कक्षा में प्रश्न पूछने का क्या महत्व है - What is the importance of asking questions in class
प्रश्न पूछने का महत्त्व: पाठ्य सामग्री को सरल तथा स्पष्ट करने में प्रश्नों का विशेष महत्त्व है। प्राचीन युग में तो ज्ञान का आदान-प्रदान केवल प्रश्नों के द्वारा ही होता था अर्थात् गुरु अपने शिष्यों को प्रश्नों के द्वारा शिक्षित करते थे और शिष्य भी अपनी-अपनी शंकाओं का समाधान केवल प्रश्नों के माध्यम से ही किया करते थे।
एथेन्स नगर के प्रसिद्ध विचारक एवं दार्शनिक सुकरात ने भी लोगों का अव्यवस्थित ज्ञान केवल प्रश्नों के माध्यम से व्यवस्थित किया था। वर्तमान युग में भी प्रश्नों की सहायता से शिक्षक बालकों के सम्पर्क में करता है, उन्हें प्रेरित करता है, तथा उसके मस्तिष्क को क्रियाशील करके आवश्यक ज्ञान का वितरण करता है।
इस दृष्टि से शिक्षक की निपुणता बहुत कुछ प्रश्नों के पूछने की कुशलता पर निर्भर करती है। स्मरण रहे कि प्रश्न पूछने में प्रत्येक व्यक्ति निपुण नहीं होता। इसका एक मात्र कारण यह है कि प्रश्न पूछना एक कला है।
थामस एम० रिस्क का कथन है कि अधिकतर विधियों की सफलता प्रश्न पूछने की कला पर निर्भर करती है। इनके शब्दों में, "अधिकतर शिक्षण की प्रभावशीलता अध्यापक के प्रश्नों के प्रभावशाली प्रयोग की योग्यता पर अधिक निर्भर करती है।"
अगर हम यह कहें कि बिना प्रश्नोत्तर के शिक्षण किया ही नहीं जा सकता तो अतिशयोक्ति न होगी। कक्षा शिक्षण में तो प्रश्नों का अपना विशेष महत्व है, कदम-कदम पर इनका उपयोग किया जाता है।