इतिहास अतीत और वर्तमान के बीच एक अंतहीन संवाद है

इतिहास अतीत और वर्तमान के बीच एक अंतहीन संवाद है


हालांकि सभी घटनाएँ इतिहास नहीं है वरन् उनका लेखा- जोखा इतिहास है, अतीत के गर्भ में अनन्त घटनाएँ समाहित हो चुकी हैं, प्रत्येक घटना इतिहास नहीं। यदि उनकों वैज्ञानिक रूप से क्रमबद्ध करके संयोजित किया जाय तो वे इतिहास की सामग्री अवश्य उपलब्ध रहेंगा। प्रायः यह कहा जाता है कि इतिहास भूत एवं वर्तमान के मध्य निरन्तर चलने वाला संवाद है क्योंकि इतिहास में अतीत से वर्तमान तक वैज्ञानिक रूप से क्रमबद्ध संयोजन होता है। 

पृथ्वी पर जो भी घटित हुआ, वह इतिहास है। ऐसा कहने और स्वीकार करने का आशय यह होगा कि हम इतिहास के कलेवर को बढ़ाते चले जाय। इस दृष्टि से पृथ्वी की कहानी भी इतिहास का अंग बन जाएगी। परन्तु इतिहास के क्षेत्र में केवल मानव के विकास की कहानी को ही शामिल करना चाहिए।

इतिहास के क्षेत्र में उन जीवन गाथाओं को सम्मिलित किया जाता है जो व्यक्ति को सामाजिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है। यदि हम महान व्यक्तियों को सामाजिक संदर्भ में देखते हैं और उनके कार्यों का सामाजिक आधार पर अध्ययन करते हैं तो वे इतिहास की घटनाओं में शामिल किए जाते हैं अन्यथा नहीं। 

इस प्रकार तथ्यों को सामाजिक संदर्भ में एवं युग विशेष के संदर्भ में देखना इतिहास की सामग्री का अंग होगा। वे व्यक्ति एवं घटनाएँ जो एक युग विशेष के सामाजिक संदर्भ में देखी जाती हैं और जिनका सामाजिक प्रक्रिया से संबंध है, वे इतिहास की सामग्री है। इस इतिहास का क्षेत्र व्यक्ति है, किन्तु एक विशेष युग के संदर्भ में।

इतिहास घटनाओं की श्रृखंला है और ये घटनाएँ काल के दीर्घ प्रवाह में किसी एक निश्चित बिन्दु या समय पर घटित होती है। इस प्रकार काल इतिहास में क्रमबद्धता प्रस्तुत करता है। यदि काल एक क्षण के लिए स्थिर हो जाय तो इतिहास भी समाप्त हो जाएगा। 

अतः काल 'वर्तमान' इतिहास का प्रमुख तत्त्व है और परिवर्तन में क्रमबद्धता भी प्रस्तुत करता है। इतिहास मानव के क्रमबद्ध विकास की कहानी है जिसमें काल के विभिन्न सोपान उसके विकास की विभिन्न स्थितियों को प्रस्तुत करते हैं।

भारत के इतिहास के विकास विभिन्न प्रकार के मौखिक सामग्री से हुआ है। इस मौखिक सामग्री की मौखिक परम्पराएँ, गाथा, आख्यान, पुराण, इतिवृत्ति आदि आते हैं। राजाओं, सम्राटों एवं महापुरूषों का प्रशस्ति गान सूत लोग करते थे और वे ही ऐतिहासिक परम्पराओं को भावी सन्तति को सौंपते चले जाते थे। अतः कहा जा सकता है कि इतिहास भूत एवं वर्तमान के मध्य चलने वाला संवाद हैं।

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