्ति बहुत अधिक समय तक सामाजिक एकाकीपन को भी नहीं पसन्द करता है। होल हील का यह मानना है कि कुछ अन्य तरह के उद्दीपनों जैसे- अत्यधिक तापमान, कोलाहल, वायु प्रदूषण तथा सड़क के परिदृश्यों की जटिलता आदि को व्यक्ति पसन्द नहीं करता है। इन सब बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति उद्दीपनों का एक आदर्श स्थिति चाहता है क्योंकि आदर्श उद्दीपक ही व्यक्ति के विकास में लाभदायक होता है।


उद्दीपन के प्रकार तथा विमाएं


पर्यावरण एवं व्यवहार के आपसी सम्बन्धों की व्याख्या करने हेतु होल हील ने आदर्श उद्दीपक की परिकल्पना के रूप में सांवेदिक, सामाजिक एवं गति सम्बन्धी तीनों ही प्रकार के उद्दीपन को स्वीकार किया है। बहुत अधिक या बहुत कम (न्यून) सांवेदिक उत्तेजना, सामाजिक सम्पर्क एवं गति, तीनों ही व्यक्ति के व्यवहार हेतु अवांछित होते हैं। 

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